Bhagat Singh Essay in Hindi: भगत सिंह पर निबंध

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Bhagat Singh Essay in Hindi

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भगत सिंह पर निबंध in Hindi 50 Words (Bhagat Singh Essay in Hindi)

भगत सिंह भारत के सबसे प्रसिद्ध क्रांतिकारी हैं। भगत सिंह जैसा देश प्रेमी ना आज तक कभी हुआ है, और ना कभी होगा। अपनी मातृभूमि के लिए पूरा जीवन समर्पित करना यह काम सिर्फ भगत सिंह जैसे भारत मां के सपूत ही कर सकते हैं। भारत को जो आज आजादी मिली है, उस आजादी का श्रेय भगत सिंह को जाता है। जिन्होंने अपनी जान देकर भारत के लाखों युवाओं को नई जिंदगी दी है।

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भगत सिंह पर निबंध in Hindi 100 Words (Bhagat Singh Essay in Hindi)

भगत सिंह का का नाम सबसे बड़े देश प्रेमियों में से एक है। भगत सिंह वह इंसान थे। जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने देश को समर्पित कर दी। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर दी, जिस वक्त भारत में अंग्रेजों का राज था। उस समय भगत सिंह ने अंग्रेजों से लोहा लिया था। भगत सिंह ने भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई को एक अलग स्तर पर पहुंचा था। उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत को मुंह तोड़ जवाब दिया था। जब भगत सिंह को फांसी पर लटकाया गया था। उस दिन सारे देश में क्रांति की एक नई आग फैल गई थी। शहीद भगत सिंह ने अपनी जान कुर्बान करके भारत की स्वतंत्रता का दीप जलाया था।

भगत सिंह पर निबंध in Hindi 150 Words (Bhagat Singh Essay in Hindi)

भारत के अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह का जीवन लाखों लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। भगत सिंह को देश के युवा आज भी अपना आदर्श मानते हैं, सही मायने में भगत सिंह ने ही देशभक्ति का परिचय दिया है। भगत का जन्म 28 सितंबर 1907 में सिख परिवार में हुआ था। जिस दिन भगत सिंह का जन्म हुआ था उस दिन उनके पिता जेल से रिहा हुए थे। भगत सिंह बचपन से ही बड़े क्रांतिकारी स्वभाव के थे। वह हमेशा से भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र करना चाहते थे। इसलिए उन्होंने काफी छोटी उम्र में भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। एक समय ऐसा भी आया के अंग्रेजी शासन भगत सिंह के नाम से कांपने लगा। भारत के इस शेर को अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देने के कारण सारे देश में अलग पहचान मिली। भारत माता का वीर पुत्र स्वतंत्रता की लड़ाई में 23 मार्च 1931 को शहीद हो गया।

Bhagat Singh Essay in Hindi
Bhagat Singh Essay in Hindi

भगत सिंह पर निबंध in Hindi 200 Words (Bhagat Singh Essay in Hindi)

भगत सिंह जैसे क्रांतिकारी सदियों में एक बार जन्म लेते हैं। ऐसे महान क्रांतिकारियों के कारण ही भारत की भूमि को अनमोल रतन की भूमि कहा जाता है। भारत की इस भूमि पर कई सारे वीर स्वतंत्रता सेनानी पैदा हुए उनमें से एक स्वतंत्रता सेनानी सरदार भगत सिंह भी है। भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था। भगत सिंह के पिता भी एक बड़े देशभक्त थे। भगत सिंह ने बचपन से ही अपने आसपास देशभक्ति का माहौल देखा, जिसके कारण उनके मन में अपने देश के प्रति अटूट निष्ठा उत्पन्न हुई।

भगत सिंह ने बचपन से ही अपने आसपास अंग्रेजों के किए गए अत्याचार को देखा, वह हमेशा से ही अंग्रेजो के खिलाफ प्रदर्शन करना चाहते थे। जब भगत सिंह ने अपनी पढ़ाई के लिए कॉलेज में एडमिशन लिया तब उन्हें कुछ साथी मिले जो क्रांतिकारी थे। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए, असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। इसके बाद देश के कई बड़े बड़े क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई लड़ी। भगत सिंह ने अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई में कई सारे आंदोलन किया उन्होंने अंग्रेजी पुलिस सहायक की हत्या की ,लाहौर असेंबली में बम फेंका। इन गुनाहों के लिए भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई और 23 मार्च के दिन भगत सिंह शहीद हो गए।

