Dashara per Nibandh: दशहरा पर निबंध

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Dashara per Nibandh

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essay on dussehra in hindi (100 words)

हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक दशहरा भी एक मुख्य त्योहार है। जिसे भारत के हर राज्य में धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार नवरात्रि के नौ दिनों के खत्म होने के अगले दिन दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम ने राक्षस रावण का वध किया था जिसके उपलक्ष में हर साल दशहरा का त्योहार मनाया जाता है।

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इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। लोग इस दिन रावण का पुतला बनाकर दहन करते हैं, कहीं कहीं तो यह पुतला कई फिट ऊंचा भी बनाया जाता है जिसे देखने हजारों की संख्या में लोग आते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए मनाया जाता है।

dashara ka nibandh (150 words)

दशहरा हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में एक है जिसे भारत में बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के मनाया जाता है। दशहरा यूं तो सभी जगह एक ही प्रकार से मनाया जाता है जिसमें रावण के पुतले का दहन किया जाता है। लेकिन इसे मनाए जाने के दो कारण है पहला यह कि इसी दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था, और दूसरा यह कि देवी दुर्गा ने नौ दिनों के भीषण युद्ध के बाद राक्षसों का संहार किया था। इस दिन राक्षसों के रूप में बुराई का अंत हुआ था और मां दुर्गा और श्री राम जी की विजय हुई थी।

इसलिए ही इस दिन को विजयादशमी भी कहा जाता है। माता के नौ दिनों तक विधिवत पूजन के बाद ही दशमी के दिन दशहरे का आयोजन किया जाता है। दशहरे की शाम सभी लोग एक साथ एकत्रित होकर रावण के पुतले का दहन करते हैं।

dussehra par nibandh (200 words)

दशहरे का त्यौहार हिंदुओं के त्योहारों में से एक मुख्य त्योहार है इस त्यौहार को मनाने का उद्देश्य बुराई पर अच्छाई की जीत के बारे में बताना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार कई दिनों के भीषण युद्ध के बाद श्री राम ने दशानन रावण का वध किया था जिसके बाद से दशहरा मनाने की प्रथा प्रारंभ हुई। श्री राम भगवान द्वारा रावण को यह वचन दिया गया था कि कलयुग के समय पर जब आप अपनी चरम सीमा पर होगा तब लोग आपका पुतला जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत का महत्व समझ सकेंगे।

दशहरे मनाने का मुख्य उद्देश्य है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर क्यों ना हो परंतु एक दिन अच्छाई के सामने अवश्य हार जाती है।  दशहरे का त्यौहार मनाने का एक मुख्य कारण यह भी है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था इसलिए माता के मंदिर के पास दशहरे के दिन सुबह से ही रावण का पुतला बनाया जाता है।

हर दशहरे की शाम रावण के पुतले के दहन से पहले रामलीला तथा दशहरे मेले का आयोजन किया जाता है अंत में सभी लोग एक साथ एकत्रित होकर रावण के पुतले का दहन करते हैं और  इसके अगले दिन सभी लोग अपने प्रियजनों से भेंट करते हैं और उन्हें बधाइयां भी देते हैं। बच्चे इस दिन बहुत ही खुश होते हैं क्योंकि उन्हें बड़े और बुजुर्ग लोगों से आशीर्वाद लेने पर उपहार मिलते हैं।

Dashara per Nibandh
Dashara per Nibandh

dashara per nibandh (250 words)

दशहरा यह वही दिन है जो हमें बुरे कर्मों पर अच्छे कर्मों की जीत के बारे में बताता है और हमें अपने जीवन में अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करता है। बुराई के रास्ते पर चलने से आपको जीवन में सफलता अवश्य प्राप्त होती है परंतु यहां कुछ समय के लिए होती है इसलिए हमेशा अपने जीवन में अच्छाई की राह पर चलें आपको अवश्य सफलता प्राप्त होगी।

दशहरे के दिन देवी देवताओं की पूजा की जाती है इसके साथ-साथ माता के मंदिरों में गरबे का आयोजन किया जाता है। 9 दिन की नवरात्रि मनाने के बाद दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है इन 9 दिनों में प्रत्येक दिन माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दशहरा मनाने के कई कारण है पुरानी मान्यताओं के अनुसार श्रीराम द्वारा रावण का वध किया गया था और माता दुर्गा द्वारा राक्षस महिषासुर का वध किया गया था जिसे विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।

