Dussehra Essay in Hindi: दशहरा पर निबंध

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Dussehra Essay in Hindi

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Essay On Dussehra Hindi 100 Words

हिंदू धर्म के लोगों द्वारा साल में कई सारे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में रक्षाबंधन, नवरात्रि, दीपावली, होली इत्यादि शामिल है। इनके अलावा दशहरा भी हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे हिंदू धर्म के लोग काफी धूमधाम के साथ मनाते हैं। दशहरे के इस त्यौहार को असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक भी माना जाता है। यह त्योहार भारत के हर राज्य में अलग-अलग रस्मों-रिवाजों के साथ बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है।

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दशहरा मुख्य रूप से नवरात्रि के नौ दिनों के पश्चात अगले दिन दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था। इसके उपलक्ष्य में दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है। दशहरे के दिन सभी लोग रावण का पुतला बनाकर उसका दहन करते हैं ,कहीं-कहीं तो यह पुतला कई फीट ऊंचा भी बनाया जाता है ,जिसे देखने के लिए भारी संख्या में लोग आते है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी को मनाने के लिए मनाया जाता है।

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Dussehra Par Nibandh 200 Words

दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है, जिसे भारत के हर राज्य में बड़ी धूमधाम और हर्षोउल्लास  के साथ मनाया जाता है। दशहरा यूं तो सभी जगह पर एक ही प्रकार से मनाया जाता है, जिसमें रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है। लेकिन इसे मनाने के कई सारे अन्य कारण माने जाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार दशहरे के दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था एवं देवी दुर्गा ने नौ दिनों के भीषण युद्ध के बाद दशमी के दिन राक्षसों का संहार किया था। दशहरा इन दोनों पुरानी कथाओं के कारण मनाया जाता है, लेकिन इसे मनाने का उद्देश्य केवल बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी को मनाना होता है। दशहरा का त्योहार भारत में हर साल नवरात्रि के बाद मनाया जाता है।

भारत में प्रतिवर्ष सितंबर, अक्टूबर के माह में नवरात्रि का जश्न मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों के बाद दसवे दिन रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है। हिंदू धर्म को मानने वाले सभी लोग इस त्यौहार को काफी महत्व देते हैं, वे इस त्यौहार को मनाने के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करते हैं। जिसमें लाखों लोगों को बुराई पर अच्छाई की जीत देखने के लिए बुलाया जाता है।

इस दिन भगवान श्री राम ने और माता दुर्गा ने अधर्म पर विजय प्राप्त की थी, इसलिए इसे विजयदशमी भी कहा जाता है। दशहरा का त्यौहार मनाने से पहले 9 दिनों तक विधि-विधान के साथ माता की पूजा की जाती है। 9 दिनों की पूजा के बाद दसवें दिन सभी लोग एकत्रित होकर रावण का पुतला बनाकर उसका दहन करते हैं। रावण का जलता हुआ यह पुतला सभी को प्रेरणा देता है, कि इंसान कितना ही विद्वान और ज्ञानी क्यों ना हो लेकिन अधर्म की राह पर चलने से हमेशा उसकी दुर्दशा ही होती है।

Dussehra Essay in Hindi
Dussehra Essay in Hindi

Dashara Puja Par Nibandh 300 Words 

भारत देश में हर साल दशहरा बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म में देवी-देवताओं को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है, देवी देवताओं द्वारा समय-समय पर बढ़ते हुए अधर्म को खत्म करने के लिए राक्षसों के साथ कई भीषण युद्ध किए गए हैं। दशहरा अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाए जाने वाला त्यौहार। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम ने वनवास के दौरान रावण से कई दिनों तक भीषण युद्ध किया और दशहरे के दिन ही उन्होंने महाबली रावण का वध किया था और उसे उसके बुरे कर्मों की सजा दी थी। इसके अलावा माता दुर्गा ने भी महिषासुर के साथ कई दिनों तक भीषण युद्ध किया था और दशहरे के दिन ही उन्होंने महिषासुर का वध कर विजय प्राप्त की थी।