Essay on Bhagat Singh in Hindi 300 Words

परिचय

निसंदेह भगत सिंह का नाम भारत के सभी प्रमुख  क्रांतिकारियों की सूची में सबसे ऊपर सुसज्जित है। भगत सिंह एकमात्र ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने जीते जी ही नहीं बल्कि मरने के बाद भी भारत की स्वतंत्रा में अपना अहम योगदान निभाया है। भगत सिंह की मृत्यु लाखों लोगों के लिए प्रेरणा बनी उन्होंने लाखों नौजवानों के मन में देश प्रेम की भावना जागृत की। सबसे कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल करने वाले एकमात्र शहीद भगत सिंह ही थे।

लाला लाजपत राय के मृत्यु का प्रतिशोध

लाला लाजपत राय की मृत्यु ने भगत सिंह को काफी प्रभावित किया। भारत में साइमन कमीशन आने की वजह से सारे देश में इसका विरोध प्रदर्शन किया जा रहा था। 30 अक्टूबर 1928 के दिन क्रांतिकारियों के बीच यह दुखद सूचना आई की साइमन कमीशन का विरोध प्रदर्शन करते वक्त लाला लाजपत राय की अंग्रेजों द्वारा लाठियों से पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। लाला लाजपत राय ने मरते हुए अंग्रेजों से अंतिम शब्द कहे थे कि “मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक चोट ब्रिटिश समाज के कफन की कील बनेगी।” भगत सिंह ने लाला लाजपत राय की इस बात को सच करने का ठाना। उन्होंने लाला लाजपत राय की मृत्यु का प्रतिशोध लेने के लिए अपने दो साथी राजगुरु, सुखदेव के साथ मिलकर ठीक 1 महीने बाद ब्रिटिश पुलिस ऑफिसर सांडर्स को गोली मार दी।

असेंबली में बम फेंकना

भगत सिंह ने हमेशा अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता का जवाब क्रूरता के साथ ही दिया है, इसलिए अंग्रेजी शासन उनके नाम से कांपने लगा था। 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने अंग्रेजी शासन को उनकी क्रूरता का जवाब देने के लिए केंद्रीय असेंबली में बम फेंका। बम फेंकने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद गांधी जी एवं कई बड़े राजनेताओं ने भगतसिंह से यह कहा कि वह अंग्रेजों से माफी मांग ले लेकिन भगत सिंह ने माफी मांगने से इनकार कर दिया। 6 जून 1929 को दिल्ली के कोर्ट में जज लियोनार्ड मिडिल्टन ने भगत सिंह और उनके दो साथियों को फांसी की सजा दे दी।

निष्कर्ष

भगत सिंह द्वारा जिस भी आंदोलन को अंजाम दिया गया उन्होंने यह सरेआम स्वीकारा के इस आंदोलन के पीछे उनका हाथ है। वह हमेशा कहते थे कि मैं अपनी जान की कुर्बानी देकर लाखों लोगों को जिंदगी दे जाऊंगा। भगत सिंह भारत के नौजवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। अंग्रेज़ों द्वारा एक भगत सिंह को मारा गया इसके फलस्वरूप लाखों नौजवानों के दिल में नए भगत सिंह ने जन्म लिया। भगत सिंह जैसा वीर पुत्र पाकर भारत की भूमि धन्य हो गई। भारत माता की आजादी की कहानी इस पुत्र के लहू से लिखी गई है।

भगत सिंह पर निबंध in Hindi 600 Words (Bhagat Singh Par Nibandh)

प्रस्तावना

भारत देश के सबसे बहादुर और वीर स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह एक अनमोल रतन थे। भगत सिंह ने मात्र 23 वर्ष की आयु में अपनी मातृभूमि की आजादी के लिए हंसते-हंसते प्राण निछावर कर दिए। भगत सिंह के इस काम से लाखों लोग प्रेरित हुए भगत सिंह को आजादी की लड़ाई के दौरान यूथ आइकॉन भी माना जाता था। भगत सिंह ने बचपन से ही अंग्रेजों का बुरा बर्ताव देखा जिसके कारण उनके मन में स्वतंत्रता की आग जल उठी। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए युवा शक्ति को जागृत करने की कोशिश कि क्योंकि उनका कहना था कि देश का युवा देश की कायापलट कर सकता है।

