आषाढ़ी एकादशी निबंध-Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi

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Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi

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Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi 200 Words

आषाढ़ी एकादशी को देव शयनी ग्यारस भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में एकादशी का बहुत महत्व (Ashadhi Ekadashi importance) है। आमतौर पर पुरे साल में 24 ग्यारस पड़ती है। जिसमें से हर महीने की पहली एकादशी कृष्ण पक्ष और दूसरी एकादशी शुक्ल पक्ष को आती है। पुराणों में एकादशी को भगवान श्री हरि विष्णु जी की पुत्री बताया गया है। इस दिन भगवान विष्णु जी क्षीर सागर में चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इन चार महीनों में कोई मांगलिक कार्य या विवाह आदि नहीं कराया जाता है। चार महीने के बाद देव उठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागते हैं, जिसे डोल ग्यारस कहा जाता है।

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देव शयनी ग्यारस को लेकर एक कथा बहुत प्रचलित है। सतयुग में मांधाता नामक सम्राट के राज्य में तीन वर्ष तक बारिश न होने के कारण भयंकर अकाल पड़ गया था। जिसके बाद वे अंगिरा ऋषि के आश्रम पहुंचे। जहां अंगिरा ऋषि ने उन्हें आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी करने का विधान बताया था। इस व्रत के फलस्वरूप राज्य में बारिश हुई और एक बार फिर संपूर्ण राज्य अकाल से मुक्त हो गया। एकादशी के उपवास की महिमा पूरे तीर्थ धाम करने के पुण्य के बराबर है। कहा जाता है, की जो भी व्यक्ति इस उपवास को करता है, उसे चार धाम की यात्रा का फल प्राप्त हो जाता है। 

Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi
Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi

Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi 300 Words

प्रस्तावना (Introduction)

हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ माह में पड़ने वाली एकादशी को आषाढ़ी एकादशी कहा जाता है। आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है। इसे देव देवशयनी, थोली एकादशी, महा एकादशी, हरि देवशयनी, तथा प्रबोधनी एकादशी और पद्मनाभा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदु पंचांग के अनुसार वर्ष में 24 एकादशी आती है, लेकिन कई बार मलमास या अधिक मास होने के कारण किसी-किसी वर्ष में 26 एकादशी पड़ जाती हैं। इस वर्ष 2023 में 26 एकादशी पड़ रही हैं।

आषाढ़ी एकादशी का महत्व (Ashadhi Ekadashi importance)

आषाढ़ी एकादशी का महत्व विशेष रूप से पुराणों में बताया गया है। कहा जाता है, की इस दिन से लेकर अगले चार मास के लिए श्री हरि विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं। इन चार माह को ही चातुर्मास कहा जाता है। भगवान विष्णु जी भगवान शिव को सृष्टि के संचालन का कार्य सौंप देते है। चातुर्मास के दौरान हिंदू धर्म में मांगलिक कार्य जैसे विवाह, जनेऊ धारण, मुंडन आदि नहीं करवाया जाता है।

आषाढ़ी क्यों मनाते हैं? (Why we celebrate Ashadhi Ekadashi?)

भगवान विष्णु जी को श्रष्टि का संचालक कहा गया है, और किसी शुभ कार्य में भगवान विष्णु की पूजा का बहुत अधिक महत्व है। क्योंकि आषाढ़ी एकादशी के समय भगवान विष्णु जी योगनिद्रा में होते हैं, इसलिए इस दौरान हिंदु परंपरा के लोग कोई मांगलिक कार्य नहीं करते हैं। चार माह के बाद कार्तिक महीने में आने वाली देव उठनी एकादशी के दिन जिसे डोल ग्यारस भी कहा जाता है, भगवान विष्णु जी को योग निद्रा से जगाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से उत्सव मनाया जाता है। जिसके बाद ही मांगलिक कार्य किए जाना प्रारंभ होता है।

उपसंहार (Conclusion)

एकादशी एक बहुत ही पावन व्रत है। इसका पुराणों में बहुत अधिक महत्व बताया गया है। इस वर्ष देवशयनी एकादशी 29 जून 2023 के दिन पढ़ रही है। मान्यताओं के अनुसार ग्यारस के दिन उपवास करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के पुण्य प्राप्त होते हैं। व्रत धारी इस दिन अन्न का सेवन नहीं करते हैं। वे सभी प्रकार से भगवान विष्णु की सेवा कर अपने उपवास की सफलता और इससे मिलने वाले पुण्य को प्राप्त करने की कामना करते हैं।

Ashadhi Ekadashi Par Nibandh 500 Words 

प्रस्तावना (Introduction)