इसलिए इस त्यौहार को विजयदशमी के रूप में भी मनाया जाता है। दशहरे से ठीक 9 दिन पहले नवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। नवरात्रि में माता जी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, और दसवें दिन बड़ी धूमधाम के साथ सभी लोग दशहरा मनाते हैं। दशहरे के दिन देश के बड़े-बड़े शहरों में दशहरा मैदान पर रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाए जाते हैं। इन्हें बनाने के लिए लकड़ी, घास फूस से तथा पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है। दशहरे के दिन सभी जगह पर रामलीला का भी आयोजन किया जाता है। सभी लोग मिलकर रामलीला का आनंद उठाते हैं और बाद में एकत्रित होकर रावण का दहन करते हैं।

नवरात्रि के दौरान कई जगहों पर गरबे का आयोजन किया जाता है, इसलिए दशहरे के अगले दिन हवन के साथ-साथ कन्या भोज भी कराया जाता है। दशहरे के अगले दिन बहुत सारी कन्याओं को पुरस्कार भी दिया जाता है, जिन्होंने रामलीला एवं गरबे में भाग लिया हो। दशहरे के बाद ही हिंदुओं के प्रमुख त्योहार प्रारंभ होते हैं। दशहरे के ठीक 10 से 15 दिनों के बाद दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। दिवाली के दिन भगवान राम रावण का वध कर अपने राज्य अयोध्या वापस आए थे। इसी खुशी में सभी अयोध्यावासियों द्वारा उनका दीप जलाकर स्वागत किया गया था, तभी से दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। दशहरा का त्यौहार हमें हमेशा अच्छाई की राह पर चलने की सीख देता है।

Dussehra Essay in Hindi 500 Words

प्रस्तावना

दशहरा का त्योहार सभी हिंदुओं के लिए काफी महत्व रखता है। यह त्यौहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष को पढ़ने वाली दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। आश्विन मास की शुक्ल पक्ष को पढ़ने वाली दशमी से पहले नौ दिनों तक बड़े धूमधाम से माता पार्वती के नौ रूपों की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। उसके अगले दिन बड़े उल्लास के साथ दशहरा मनाया जाता है। इस वर्ष दशहरा 24 अक्टूबर 2023 को मनाया जाएगा। दशहरे का दिन काफी शुभ माना जाता है। इस दिन सभी लोग अपने-अपने कार्य स्थल की पूजा करते हैं, एवं नए-नए शुभ कार्यों का शुभारंभ करते हैं। सभी व्यापारियों द्वारा इस दिन विधि विधान के साथ सभी उपकरणों की पूजा की जाती है।

दशहरा क्यों मनाया जाता है?

दशहरे का त्यौहार मनाने की पीछे दो पुरानी कथाएं प्रचलित है, जिसमें सबसे ज्यादा विख्यात कथा भगवान श्री राम की है। पुरानी कथाओं के अनुसार भगवान श्री राम ने कई दिनों के युद्ध के पश्चात दशहरे के दिन महाबली राक्षस रावण का वध किया था। रावण का वध करने के बाद उन्होंने रावण को वचन दिया था कि जब-जब बुराई अपनी चरम सीमा पर होगी लोग तुम्हारा पुतला जलाकर अच्छाई की ताकत से परिचित हो सकेंगे। इसके बाद से रावण का पुतला दहन की पारंपरिक रस्म में प्रारंभ हुई। पुरानी कथाओं के अनुसार इसी दिन माता दुर्गा ने शुंभ निशुंभ नामक राक्षसों का वध किया था, इसलिए भी बुराई पर अच्छाई की प्रतीक के रूप में दशहरे का त्यौहार मनाया जाता है।

दशहरा कैसे मनाया जाता है?