दशहरे के दिन लोग अपने घरों की साफ-सफाई करते हैं तथा अपने वाहन और कारखानों में उपलब्ध मशीनों की भी पूजा करते हैं। दशहरे की शाम सभी लोग एक साथ एकत्रित होकर रावण कुंभकरण और रावण के पुत्र मेघनाथ के पुतले का दहन करने की पारंपरिक रस्म निभाते हैं। अच्छाई की आग में जलने वाले रावण के साथ लोग अपनी बुराइयां भी वही जला देते हैं। दशहरे के अगले दिन लोग एक दूसरे को शुभकामनाएं देकर बड़ों का आशीर्वाद तथा छोटों को प्यार देकर यह त्यौहार मनाते हैं। 

dussehra essay in hindi (300 words )

प्रस्तावना

हमारे भारत में दशहरा क्यों मनाते हैं यह तो सब जानते हैं और दशहरा हमारे जीवन में कितना महत्व रखता है इसके बारे में भी लोग भली भांति जानते हैं। दशहरा अच्छाई पर बुराई के जीत के रूप में मनाया जाने वाला त्यौहार है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है?

इस दिन भगवान श्रीराम ने महाबली राक्षस रावण का वध किया था और उसे उसके बुरे कर्मों की सजा दी थी। 3 दिन माता दुर्गा ने महिषासुर राक्षस का वध किया था और बुराई पर जीत हासिल की थी इसलिए इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है। दशहरे से 9 दिन पहले नवरात्रि मनाई जाती है नवरात्रि में माता पार्वती के नौ रूपों की पूजा की जाती है और दसवें दिन बड़ी धूमधाम के साथ दशहरा मनाया जाता है। 

भारत में दशहरा कैसे मनाया जाता है?

बड़े-बड़े शहरों में दशहरे मैदान पर रावण मेघनाथ कुंभकरण के पुतले बनाए जाते हैं इन फूलों को बनाने के लिए घास फूस लकड़ी तथा पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है। दशहरे की शाम रामलीला के कार्यक्रम के बाद सभी लोग एकत्रित होकर रावण दहन का आनंद उठाते हैं। दशहरे के अगले दिन कई जगहों पर हवन किए जाते हैं इसके साथ-साथ कन्या भोज भी कराया जाता है। नवरात्रि के 9 दिनों में जिन जगहों पर गरबे का आयोजन किया जाता है दशहरे के दिन वहां कन्याओं को पुरस्कार भी दिया जाता है।

उपसंहार

दशहरे के त्यौहार के बाद हिंदुओं के और भी कई त्यौहार प्रारंभ होते हैं दशहरे के ठीक 10 से 15 दिन बाद दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। दशहरे के दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और दिवाली के दिन भगवान श्री राम अपने राज्य अयोध्या वापस आए थे इसी खुशी में दिवाली मनाई जाती है। दशहरे के त्यौहार से सीख लेकर हमेशा अच्छाई की राह पर आगे बढ़ना चाहिए।

dussehra in hindi essay (400 words)

प्रस्तावना

हिंदुओं के सबसे मुख्य त्योहार दिवाली की शुरुआत दशहरे के बाद ही होती है। दशहरे का पर्व हमारे देश में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है और उसे विजयादशमी भी कहा जाता है। 9 दिन मां दुर्गा की पूजा उपासना के बाद दसवे दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है इस दिन रावण के पुतले का दहन किया जाता है।

दशहरा मनाया जाने का कारण 

 त्रेता युग में जब श्री राम ने रावण को उसके बुरे कर्मों की सजा देने के लिए उसका वध किया था तभी से उसकी मृत्यु के रूप में दशहरे का दिन मनाया जाता है। दशहरे से जुड़ी एक कथा यह भी है कि माता दुर्गा ने कई दिनों तक युद्ध कर कर दशहरे के दिन महिषासुर राक्षस का वध किया था इसके बाद इस दिन को विजयदशमी के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन श्री राम और माता दुर्गा ने बुराई का अंत किया था।

भारत में दशहरा कैसे मनाया जाता है?

