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Dahej Pratha Essay in Hindi
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Dahej Pratha Essay in Hindi (100 words)
दहेज मानव समाज की एक कुप्रथा है। यह प्रथा कई हजारों वर्षों से चली आ रही है। पहले के समय में किसी लड़की की शादी पर माता-पिता उसे अपनी ओर से बहुत सा जरूरत का सामान देते थे, जिसे दहेज कहा जाता है। यह दहेज माता-पिता अपनी इच्छा से लड़कियों को देते थे। लेकिन बाद में इस प्रथा ने कुप्रथा का रूप ले लिए और लड़कियों को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा। इस प्रथा पर भारत सरकार द्वारा रोक लगा दी गई है। जिसके बाद अगर किसी भी महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करने पर सख्त सजा और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है।
Dahej Pratha Ek Abhishap Essay in Hindi (150 words)
दहेज प्रथा एक ऐसी प्रथा है, जो सदियों से चली आ रही है। शादी के समय महिला के माता-पिता अपनी बेटी को आर्थिक रूप से स्वतंत्र और हर प्रकार की सुख सुविधा देने के लिए उसे दहेज देते थे। यह दहेज माता-पिता अपनी बेटी को अपनी इच्छा से देते थे, जिसके लिए उन पर किसी प्रकार का दवाब नहीं डाला जाता था। लेकिन समय के साथ साथ इस प्रथा ने एक भयानक रूप ले लिया। जिसके चलते शादी के बाद महिलाओं पर ससुराल पक्ष से दहेज के लिए दवाब डाला जाने लगा।
जिसके कारण हर साल करीब दहेज प्रथा के 9 हजार केसेस सामने आते हैं, और ढाई हजार से अधिक शादीशुदा महिलाओं को जलाने की रिपोर्ट सामने आती है। भारत सरकार इस गंभीर अपराध के लिए दहेज निषेध अधिनियम 1961 को लेकर आई। जिसके चलते अगर किसी महिला को ससुराल पक्ष द्वारा दहेज के लिए परेशान किया जाता है, तो उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
Dowry System Essay in Hindi (200 words)
दहेज का अर्थ होता है, किसी लड़की को उसकी शादी के समय या उसके बाद दी जाने वाली नकदी, गृहस्थी का जरूरी का सामान और सोने चांदी के आभूषण आदि। यह दहेज लड़की की शादी के दौरान उसके माता-पिता द्वारा दिया जाता था। आज भी कई लोग शादी के समय अपनी बेटी को नकदी और दहेज के रूप में कई सारी कीमती चीजें देते हैं। लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर परिवार अपनी बेटियों को दहेज देने में असमर्थ होते हैं। परंतु दहेज प्रथा के चलते ससुराल पक्ष लड़की और उसके परिवार पर दहेज के लिए दवाब डालते हैं।
कई बार दहेज के लिए ससुराल पक्ष लड़की के साथ मार पीट करते हैं। इस तरह के केसेस में महिला को जिंदा जलाने के मामले भी सामने आते हैं, या लड़की तंग आकर स्वयं आत्महत्या जैसा कदम उठा लेती है। दहेज प्रथा और उससे होने वाले अपराध को रोकने के लिए दहेज निषेध अधिनियम को लागू किया गया। इस अधिनियम के अनुसार किसी महिला को दहेज के लिए प्रताड़ित करना और आत्महत्या के लिए उकसाना और हिंसक व्यवहार करने पर कड़ी सजा के साथ जुर्माना भी लगाया जाता है। समाज में फैली इस तरह की कुरुतियों से निपटने के लिए हमें लोगों को जागरूक करना चाहिए और स्वयं भी दहेज लेना और देना नहीं चाहिए।
Dowry System Essay in Hindi 250 words
