Bharat Chhodo Andolan Par Nibandh: भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध और टिप्पणी

क्या आप भी bharat chhodo andolan par nibandh की तलाश कर रहे हैं? यदि हां, तो आप इंटरनेट की दुनिया की सबसे बेस्ट वेबसाइट essayduniya.com पर टपके हो. यदि आप भी bharat chhodo andolan par nibandh, bharat chhodo andolan par tippani, bharat chhodo andolan par speech, bharat chhodo andolan par lekh, bharat chhodo andolan par bhashan, bharat chhodo andolan par charcha, bharat chhodo andolan ke karan, bharat chhodo andolan kisne chalaya, bharat chhodo andolan kab chalaya gaya, bharat chhodo andolan kisne diya, bharat chhodo andolan ka mahatva, bharat chhodo andolan essay in hindi, bharat chhodo andolan par essay, bharat chhodo andolan par essay hindi mein यही सब सर्च कर रहे हैं तो आपका इंतजार अब पूरा हुआ.

Bharat Chhodo Andolan Par Nibandh

हां हम आपको एक शानदार bharat chhodo andolan par nibandh उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध को आप कक्षा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. यदि आप को bharat chhodo andolan par lekh किसी स्पीच के लिए टॉपिक मिला है तो आप इस लेख को स्पीच के लिए भी उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी निबंध प्रतियोगिता के लिए भी bharat chhodo andolan par bhashan लिखना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.

Bharat Chhodo Andolan Par Nibandh
Bharat Chhodo Andolan Par Nibandh

भारत छोड़ो आंदोलन पर संक्षिप्त टिप्पणी ( bharat chhodo andolan par tippani)

भारत छोड़ो आंदोलन से आप क्या समझते हैं?

भारत छोड़ो आंदोलन को देश का सबसे बड़ा और चक्रीय आंदोलन माना जाता है जिसमें अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने में बहुत बड़ा योगदान दिया है. भारत छोड़ो आंदोलन उस समय शुरू हुआ था जब दुनिया में काफी बदलाव के दौर चल रहे थे. पश्चिम में लगातार युद्ध चल रहा था वही पूर्व में भी साम्राज्यवाद के खिलाफ आंदोलन उग्र होते जा रहे थे. एक तरफ तो हो भारत के सभी लोग महात्मा गांधी के नेतृत्व की उम्मीद कर रहे थे वहीं दूसरी तरफ सुभाष चंद्र बोस भी भारत को आजाद कराने के लिए स्वयं की एक सेना भी तैयार कर रहे थे. इस बात को कहने में कोई हर्ज नहीं है कि आंदोलन के जरिए भारत के आजादी की जमीन मजबूत हो चुकी थी अब उसमें सिर्फ स्वतंत्रता के बीज बोना ही बाकी था.

Whatsapp Group Join
Telegram channel Join

भारत छोड़ो आंदोलन कब शुरू हुआ?

वर्ष 1942 में अप्रैल में क्रिप्स मिशन के असफल हो जाने के लगभग 4 महीने के बाद ही स्वतंत्रता के लिए भारत वासियों का तीसरा जन आंदोलन शुरू हो चुका था जिसे हम भारत छोड़ो आंदोलन के नाम से जानते हैं. मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था. भारत छोड़ो आंदोलन के इस प्रस्ताव में यह घोषणा की गई थी कि अब भारत में अंग्रेजों के शासन की समाप्ति स्वतंत्रता और लोकतंत्र की स्थापना करने के लिए अत्यंत आवश्यक हो गई है.

भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 9 अगस्त 1942 को हुई थी भारत छोड़ो आंदोलन को ही अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है. भारत छोड़ो आंदोलन का उद्देश्य भारत से ब्रिटिश शासन को समाप्त करना था इस आंदोलन को महात्मा गांधी मैं अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के मुंबई अधिवेशन से शुरू किया था. भारत छोड़ो का नारा युसूफ मेहर अली द्वारा दिया गया था. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय विश्व प्रसिद्ध काकोरी कांड के ठीक 17 वर्षों के बाद 9 अगस्त वर्ष 1942 को यह आंदोलन संपूर्ण देश में एक साथ शुरू हो गया था इस का आह्वान महात्मा गांधी द्वारा किया गया था. भारत छोड़ो आंदोलन भारत को तुरंत स्वतंत्र करवाने के लिए ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सविनय अवज्ञा आंदोलन था.