भगत सिंह का जन्म और परिवार

भारत माता के वीर पुत्र का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के जिला लायलपुर में बंगा गांव में हुआ था। इनकी माता का नाम विद्यावती एवं पिता का नाम सरदार किशन सिंह था। भगत सिंह के कुछ भाई-बहन भी थे। जिनके नाम रणवीर ,कुलवंत ,राजेंदर ,कुलबीर जगत ,प्रकाशकौर ,अमरकौर ,शकुंतलकौर था। भगत सिंह ने बचपन से ही अपने परिवार के लोगों को देशभक्ति के रंग में रंग देख उनके मन में बचपन से ही देश के प्रति अटूट निष्ठा और प्रेम उत्पन्न हो गया। भगत सिंह के चाचा अजीत सिंह एक बहुत बड़े क्रांतिकारी थी उन्होंने क्रांतिकारियों का दल बनाकर उसे हिंदू देश भक्ति संगठन का नाम दिया। भगत सिंह ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एंग्लो वैदिक हाई स्कूल से पूरी की इसके उन्होंने आगे की पढ़ाई के लिए लाहौर के नेशनल कॉलेज में प्रवेश लिया।

भगत सिंह का स्वतंत्रता सेनानी बनने का सफर

भगत सिंह बचपन से ही बड़े निडर और बहादुर किस्म के व्यक्ति थे। वह हमेशा अपने दोस्तों के साथ टोली बनाकर युद्ध का प्रयास किया करते थे। प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने के बाद जब भगत सिंह बीए करने के लिए लाहौर आए। उन्होंने नेशनल कॉलेज में दाखिला लेकर अपनी पढ़ाई शुरू की। कॉलेज के दौरान ही भगत सिंह की मुलाकात भगवती चरण और सुखदेव थापर जैसे अन्य लोगों से हुई। इसी दौरान 1919 मे पंजाब मे हुऐ जलियांवाला बाग हत्याकांड से भगत सिंह काफी दुखी हुए। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए गांधी जी द्वारा शुरू किया गए असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया। भगत सिंह को अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए जाने जाना लगा। भगत सिंह ने असहयोग आंदोलन को आहिंसा के बदले हिंसा का आंदोलन बना दिया। इसके बाद महात्मा गांधी ने इस आंदोलन को बंद कर दिया। आन्दोलन बंद होने के बाद जब भगत सिंह घर आए तो उनके परिवार वालों ने उनसे शादी के लिए कहा तो भगत सिंह ने उन्हें जवाब देते हुए कहा कि अगर मैं आजादी शादी से पहले शादी करूंगा तो मेरी दुल्हन सिर्फ मौत होगी।

भगत सिंह के आंदोलन

भगत सिंह शुरुआत से ही ब्रिटिश शासन के सभी फैसलों का खुलकर विरोध करते थे।  जिसके कारण वह ब्रिटिश सरकार के लिए सबसे बड़े सर दर्द बन चुके थे। भगत सिंह आजादी की लड़ाई लड़ते हुए सबसे पहले नौजवान भारत सभा से जुड़े। इसी बीच उनके परिवार वालों ने भी उन्हें शादी के लिए कहना बंद कर दिया और उन्हें आजादी के लिए लड़ाई लड़ने की पूरी आजादी दे दी। भगत सिंह को लिखने का काफी शौक था ,जिसके चलते उन्होंने कीर्ति मैगजीन के लिए कार्य करना शुरू किया। वे अपने संदेशों के माध्यम से देश के युवाओं में क्रांति की ज्वाला जला रहे थे। 1926 में भगत सिंह को नौजवान भारत सभा का सेक्रेटरी बना दिया गया। इसके बाद 1928 में उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन ज्वाइन किया जिसे चंद्रशेखर आजाद द्वारा बनाया गया था।