दशहरे का त्यौहार नवरात्रि के नौ दिनों के बाद मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में पूरे विधि विधान के साथ माता पार्वती के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि समाप्त होने के पश्चात दसवें दिन यानी की दशमी के दिन सभी लोग एकत्रित होकर यज्ञ हवन करते हैं एवं संध्या के समय रावण का पुतला जलते हैं। रावण का पुतला बनाने के लिए लकड़ी घास-फूस और पटाखों इत्यादि का इस्तेमाल किया जाता है।

भारत के कई बड़े-बड़े शहरों में दशहरा मैदान पर बड़े-बड़े कारीगरों को बुलाकर विशेष रूप से रावण के पुतले के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले का निर्माण किया जाता है। रावण दहन करने से पहले सभी लोग एक साथ एकत्रित होकर रामलीला का आनंद उठाते हैं, एवं भगवान राम के स्वरूप द्वारा रावण का वध किया जाता है। दशहरे के अगले दिन सभी लोग अपने प्रिय जनों को मिलकर उन्हें सोनापत्ती भेंट करते हैं, एवं उनका आशीर्वाद लेते हैं।

उपसंहार

दशहरे का त्यौहार हमें कई सारी अच्छी सीख देता है। यह हमें विशेष रूप से बुराई पर अच्छाई की जीत की सीख देता है। दशहरे का त्यौहार हमें यह सीख देता है ,कि सभी इंसानों को अपने बल और विद्या का उपयोग सही स्थान पर करना चाहिए। यदि रावण और महिषासुर जैसे राक्षसों ने अपने ज्ञान और बल का उपयोग सही जगह किया होता तो आज लोगों द्वारा उनके पुतले का दहन ना किया जाता। रावण और महिषासुर जैसे बलवान राक्षसों के बुरे कर्मों के कारण ही भगवान श्री राम और माता दुर्गा ने उनका वध किया। जब-जब किसी व्यक्ति द्वारा बुराई का रास्ता चुना जाता एवं बुराई की राह पर चलकर अधर्म किया जाता है, तो उस व्यक्ति का विनाश निश्चित होता है। बुराई कितनी ही मजबूत या बड़ी हो आखिर में जीत सच्चाई की ही होती है।

Dussehra Essay in Hindi 1000 Words

प्रस्तावना

दशहरा भारत में रहने वाले हिंदू धर्म के लोगों द्वारा मनाया जाने वाला उत्सव है। दशहरे कहां यह त्यौहार हिंदू धर्म के सभी लोगों द्वारा पूरे उत्साह विश्वास प्यार और सम्मान के साथ मनाया जाता है। सभी लोगों के लिए दशहरे का त्योहार काफी अच्छा होता है। इस त्यौहार के दौरान लंबी छुट्टियां रहती हैं जिस कारण सभी लोग बड़ी खुशी के साथ इस त्यौहार को मनाना पसंद करते हैं।

दशहरा का त्योहार वैसे तो नवरात्रि के बाद आता है लेकिन इसकी तैयारी नवरात्रि के साथ ही हो जाती है। सभी लोग रावण दहन के लिए काफी उत्सुक नजर आते हैं। लोगों द्वारा दशहरे से पहले अपने घरों के साथ सजावट की जाती है एवं नवरात्रि के नौ दिनों में नौ देवियों की विधि विधान के साथ पूजा की जाती है। दशहरे के दिन सभी लोग अपने घरों पर एवं अपने कार्य स्थल पर विशेष पूजा करते हैं।

दशहरा से जुड़ी रीती रिवाज और परंपरा

भारत देश दुनियां का एकमात्र देश है, जो अपनी परंपरा और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां पर हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों द्वारा सारे त्यौहार बड़ी खुशी और जोश के साथ बनाए जाते हैं। दशहरे का पर्व हिंदुओं के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है इसलिए भारत की सरकार द्वारा भी दशहरे के उत्सव पर राजपत्रित अवकाश की घोषणा की जाती है। दशहरे का अर्थ है, बुराई के राजा रावण पर अच्छाई के राजा राम की जीत।