आषाढ़ महीने में आने के कारण इस एकादशी का नाम आषाढ़ी पड़ गया है। हर महीने में दो एकादशी होती हैं, आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकदाशी का बहुत महिमा है। इसे देवशयनी, महा एकादशी, हरि एकादशी, प्रोबधिनी एकादशी आदि नामों से जाना जाता है। एकादशी का व्रत भगवान हरि विष्णु जी को समर्पित होता है। भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का कार्य करते हैं। इसलिए कहा जाता है, की एकादशी व्रत करने वाले को सभी प्रकार के पुण्य प्राप्त होते हैं। 

आषाढ़ी एकादशी की कथा (Ashadhi Ekadashi story in Hindi)

देवशयनी एकादशी की कथा भगवान ब्रह्मा जी ने नारद जी से और इसके उपरांत भगवान श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर से कही थी। सतयुग के समय चक्रवर्ती सम्राट मधांता जी के राज्य में जब 3 वर्ष तक वर्षा नहीं हुई तो राज्य में अकाल पड़ गया जिसके कारण लोग भूखों मरने लगे। राज्य की ऐसी दशा देखकर सम्राट मधांता को बहुत दुख हुआ, और वे इसके निवारण की खोज में निकल पड़े। उनकी भेंट अंगिरा नामक ऋषि से हुई। सम्राट ने ऋषि को अपनी सारी समस्या बताई। तब अंगिरा ऋषि सम्राट को आषाढ़ महीने की शुक्ल पक्ष तिथि को पड़ने वाली एकादशी व्रत की महिमा बताते हुए इस इस व्रत को करने को कहा। व्रत करने के फलस्वरूप मधांता सम्राट के राज्य का अकाल खत्म हो गया और उनका राज्य एक बार फिर से फल फूल गया।

आषाढ़ी क्यों मनाते हैं? (Why is Ashadhi Ekadashi Celebrate?)

एकादशी व्रत सभी व्रतों में सर्वोपरि है, और विशेष फल प्रदान करने वाला है। इस दिन के व्रत को सभी तीर्थों का पुण्य मिलने के बराबर कहा गया है। इसलिए एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं। 4 महीने के दौरान कोई मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। कहा जाता है कि श्री हरि विष्णु भगवान शिव को सृष्टि के संचालन का कार्य सौंप देते हैं। इसलिए ही आषाढ़ के अगले महीने आने वाले सावन में भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है। 

स्कूलों में आषाढ़ी एकादशी (Ashadhi Ekadashi celebration in school)

स्कूलों में आषाढी एकादशी के दिन बच्चों को भगवान विष्णु की पोशाक पहनकर विशेष आयोजन करवाए जाते हैं। बच्चों को भगवान विष्णु की कथा की थीम पर प्रोजेक्ट कार्य भी दिए जाते हैं और सबसे अच्छे प्रोजेक्ट बनाने वाले बच्चों को इसके लिए पुरस्कार भी दिया जाता है। आषाढी एकादशी की कथा पर स्कूलों में एक्ट भी करवाया जाता है। जिसमें बच्चे भगवान विष्णु लक्ष्मी जी और अन्य देवताओं की पोशाक पहनकर उनकी तरह वेशभूषा बनाते हैं। 

उपसंहार (Conclusion)

हिंदू मान्यताओं के अनुसार एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के जन्म-जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह बहुत ही पावन और पापनाशक व्रत है। पुराणों में व्यक्ति के मृत्यु के उपरांत उनके कर्मों के अनुसार उन्हें योनियां मिलती हैं। कहा जाता है की एकादशी व्रत को विधि-विधान से करने पर व्यक्ति सभी प्रकार की योनियों से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त करता है।  

FAQs Related to Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi

ग्यारस के दिन क्या करते हैं?

ग्यारस के दिन सुबह जल्दी स्नान करके तुलसी को जल चढ़ाना चाहिए। इस दिन चावल या इससे बनी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी ग्यारस करने से क्या होता है?

एकादशी व्रत की महिमा पुराणों में इस प्रकार से बताई गई है, की जो भी इस व्रत को करता है वह निरोगी, पापों से मुक्त, सौभाग्यशाली होता है।

ग्यारस के दिन क्या नहीं करना चाहिए?

ग्यारस के दिन व्रत करने वाले के लिए अन्न निषेध होता हैं। इस दिन व्रत धारी को फलों का सेवन करना चाहिए।

Ashadhi Ekadashi Par Nibandh

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Ashadhi Ekadashi Par Nibandh अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Ashadhi Ekadashi Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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