bharat chhodo andolan essay in hindi (भारत छोड़ो आंदोलन पर निबंध)

क्रिप्स मिशन की असफलता के बाद महात्मा गांधी द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध तीसरा बड़ा आंदोलन छेड़ने का फैसला लिया गया था. इस आंदोलन को ही अंग्रेजों भारत छोड़ो के नाम से भी जाना जाता है. भारत छोड़ो आंदोलन को सही मायने में देखा जाए तो यहां एक जन आंदोलन था जिसमें हजारों लाखों भारत के लोग जुड़े हुए थे इस आंदोलन ने सबसे ज्यादा युवा वर्ग को अपनी ओर आकर्षित किया था युवाओं ने अपने कॉलेज छोड़कर जेल जाने तक का फैसला कर लिया था.

तो आइए जानते हैं कि आखिर भारत छोड़ो आंदोलन के क्या कारण रहे होंगे?

भारत छोड़ो आंदोलन के मुख्य कारण क्या थे?

भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन की शुरुआत सन 1942 में हुई थी जो की गांधीजी जी द्वारा छेड़ा गया अंतिम आंदोलन था। भारत छोड़ो आंदोलन के कारण निम्नलिखित हैं :

  • क्रिस्प मिशन की असफलता के बाद भारत छोड़ो आंदोलन ने भारतीयों को एक नई हिम्मत और उत्साह दिया।
  • बर्मा में भारतीयों के साथ जिस प्रकार अत्याचार हुआ उसे लेकर भारतीयो के मन ने इस दुर्व्यवहार का जवाब आंदोलन से दिए जाने का निश्चय किया गया।
  • द्वितीय विश्व युद्ध के भारत जापान द्वारा हमले किए जाने की आशंका से घिरा हुआ था।
  • अंग्रजों ने भारत को आर्थिक तौर पर छिन्न भिन्न कर दिया था यह भी इस आंदोलन के छेड़े जाने का एक कारण था।
  • द्वितीय विश्व युद्ध की लड़ाई में ब्रिटिश सरकार भारत को इस जंग में सम्मिलित कर रहा था लेकिन इसका निर्णय निर्धारित नहीं था की युद्ध के बाद भारत भी एक स्वतंत्र देश हो जायेगा।

भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व

स्वतंत्रता संग्राम में सेनानियों द्वारा कई आंदोलन छेड़े गए। इनमें से भारत छोड़ो आंदोलन भी एक है जो की एक ऐतिहासिक आंदोलन रहा। मुंबई में हुई एक कार्यसमिति के दौरान देश के ऐतिहासिक आंदोलन भारत छोड़ो की शुरुआत की गई। आंदोलन के समय भाषण देते वक्त अंग्रेजी हुकूमत की पुलिस ने कई आंदोलन कर्ताओं के साथ हिंसा की और उन पर लाठी चार्ज किया। आंदोलन में हुई भीषण हिंसा और बड़े नेताओं की गिरफ़्तारी के बाद से आंदोलन एक तरह से आम जन की तरफ रुख कर गया था। 

सभी लोग आंदोलन को अपने तरीके से निर्देशित कर रहे थे। अंदोलनकर्ताओं ने कई जुलूस निकाले जिसमें कई लोग यहां तक की छात्र छात्राऐं भी घायल व शहीद हुए। लोगों ने जब ब्रितानी पुलिस और सरकार की अपने लोगों पर बर्बरता देखी तो वे भी आक्रोश और क्रांति भावना से भर उठे। उन्होंने रेलवे स्टेशन, अदालत और यहां तक की पुलिस स्टेशनों में भी तोड़ फोड़ मचा दी उन्होंने कई सरकारी इमारतों पर देश का तिरंगा भी फहराया।

भारत छोड़ो आंदोलन की विशेषताएं

8 अगस्त 1942 का समय वो समय था जब राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की गई थी। यही समय था जब दूसरा विश्व युद्ध छिड़ा हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन का नाम यूसुफ मेहर अली ने रखा था और इसे अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।  