इस पर्व को मुख्य रूप से दशहरा इसलिए कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान राम ने 10 कर वाले राक्षस रावण का वध किया था और 9 दिनों के लंबे युद्ध के बाद दसवें दिन माता दुर्गा ने भी राक्षसों का वध किया था इसीलिए इसे दशहरा कहा जाता है। दशहरे का त्योहार पूरी रीती -रिवाज के साथ मनाया जाता है इस दिन सभी लोग अपने घरों पर विशेष यज्ञ एवं कन्या भोज का आयोजन करते हैं। इस दिन सभी व्यापारियों द्वारा अपने-अपने उपकरणों की पूजा की जाती है। साल भर माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहे इसलिए घरों की साफ-सफाई कर देवी-देवताओं की अच्छी तरह से पूजा की जाती है। संध्या के समय सभी लोग दशहरा मैदान पर एकत्रित होकर पहले राम लीला का आनंद उठाते हैं, उसके बाद अंत में रावण का पुतला दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत की खुशी मनाते हैं।

दशहरा का महत्व

दशहरा पर्व का हर व्यक्ति के जीवन में बहुत महत्व है। इस दिन सभी लोगों को अपने अंदर पल रही बुराई को खत्म कर जीवन की नई शुरुआत करना चाहिए। जिन लोगों का मन बुराई से खराब हो चुका है, उन लोगों को बुराई की भावना खत्म कर अच्छाई की भावना को अपने भीतर जागृत करना चाहिए। सभी लोगों को इस त्योहार से यह सीख अवश्य लेना चाहिए की बुराई कितनी ही बड़ी और ताकतवर क्यों ना हो, लेकिन अच्छाई के आगे उसे झुकना ही पड़ता है।

दशहरे का त्यौहार अपने साथ कई सारी खुशियों को लेकर आता है। इस त्यौहार को सभी लोगों द्वारा जश्न की तरह मनाया जाता है। इस जश्न को मनाने के लिए सबकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं, किसानों के लिए फसल घर आने का जश्न, बच्चों के लिए राम द्वारा रावण के वध का जश्न, बड़ों के लिए बुराई पर अच्छाई का जश्न, व्यापारियों के लिए नए उद्योग शुरू करने का जश्न इत्यादि। दशहरे के दिन को काफी शुभ और पवित्र माना जाता है, इस दिन सभी लोग अपने-अपने प्रिय जनों को सोनापत्ती देकर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

विजयादशमी से जुड़ी कथाएं: दशहरे के दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी और माता दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस पर इसीलिए इस त्यौहार को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। विजयदशमी से जुड़ी कई सारी पुरानी कथाएं हैं जिनमें से कुछ विशेष कथाएं इस प्रकार हैं।

  • भगवान राम का रावण पर विजय वैसे तो दशहरा मनाने के कई सारे कारण है, लेकिन दशहरा मुख्य रूप से भगवान राम द्वारा रावण के वध किए जाने पर मनाया जाता है। कई दिनों तक चल भीषण युद्ध के बाद भगवान राम ने दसवें दिन 10 सिर वाले राक्षस रावण का वध किया था, तभी से रावण दहन की प्रथा चली आ रही है। रावण का वध करने के पश्चात भगवान राम ने उसे वचन दिया था, कि जब-जब कलयुग में पाप अपने चरम सीमा पर होगा तब तक लोग तुम्हारा दहन कर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाएंगे।
  • पांडव का वनवास पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों को दशहरे के दिन ही बनवास प्राप्त हुआ था और जब पांडवों का वनवास खत्म हुआ था और वह घर वापस आए थे उस दिन भी दशहरा ही था। दशहरे पर घर आने के बाद पांडवों ने कौरवों से युद्ध करने का निर्णय लिया और महाभारत का युद्ध प्रारंभ हुआ।
  • माँ दुर्गा द्वारा महिषासुर का वध: माता दुर्गा और महिषासुर के युद्ध के बारे में हिंदू धर्म को मानने वाले सभी लोग जानते हैं। पुरानी कथाओं के अनुसार माता दुर्गा और महिषासुर के बीच 9 दिनों तक काफी भीषण युद्ध चला था। दसवें दिन माता ने महिषासुर का वध कर उसे पर विजय प्राप्त की थी। तभी से दशहरे को विजयदशमी के नाम से भी जाने जाने लगा।
दशहरा का मेला