भारतीय समाज में लड़की की शादी के समय लड़की के माता-पिता उसे उपहार स्वरूप कई चीजें देते थे, जो आज भी चला आ रहा है। इसे ही दहेज कहा जाता है, जिसमें नकदी समेत, घर का सामान, फर्नीचर आदि और सोने-चांदी के आभूषण भी शामिल होते हैं। यह प्रथा कई सदियों से चली आ रही है, जिसमें वधु के माता-पिता अपनी स्वेच्छा और खुशी से अपनी बेटी के विवाह में देते थे। लेकिन इस परंपरा के चलते उन परिवारों को भी अपने बेटियों को दहेज देना पड़ता था जो आर्थिक रूप से इतने सक्षम नहीं होते थे।
कई परिवार जो दहेज देने में सक्षम नहीं होते हैं, लेकिन वे अपनी क्षमता से बाहर दहेज देते हैं। इसके बाबजूद कई बार लड़कियों को विवाह के बाद भी दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता है, और उन्हें धमकाया भी जाता है। समय के साथ इस प्रथा ने आज इतना भयानक रूप ले लिया है, कि दहेज के लिए ससुराल पक्ष हिंसात्मक रूप ले लेते हैं। जिसके चलते महिलाओं के साथ मार पीट करना, उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाना, यहां तक की उन्हें जिंदा जला भी दिया जाता है।
हालांकि देश में आज दहेज प्रथा को लेकर कानून है, लेकिन अब समय आ गया है, की आम नागरिक होने के नाते हम इसे लेकर कोई कदम उठाएं। विवाह के समय वर वधु को दोनों ही पक्ष को आर्थिक रूप से अपना सहयोग देना चाहिए, ताकि दहेज जैसी प्रथा को आगे बढ़ावा न मिल सके।
Dahej Pratha Essay in Hindi for Class 8 (300 words)
प्रस्तावना (Dowry system essay introduction)
विवाह के समय माता-पिता द्वारा वधु को जो उपहार और नकदी आदि भेंट स्वरूप दिया जाता है, उसे दहेज कहते हैं। यह उपहार माता-पिता अपनी बेटी के विवाहित जीवन के अच्छे से निर्वाह और वर-वधु दोनों को आर्थिक रूप से सहयोग करने की दृष्टि से देते हैं। समाज में आर्थिक रूप से सक्षम परिवार अपनी बेटियों को कई तरह से दहेज देने में समर्थ होते हैं, लेकिन असमर्थ परिवारों की बेटियों को उनके माता-पिता इतना दहेज देने में समर्थ नहीं होते है, जिसके कारण विवाह के बाद ससुराल पक्ष द्वारा महिला पर दहेज नहीं देने के चलते अत्याचार और हिंसात्मक व्यवहार किया जाता है।
दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव (Dowry system bad effects in india)
दहेज प्रथा के प्रचलन से समाज में निम्न दुष्प्रभावों को देखा गया है।
- दहेज के नाम पर विवाहित महिला के साथ घरेलू हिंसा होना।
- महिला के साथ मार पीट करना एवं अभद्र व्यवहार करना।
- महिला को दैनिक जीवन की आवश्यक वस्तुओं से वंचित रखना, उन्हें खाना न देना।
- दहेज न देने के लिए बार बार महिला को मानसिक रूप से उलाहना देना और उसे तंग करना।
- विवाहित महिला को आत्महत्या के लिए उकसाना या ससुराल पक्ष द्वारा महिला की हत्या कर देना।
दहेज प्रथा को रोकने के उपाय (Dowry system prevent in india)
दहेज प्रथा को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा दहेज निषेध अधिनियम 1961 को लागू किया गया है। लेकिन आम नागरिक होने के नाते यह हमारा भी कर्तव्य बनता है, की हम इस तरह की प्रथा का समर्थन न करें। हमें समाज में स्त्री शिक्षा और उनके अधिकारों की बात को प्रभावी ढंग से सामने रखना चाहिए। महिलाओं को समाज में पुरुष के समान अधिकार मिलने के पक्ष को व्यापक रूप से प्रसारित करना चाहिए।
निष्कर्ष (Dowry system conclusion essay)
हर माता-पिता को चाहिए, कि वे अपनी बेटियों को सही शिक्षा देकर उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने का अवसर प्रदान करें, ताकि वे आर्थिक रूप से सक्षम हो सकें। शादी के समय वर पक्ष और वधू पक्ष दोनों को ही उन्हें आर्थिक रूप से सहयोग करना चाइए ताकि किसी एक पक्ष पर दहेज के लिए दवाब न रहे। इस तरह के कदम उठाकर ही दहेज प्रथा जैसी कुरुतियों को रोका जा सकेगा।
