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Durga Puja Par Nibandh
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भारत में होने वाली दुर्गा पूजन विश्व में सबसे प्रसिद्ध मानी जाती है। कहा जाता है कि नवरात्रि के 9 दिनों में माता ने महिषासुर और अन्य कई असुरों का वध किया था इसका उत्सव मनाने के लिए ही इन दिनों में माता का विशेष पूजन रखा जाता है। दुर्गा पूजा 9 दिनों तक मनाई जाती है, इन 9 दिनों माता के अलग-अलग रूपों को पूजा जाता है। यहां नौ रूप माता पार्वती के माने जाते हैं और कहा जाता है कि माता ने असुरों का संहार करने के लिए युद्ध में नौ रूप लिए थे और इन्हीं नौ रूपों को नवरात्रि में पूजा जाता है।
नवरात्रि के 9 दिनों के बाद दसवे दिन श्री राम ने रावण का वध किया था और इसलिए इस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है। विश्व में सबसे प्रसिद्ध दुर्गा पूजा बंगाल की मानी जाती है. यहां पर लोग भांति-भांति की क्रियाकलापो से माता को प्रसन्न करने की कोशिश करते है। माता द्वारा यह वरदान भी दिया गया है कि जो लोग 9 दिन तक माता की उपासना करते हैं उन्हें खुश करने के लिए भक्ति से प्रयास सकते हैं, माता उनकी सभी इच्छाओं को पूरी करती है। दुर्गा पूजन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बताया गया है।
durga puja par lekh (दुर्गा पूजा पर निबंध 300 शब्दों में)
दुर्गा पूजन हिंदुओं के मुख्य त्योहारों में से एक है। दुर्गा पूजन का हिंदुओं में एक विशेष महत्व है और यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक की तरह मनाया जाता है। दुर्गा पूजा में 9 दिनों तक माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है।
कहा जाता है कि इसी दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था और श्री राम भगवान ने रावण के बात करने के लिए इसी दिन माता का आवाहन किया था। माता द्वारा शक्ति प्रदान करने के बाद श्री राम भगवान ने रावण का वध किया, और उस दिन को दशानन के वध के रूप में दशहरा मनाया जाने लगा। 9 दिनों की दुर्गा पूजा के बाद दसवे दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन लोग रावण की प्रतिमा बनाकर उसे जलाते हैं और ऐसा करना लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत के बारे में बताता है।
9 दिन के इस त्यौहार पर लोग कई तरह से माता को खुश करने का प्रयास करते हैं। कुछ लोग 9 दिन तक उपवास रखते हैं तो कुछ लोग 9 दिन तक बिना चप्पल पहने घूमते हैं। जिस से जितना हो सके उतना कठिन व्रत उपवास करके मां दुर्गा को खुश करने की कोशिश करते हैं। नवरात्रि के 9 दिन माता के नौ रूपों में से किसी एक रूप की पूजा की जाती है।
दुर्गा पूजन की शुरुआत बंगाल से हुई थी। पश्चिम बंगाल में माता दुर्गा का पूजन सबसे पहले आरंभ हुआ था। और बंगाल व कोलकाता की दुर्गा पूजन विश्व में सबसे प्रसिद्ध है। यह 9 दिन का त्यौहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है और कहीं-कहीं पर गरबे व सांस्कृतिक नृत्य करके माता को खुश करने की कोशिश की जाती है। गुजरात प्रांत का गरबा विश्व में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है। यहां के कलाकारों को विशेष तौर पर गरबा प्रस्तुति के लिए बुलाया जाता है।
essay on durga puja in hindi
भारत में मनाए जाने वाले मुख्य त्योहारों में से दुर्गा पूजन भी एक मुख्य त्यौहार। दुर्गा पूजन मनाने के कई कारण हमारे पुराणों में बताए गए हैं। कहा जाता है कि माता पार्वती ने शुंभ निशुंभ युद्ध करते हुए नौ रूप लिए थे। यह युद्ध माता और असुरों के बीच में 9 दिनों तक लड़ा गया था और इन 9 दिनों में माता ने हर दिन अपने नए रूप के साथ असुरों से युद्ध किया माता का हर रूप पिछले रूप से कई गुना शक्तिशाली माना गया है। माता के नौ रूप का वर्णन इस प्रकार है,
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कूष्माण्डा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
यहां माता माता के नौ रूप है जिन्हें नवदुर्गा के रूप में पूजा जाता है। नवदुर्गा में माता के पूजन के लिए विशेष तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं कहीं पर गरबे किए जाते हैं तो कहीं पर भजन किए जाते हैं।
दुर्गा पूजन अश्विन माह में चांदनी रात में शुक्ल पक्ष में 6 से 9 दिनों तक मनाया जाता है और दसवे दिन विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है क्योंकि इस दिन माता दुर्गा ने राक्षसों पर विजय प्राप्त की थी और इसी दिन श्री राम भगवान ने रावण का भी वध किया था। रावण के वध होने पर इस दिन को दशहरे के रूप में मनाया जाता है, और इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक बनाकर प्रचारित किया जाता है।
नव दुर्गा पूजन के लिए दुर्गा माता की बड़ी खूबसूरत और मनमोहक प्रतिमा बनाई जाती। सभी लोग बड़ी धूमधाम के साथ मां दुर्गा की प्रतिमा की पूजा करते हैं। कहा जाता है कि भगवान शंकर की पत्नी सती के आत्म बलिदान के बाद मां दुर्गा का जन्म हुआ था। मां दुर्गा को हिमाचल और मेंका की पुत्री माना जाता है। माता की उपासना के साथ-साथ नवदुर्गा में और भी कई तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं जैसे कि कन्या भोजन गरबे सांस्कृतिक नृत्य और कई तरह की प्रतियोगिता भी कराई जाती हैं। मां दुर्गा की सबसे विशेष और अनोखी पूजा बंगाल में की जाती है यहां औरतें मां दुर्गा के साथ सिंदूर की होली खेलती है।
दुर्गा पूजन का त्यौहार कुछ स्थानों पर बड़ी पौराणिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। असम, त्रिपुरा, बिहार, मिथिला, झारखंड, उड़ीसा, मणिपुर, पश्चिम बंगाल यहां पर सभी जगह माता के अलग-अलग रूपों की विशेष उपासना की जाती है। बिहार और बंगाल में पेड़ की पत्तियों को लूटने की एक विशेष प्रथा चली आ रही है कहा जाता है कि कोष्टा नामक एक राजकुमार ने अपने गुरु जी को गुरु दक्षिणा देने के लिए कुबेर भगवान से प्रार्थना कर “शानू और आपति” पेड़ की पतियों कौन स्वर्ण की मुद्रा में परिवर्तित करा दिया था और जभी से आपत्ती के पत्तियों को लूटने के माध्यम से इस रस्म को निभाया जाता है। 9 दिनों की पूजा और अनुष्ठान के बाद दसवे दिन माता की विदाई की जाती है माता की प्रतिमा को पवित्र जल में विसर्जित किया जाता है। माता का विसर्जन भी बड़ी धूमधाम के साथ किया जाता है।
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