  • भारत छोड़ो आंदोलन मे स्वतंत्रता सैनानियों के अलावा विशाल जन समुदाय ने भाग लिया था। लोग इस आंदोलन को लेकर अति उत्साहित थे।
  • इस आंदोलन में भागी हजारों आंदोलनकारियों को ब्रिटिश सरकार द्वारा हिरासत में ले लिया गया था। ब्रितानी पुलिस द्वारा लाठीचार्ज और हिंसा में कई लोग घायल व शहीद हो गए थे।
  • आंदोलन में महिलाओं, जमींदार, मजदूर, किसान और हर वर्ग जन ने हिस्सा लिया था। वहीं पुलिस विभाग के कई निचले स्तर पर पदस्थ लोगों ने भी इस आंदोलन के प्रति सहियोगिता निभाई थी।
  • आजादी के उद्देश्य से छेड़े गए इस आंदोलन में मुस्लिम लीग ने कोई भागीदारी नहीं दिखाई। वे कांग्रेस के विरोधी थे और इसलिए भी उनका भारत छोड़ो आंदोलन में कोई उत्साह और हिस्सेदारी न थी।
  • आंदोलन के मुख्य उद्देश्य करो या मरो ने सेनानियों के ऊपर ऐसा प्रभाव डाला की जनता अंग्रजों के जुल्मों से न डरते हुए अपने फैसले पर डिगी रही।

भारत छोड़ो आंदोलन के क्या परिणाम हुए थे?

इस आंदोलन के कई परिणाम निकलकर आए जिसमें स्वतंत्रता संग्राम की दृष्टि से कई सकारात्मक परिणाम भी निकल कर आए। क्योंकि भारत छोड़ो आखिरी आंदोलन रहा तो इसमें आंदोलनकारियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। वहीं भारत छोड़ो के कुछ कमजोर पहलुओं ने इस आंदोलन को पूरी तरह पूर्ण न होने दिया। आंदोलन कई कारकों के कारण अपूर्ण रह गया जिसमें मुस्लिम लीग का विरोध, अपने ही कई पुलिस निरीक्षक, अधिकारियों की असहयोगिता, आंदोलन की शुरुआत में ही बड़े नेताओं की गिरफ़्तारी आदि। भारत छोड़ो आंदोलन में महिलाओं ने बड़े पैमाने पर अपनी सहभागिता दिखाई। वहीं युवा और स्कूल, कॉलेज के छात्र छात्राओं ने बढ़ चढ़कर इस आंदोलन में भाग लिया। भारत छोड़ो का समस्त भारतवासियों पर ऐसा प्रभाव पड़ा की जान मानस में राष्ट्रवाद की भावना जाग गई। भारत वासियों का ऐसा जज्बा देख ब्रिटिश सरकार भी पस्त पड़ गई उनका बात में टिकना मुश्किल हो गया। 

भारत छोड़ो आंदोलन समाप्ति

भारत छोड़ो आंदोलन को सन 1942 में शुरू किया गया था जो की सन 1943 तक अपने अंतिम चरण तक पहुंच चुका था। आजादी की लड़ाई में भारत छोड़ो आंदोलन एक अहम स्थान रखता है। यद्यपि यह आंदोलन पूर्णतः सफल नहीं रहा लेकिन इसने कई मायनों में आजादी के लिए भारतियों की एकता का प्रमाण अवश्य दे दिया था। इस आंदोलन में शहीद हुए कुछ लोगों का नाम जहां स्वर्णिम अक्षरों में अंकित हुआ उनकी मूर्तियां बनवाई गई वहीं कई हज़ारों लोग ऐसे भी रहे जो गुमनाम रहे जिनका शायद कहीं जिक्र भी नहीं। आंदोलन में क्रांतिकारियों की सहभागिता और आजादी पाने के जज्बे का ये परिणाम निकला की 15 अगस्त साल 1947 को अंततः भारत एक स्वतंत्र देश बन गया।

FAQs

Q1.भारत छोड़ो आंदोलन का दूसरा नाम क्या है?

Ans. भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है इस आंदोलन का उद्देश्य भारत से ब्रिटिश शासन को खदेड़ फेंकना था.

Q2. भारत छोड़ो आंदोलन का प्रमुख नारा क्या था?

Ans. गोवालिया टैंक मैदान में भाषण देने के दौरान महात्मा गांधी द्वारा “करो या मरो” का नारा दिया गया था.

Q3. भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्तावक कौन था?

Ans. मुंबई में हुई अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की बैठक में 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ था.

Leave a Comment