Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi: बेटी बचाओ बेटी पढाओ निबंध

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Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

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beti bachao beti padhao per nibandh (बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर 100 से 200 शब्द में निबंध)

कहने को तो हमारी स्वतंत्रता को वर्तमान में 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं. वही दुनिया के नक्शे में महिलाओं की स्थिति देखें तो सभी देशों में महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक और लिंगानुपात में भिन्नता देखने को मिलती है. लेकिन भारत जैसे देश में जहां पर महिलाओं को देवियों का दर्जा दिया हुआ है वहां भी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं को कम प्राथमिकता दी जाती है. इसका सबसे प्रमुख कारण है कि भारत देश पुरुष प्रधान है वही भारत का सामाजिक ढांचा ऐसा बना हुआ है कि जहां पर महिलाओं की क्षमता और योग्यता को पुरुषों की अपेक्षा कम माना जाता है.

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लेकिन सरकार ने जबसे बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया है तब से बेटियों की स्थिति में जबरदस्त सुधार आया है. वर्तमान में भारत की लाखों बेटियों ने भारत का नाम संपूर्ण विश्व में रोशन किया है. वही आज भारत की बेटियां ही किसी सरकारी परीक्षा में टॉप कर रही है तो कहीं कंपनी में सीईओ बनकर बेठी हुई है, तो कहीं संसद में कंधे से कंधा मिलाकर देश निर्माण में योगदान दे रही है.

Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi
Beti Bachao Beti Padhao Essay in Hindi

Beti Bachao Beti Padhao Nibandh ( बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर 300 से 500 शब्द में निबंध)

प्रस्तावना

हिंदू धर्म की मान्यता के मुताबिक स्त्रियों को सृष्टि की निर्माता कहा जाता है. लेकिन सदियों से चली आ रही कुप्रथाओ और संस्कारों की बेड़ियों से उनको बांध दिया जाता है. अगर लड़की है तो उसे अपने पिता की आज्ञा का पालन करना, शादी होने पर अपने पति के इशारों पर नाचना, बच्चे होने पर उनका पालन पोषण करना, किसी दूसरे व्यक्ति के सामने अपनी मर्यादा को कायम रखते हुए चारदीवारी में ही कैद रहना. यह सब एक लड़की को जन्म से ही सिखा दिया जाता है. यानी एक लड़की को आज के जमाने में भी समाज की सहभागिता से दूर रखा जाता है.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की आवश्यकता

आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 1991 से लेकर 2011 तक बेटियों की जनसंख्या में बेटों की अपेक्षा गिरावट दर्ज की गई है. इस गिरावट के पीछे का कारण हमारे समाज में आज भी दहेज प्रथा और कन्या भ्रूण हत्या जैसी कुप्रथाएं मौजूद है. आज भी पिछड़े गांव में लोग बेटियों को पराया धन ही समझते हैं उनका मानना है कि बेटियों को पढ़ाने से क्या फायदा होगा शादी करने के बाद बहुत सारा धन दहेज के रूप में देना होगा इसीलिए लोग बेटियों को जन्म से पहले ही मौत की नींद सुला देते हैं.

लेकिन कुछ वर्षों पहले सरकार ने वर्ष 2015 में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान शुरू किया है. तो इस अभियान की बदौलत आज देश की महिलाओं की स्थिति पिछले कुछ वर्षो की अपेक्षा काफी अच्छी रही है. इस अभियान के अंतर्गत लोगों को सफल होने वाली महिलाओं के उदाहरण देकर समझाया गया कि अगर बेटियों को अवसर दिया जाए तो वह सिर्फ घर ही नहीं चला सकती बल्कि पूरा देश भी चला सकती है. भारत सरकार द्वारा चलाई जाने वाली योजना के सकारात्मक प्रभाव प्रत्यक्ष देखने को मिल रहे हैं.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का उद्देश्य

सरकार द्वारा शुरू की गई बेटी बचाओ की गई बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम का उद्देश्य है कि महिलाओं की लगातार घटती जनसंख्या के अनुपात को संतुलित किया जाए. वही महिलाओं को भी पुरुषों के समान ही अवसर दिए जाएं. इस अभियान के अंतर्गत महिलाओं की स्थिति को और अधिक सुधारने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय शुरू किए गए हैं.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के जरिए बेटियों में भी एक नई उमंग का विकास हो रहा है वही लोगों के मन में भी अब बेटियों के प्रति सकारात्मक प्रभाव देखने को मिला है.

उपसंहार

अगर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की सफलता की बात करें तो यह इस बात से भी सिद्ध होता है कि आज देश में लिंगानुपात महिलाओं का अधिक हो चुका है. वहीं महिला शिक्षा का ग्राफ भी लगातार बढ़ता जा रहा है. बेटियां आज हर क्षेत्र में बेटों की बराबरी ही नहीं बल्कि उनको कड़ी टक्कर दे रही है. चाहे सिविल सेवा परीक्षा में अव्वल आना हो या देश को कोई गोल्ड मेडल दिलाना हो. हाल ही के वर्षों में यह सब संभव बेटियों ने ही किया है.