Dahej Pratha Essay in Hindi for Class 10 (500 words)
प्रस्तावना (Dowry system essay introduction)
एक सभ्य समाज बाहर से जितना सुदृढ़ दिखाई देता है। वह अंदर से उतना ही खोखला होता है, जिसे सबसे ज्यादा खोखला किया है, समाज के अंधविश्वास और उसकी कुरुतियों ने। हालांकि कोई भी कुरूती प्रथम बार में किसी अच्छी रीति की तरह ही शुरू की जाती है। लेकिन समाज के घृणित विचार रखने वाले व्यक्ति इसे कुरूति में बदल देते हैं। इसी तरह दहेज प्रथा को शादी के बाद नए वर-वधु को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए शुरू की गई थी। जिसमें कई बार वधु के माता-पिता प्रेमवश भी अपनी बेटी को ढेरों उपहार देते थे। लेकिन यह रीति एक अभिशाप के रूप में समाज में फैल गया, जिसकी जड़ों ने समाज को अंदर से खोखला कर दिया है।
दहेज प्रथा के दुष्प्रभाव (Dowry system bad effects on society)
दहेज प्रथा का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव, जो समाज में निकल कर आया है, वह है कन्या भ्रूण हत्या। लड़कियों की शादी के समय अत्यधिक दहेज की मांग के कारण, माता-पिता अपनी बेटियों को बोझ समझने लगे थे। जो माता-पिता आर्थिक रूप से अच्छे नहीं होते थे, वे बेटियों के पैदा होने के बाद भी उन्हें मार देते थे। वहीं लड़कियों को पढ़ाया भी नहीं जाता था। लड़कियों के पढ़े लिखे न होने के कारण उन्हें रोजगार के अवसर भी नहीं मिल पाते थे, इसलिए वे आर्थिक रूप से दूसरों पर निर्भर रहती थीं। यह स्थिति आज भी कई जगहों पर देखने को मिलती है। यही कारण है की लड़कियों को नीची दृष्टि से देखा जाता है, और उनके साथ दुर्व्यवहार और अत्याचार होता है।
दहेज निषेध अधिनियम (dowry prohibition act, 1986)
दहेज प्रथा पर रोक लगाने के लिए भारत सरकार द्वारा दहेज निषेध अधिनियम 1961 को लाया गया। कई अभियान चलाकर लड़की की शादी के समय दहेज देने और लेने के लिए रोक लगाई गई। लड़कियों की पढ़ाई के लिए कई योजनाएं निकाली गई, ताकि माता-पिता अपनी बेटियों को पढ़ा सकें। शादी जीवन का एक बहुत बड़ा फैसला होता है। इससे पहले लड़कियों को पढ़कर अपने पैरों पर खड़े होने का अवसर जरूर देना चाहिए। ताकि वे स्वयं आर्थिक रूप से मजबूत हो सकें और उन्हें अपनी जरूरतों के लिए किसी अन्य पर निर्भर न रहना पड़े। कई वर्षों के संघर्ष के बाद आज दुनियां इस बात को समझ रही है।
उपसंहार (Dowry system conclusion essay)
आज इक्कीसवीं सदी में होने के बावजूद इंसान सामाजिक कुरुतियों से गुजर रहा है, जो की समाज की दयनीय स्थिति को दर्शाता है। हम पढ़े लिखे युवा ही हैं, जो इन कुरुतियो का बहिष्कार कर एक स्वस्थ समाज बना सकते हैं। यह अब हम सभी की जिम्मेदारी बनती है, की हम मानव समाज में फैलाई इस
तरह की कुरुति का विरोध करें। लड़कियों को चाहिए कि वे स्वयं पढ़ लिखकर अपना आर्थिक और मानसिक विकास करें। ताकि इस तरह की स्थिति में बेहतर ढंग से लड़ सकें और अपना बचाव कर सकें। लड़कियों को स्वयं को इतना सक्षम कर लेना चाहिए ताकि वे अपनी वित्तीय जरूरतों के लिए किसी और पर निर्भर न रहें। तभी इस तरह की कुप्रथाओं को बढ़ावा मिलने से रोका जा सकता है।
Dowry system bad effects essay in Hindi
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