दशहरे के पूर्व 9 दिनों तक नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है तथा दशहरे के दिन माता की प्रतिमा की पूजा कर के नवरात्रि का समापन किया जाता है और अगले दिन रावण की प्रतिमा जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी मनाई जाती है। रावण दहन से पहले रामलीला का आयोजन किया जाता है और इसके साथ साथ दशहरे का मेला भी लगाया जाता है। मेले के आनंद के साथ-साथ रावण के पुतले को जलाकर दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है।

दशहरा की राजधानी

यूं तो दशहरा भारत के हर राज्य में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है लेकिन कोलकात्ता में दशहरा अलग जी धूम देखने को मिलती है। इसलिए ही कोलकाता को दशहरे की राजधानी भी कहा जाता है। दशहरे के अगले दिन सभी लोग एक दूसरे को बधाइयां देकर बड़ों से आशीर्वाद लिया जाता है और अपने से छोटों को प्यार देते है और अपने रिश्तेदारों के घर जाकर एक दूसरे के गले मिलकर मिठाई खिलाकर इस त्यौहार की खुशी मनाते हैं।

essay on dussehra in hindi (500 words)

प्रस्तावना

अश्विन मास की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली दशमी तिथि के दिन दशहरे का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों की धूम धाम के बाद दशहरे को भी बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। दशहरे के दिन लोग अपने घरों में साफ-सफाई करतें है तथा लोग अपने वाहनों और कारखानों में स्थित मशीनों की पूजा करते हैं। दशहरे के दिन को बड़ा शुभ माना जाता है इसीलिए लोग इस दिन नए कार्य का शुभारंभ करते हैं।

दशहरा क्यों मनाया जाता है?

दशहरा मनाया जाने के पीछे दो कथाएं प्रचलित है जिसमें सबसे विख्यात कथा भगवान श्री राम की है। भगवान श्री राम ने इसी दिन कई दिनों के युद्ध के बाद राक्षस रावण का वध किया था। जिसके बाद से रावण का पुतला दहन की पारंपरिक रस्म निभाई जाती है। और लोगों को अच्छाई की राह पर चलने के लिए प्रेरणा दी जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन माता दुर्गा ने शुंभ निशुंभ राक्षसों का वध किया था। इसलिए भी बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में दशहरा मनाया जाता है। हमारे पुराणों में दशहरे से जुड़ी और भी कई कथाएं हैं जिनका संबंध दशहरे से बताया जाता है। दशहरा पर्व से जुड़ी कुछ अन्य कथाएं

  1. श्री राम द्वारा रावण का वध
  2. पांडवों का वनवास
  3. देवी सती का आत्मदाह
  4. माता दुर्गा द्वारा असुर महिषासुर का वध
दशहरा कैसे मनाया जाता है?

इस दिन देवी मां दुर्गा और भगवान श्री राम जी का पूजन किया जाता है। इस दिन शस्त्रों और वाहनों की पूजा करने का भी विधान है। इस दिन लोग पंडालों में रावण के साथ कुंभकरण और रावण के पुत्र मेघनाथ के भी पुतले बनाए जाते हैं जिसे सामान्य तौर पर लकड़ी और घांस फूंस आदि से बनाया जाता है। इसमें लोग पटाखे भी लगाते हैं जो पुतला जलाया जाने के बाद बड़ी ही शोर के साथ फूटते हैं। कई स्थानों पर रावण के दहन से पहले रामलीला का कार्यक्रम किया जाता है तथा दशहरे का मेला भी आयोजित किया जाता है। रावण के पुतले दहन के बाद लोग एक दूसरे को शमी पत्र (सोना चांदी) की पत्तियां देकर बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं ।और बुराई पर अच्छाई की जीत खुशी मनाते हैं।

उपसंहार

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माने जाने वाला दशहरा का त्यौहार हमें कई अच्छी सीख देता है। जैसे अपने बल और विद्या का उपयोग हमें सही जगह करना चाहिए। रावण और महिषासुर जैसे बलवान राक्षस अपने बुरे कर्मों के लिए श्री राम और मां दुर्गा के द्वारा वध कर दिए गए, क्योंकि उन्होंने बुराई का रास्ता चुना था। इसलिए हमें हमेशा अच्छे कार्यों द्वारा अपने चरित्र का निर्माण करना चाहिए। बुराई चाहे कितनी भी बड़ी हो या मजबूत हो पर आखिर में जीत सच्चाई की होती है इसलिए जीवन में अच्छाई का महत्व समझें और अपने जीवन को अच्छाई की राह पर ले कर चलना चाहिए।

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