Beti Bachao Beti padhao Per Nibandh

प्रस्तावना

बेटी है तो कल है लेकिन बेटी अगर न हो तो आज भी न हो क्योंकि बेटियां ही संसार में नए जीवन को लाती हैं। बेटियां जीवनदाता है, वे संसार को रचने वाली हैं लेकिन इसके बावजूद बेटियों की जो दशा थी वो सबके सामने है। आज मगर समय बदल गया है सोच बदल गई है, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान से कई हद तक स्थिति में सुधार हुआ है।

इस अभियान के तहत बेटियों को बचाने एवं उन्हें बढ़ाने की मुहिम छेड़ी गई थी। जिसके अंतर्गत बेटियों का सही ढंग से पालन पोषण करना, उन्हें उच्च शिक्षा प्रदान करना है। बेटियों को आगे लाने और उन्हें समाज में समान अधिकार दिलाने के लिए सरकार द्वारा कई मुहिम चलाई गई और लाडली लक्ष्मी योजना जैसी योजनाएं चलाई गई।

समाज में बेटियों की स्थिति

पुराने समय में ये समाज लड़किया को एक अभिशाप के रूप में देखता था किसी लड़की का पैदा होना सबसे बड़ा पाप माना जाता था. देश के किन्ही राज्यो में आज भी बेटी का होना स्वीकार नहीं किया जाता है. पुराने समय में लड़की को गर्भ में मार दिया जाता था और अगर वो इस दुनिया में आ गई तो उससे जीते जी जिंदा दफना दिया जाता था।

परंतु बदलते समय के साथ लोगो की बेटियो के प्रति धारणा बदलती जा रही है। अब लोग लड़कियों का पालन पोषण बेटों के ही समान कर रहे हैं और उन्हें उच्च शिक्षा दिलवा रहे हैं। लड़कियां इस अवसर का लाभ लेते हुए लगभग हर क्षेत्र में अपना झंडा गाड़ रही हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान की आवश्यकता

बेटियां आने वाली पीढ़ी की जन्मदाता हैं और एक शिशु की प्रथम गुरु उसकी मां होती है। अगर बेटियां पढ़ेंगी तो वे अपनी पीढ़ी को भी शिक्षित करेंगी जो की एक शिक्षित समाज का निर्माण करेगा। बेटियों का पढ़ना उतना ही आवश्यक है जितना की बेटों का आज बेटियां पढ़कर आईएएस, आईपीएस, डॉक्टर, क्रिकेटर बनकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पद पर सफलता हासिल कर रही हैं।

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान ने लोगों के मन से इस विकृति को हटा दिया है की बेटियां केवल घर संभाल सकती है। वे हर स्थिति एवं क्षेत्र में उतनी ही तत्पर और लगनशील हैं जितना की एक पुरुष है 

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का उद्देश्य 

इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बेटियों के जीवन को बचाना और उन्हें आगे बढ़ने का मौका देना है। एक समय था जब मानव समाज में बेटियों को लेकर इतनी निर्मम भावना जागृत हो गई थी की वे गर्भवती महिला का परीक्षण करवा लेते थे। और भ्रूण में बेटी है इतना जानकर ही उन्हें भ्रूण में ही मरवा देते थे।

लेकिन सरकार ने इस पर कड़ा कानून बनाया और भ्रूण हत्या जैसे अपराध पर रोक लगाई और कड़ी सजा भी निर्धारित की। बेटी बचाओ अभियान का उद्देश्य समाज में लड़कियों को लड़कों के ही समान प्राथमिकता प्रदान करना है। इस अभियान की वजह से आज  बेटियो को इतना तरक्की करते देख रहे है. साथ ही साथ वो अपने हुनर से देश का नाम भी रोशन कर रही है

अभियान का प्रभाव

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के परिणाम स्वरूप आज बेटियों को लेकर समाज का नजरिया बदल गया है। वे बेटियों को भी उतना ही प्रोत्साहित और समर्थन करते हैं जितना की बेटों का। बेटियो को भी पढ़ने और आगे बड़ने का पूरा मौका दिया जा रहा है.

साथ ही साथ सरकार द्वारा लड़कियों को बहुत योगदान दिया जा रहा है। बेटी के जन्म से लेकर विवाह तक का आधा खर्चा सरकार प्रदान करती है बेटियां मां – बाप को बोझ न लगे इसलिए समय – समय पर सरकार उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान करती है। आज के समय में एक बेटी आपना जीवन बड़े गर्व के साथ जी रही है उसे हर वो चीज मिल रही है जो की बेटे को दी जाती है। 

उपसंहार

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान का सकारात्मक प्रभाव आज पूरे देश में दिख रहा है। लोग अब बेटियों को बोझ न समझकर उन्हें समान अवसर दे रहे हैं आज बेटियां बोझ नहीं सिर का ताज बन रही हैं। जिला स्तर से लेकर राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर तक बेटियां अपनी जीत का परचम लहरा रही हैं और अपने परिवार और देश का नाम रोशन रोशन कर रहीं हैं।

बेटियों का संरक्षण जरूरी है जिस तरह वायु बिना प्राण नहीं होते उसी प्रकार बेटियों के बिना भी जीवन संभव नहीं है। क्योंकि बेटियां ही जीवन को अपने भ्रूण में रखकर उसे अस्तित्व प्रदान करती है। इसलिए हमें समाज में लड़के और लड़कियों दोनों को ही समान रूप से देखना चाहिए।

Beti Bachao Beti Padhao Hindi Nibandh

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