लाहौर षड्यंत्र केस

गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई। सजा के तुरंत बाद पुलिस द्वारा लाहौर में स्थित कई बम फैक्ट्री पर छापा मारा गया जिसके चलते भारत के कई प्रमुख क्रांतिकारी गिरफ्तार हुए। इन क्रांतिकारियों में जय गोपाला, हंसराज बोहरा, श्रेणिक नाथ बोस, सुखदेव शामिल थे। जतिन नाथ दास राजगुरु और भगत सिंह को लाहौर असेंबली बम केस और पुलिस सहायक अध्यक्ष की हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर उन्हें 28 जुलाई 1929 को लाहौर की जेल में भेज दिया। जेल जाने के बाद भगत सिंह ने विदेशी कैदियों के उपचार में और देसी कैदियों के उपचार में भेदभाव देखा। इसके बाद उन्होंने कैदियों की समानता के लिए अनिश्चित समय तक भूख हड़ताल शुरू कर दी। 63 दिनों की भूख हड़ताल के बाद जतिंद्र नाथ दास की मृत्यु हो गई जिसके बाद ब्रिटिश शासन को भगत सिंह और उनके साथियों की मांग पूरी करनी पड़ी। भगत सिंह ने इस भूख हड़ताल में 116 दिन तक उपवास रखा था।

भगत सिंह को फांसी

भगत सिंह शुरू से ही अपने नाम के आगे शाहिद लगते थे। उन्होंने स्वयं को जीते जी सहित बताना शुरू कर दिया था। भगत सिंह और उनके दो साथी शिवराम, राजगुरु, सुखदेव को असेंबली बम केस और पुलिस सहायक की हत्या करने के जुर्म में फांसी की सजा सुनाई गई। जेल के दौरान भी भगत सिंह को ब्रिटिश पुलिस द्वारा काफी सारी यातनाएं दी गई। उन्हें ना तो अच्छा भोजन दिया जाता था और ना ही अच्छे कपड़े। जेल में रहते हुए भगत सिंह ने 1930 में why I am atheist नमक के किताब लिखी। 24 मार्च 1931 के दिन भगत सिंह को फांसी दी जानी थी, लेकिन भगत सिंह की फांसी को लेकर देशवासियों में काफी आक्रोश था। इसी डर से ब्रिटिश सरकार ने भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव को 23 और 24 मार्च की मध्य रात्रि में बिना किसी को सूचित किया फांसी पर चढ़ा दिया। भगत सिंह की मृत्यु के बाद बिना उनके परिवार को बिना बताएं अंग्रेजों द्वारा उनका अंतिम संस्कार भी कर दिया गया।

निष्कर्ष

भगत सिंह का यह बलिदान बलिदान व्यर्थ नहीं गया उनकी मृत्यु से लाखों नौजवान जाग उठे। 23 मार्च के दिन भारत में शहीद दिवस मनाया जाता है ,जो कि भगत सिंह की याद में मनाया जाता है। भगत सिंह को जब फांसी पर लटकाया जा रहा था, तब वे तीनों दोस्त मिलकर हंसते-हंसते इंकलाब जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे। मात्र 23 वर्ष की आयु में ही भारत माता का यह वीर पुत्र अपनी मातृभूमि के लिए हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर लटक गया। भगत सिंह के बलिदान के फलस्वरूप ही आज हम आजाद हुए हैं। हमें अपने ऐसे महान क्रांतिकारी का एवं उनके बलिदान का हमेशा सम्मान करना चाहिए।

भगत सिंह की शायरी

“मेरी गर्मी के कारण राख का एक-एक कण जलन में है

मैं ऐसा पागल हूं जो जेल में भी स्वतंत्र है।”

“यदि बेहरो सुनना है, तो आवाज तेज करनी होगी।”

“क्रांति में सदैव संघर्ष हो यह आवश्यक नहीं यह बम और पिस्तौल की राह नहीं।”

“लोग परिस्थिति के आदी हो जाते हैं, और उसमें बदलाव करने की सोच मात्र से डर जाते हैं। अतः हमें भावना को क्रांति की भावना में बदलने की आवश्यकता है।”

Bhagat Singh Nibandh

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Bhagat Singh Essay in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Essay on Bhagat Singh in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Bhagat Singh Essay in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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