भारत देश के कई बड़े-बड़े शहरों में दशहरे के अवसर पर विशेष रूप से मेले आयोजित किए जाते हैं। भारत में दशहरे के अवसर पर लगने वाले कुछ मौके काफी प्रसिद्ध है जिनमें दशहरे के समय कोटा में लगने वाला मेला, कोलकाता का मेला, वाराणसी का दशहरा मेला इत्यादि काफी प्रसिद्ध है। दशहरे के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है, इसलिए सभी लोग सुबह जल्दी उठकर विधि-विधान के साथ माता की पूजा कर शाम को दशहरे के मेले में घूमने के लिए निकल जाते हैं। दशहरे का यह मेला दशहरा मैदान में आयोजित किया जाता है, जहां पहले से ही रावण के साथ-साथ मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला बनाकर तैयार रखा होता है।

सभी लोग मेले में जाकर खाने-पीने की चीजों का लुक उठाते हैं। थोड़ी शाम होते ही सभी लोग रामलीला का लुफ्त उठाना प्रारंभ करते हैं। देव रात्रि तक रामलीला देखने के बाद सभी लोग एकत्रित होकर रावण के पुतले का दहन करते हैं, और एक दूजे को दशहरे की बधाई देते हैं। इस दिन सड़कों पर भारी भीड़ होती है, लोग गांव से शहरों में दशहरे का मेला देखने के लिए आते हैं, जिसे दशहरा मेला के नाम से जाना जाता है। इतिहासकार बताते हैं, कि दशहरे का जश्न महाराजा दुर्जन साल सिंह हांडा के शासनकाल में सबसे पहले मनाया गया था। उसके बाद से धीरे-धीरे पूरे भारत देश में दशहरे का जश्न मनाया जाने लगा।

श्री राम की रावण पर विजय का दिन

माता सीता का अपहरण कर रावण उन्हें लंका ले आता है और अशोक वाटिका में कैद कर देता है। भगवान श्री राम अपनी पत्नी देवी सीता को रावण के बंधन से मुक्त करने के लिए और धर्म की स्थापना करने के लिए रावण से युद्ध करते हैं। भगवान राम और रावण के बीच यह युद्ध काफी दिनों तक चला ऐसा माना जाता है, कि आश्विन मास की शुक्ल पक्ष को पड़ने वाली दशमी तिथि के दिन भगवान राम ने 10 सर वाले रावण का वध किया था।

भगवान राम ने रावण का वध कर दोबारा से धर्म की स्थापना की थी। उत्तर भारत में दशहरे के दिन रावण मेघनाथ और कुंभकरण का पुतला बनाकर उनका दहन किया जाता है। इस पुतले का दहन करने के साथ-साथ लोग अपने अंदर पाल रही बुराई कभी दहन करते हैं। दशहरे के दिन विशेष रूप से रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें कुछ लोग रामायण के पात्रों का अभिनय करते हैं एवं रावण वध करके लोगों को दशहरे की बधाई देते हैं।

निष्कर्ष

हिंदू धर्म ग्रंथ रामायण में ऐसा कहा गया है, की देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए और देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए राजा राम ने चंडी हवन करवाया था। चंडी हवन संपन्न होने के बाद दसवें दिन भगवान राम को रावण का वध करने का राज पता चला था और उन्होंने रावण पर विजय प्राप्त की थी। रावण का वध करने के बाद श्री रामजी सम्मान पूर्वक माता-पिता को वापस लेकर आए थे।

इस दशहरे के उत्सव को दुर्गोत्सव भी कहा जाता है क्योंकि इस दसवें दिन माता दुर्गा ने भी महिषासुर नामक एक असुर का वध किया था। बुराई चाहे पहाड़ के समान क्यों ना हो और सच्चाई एक छोटी सूई के बराबर लेकिन जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है। जीवन में सच्चाई का महत्व समझाने के लिए ही कई देवी-देवताओं ने अनेकों राक्षसों का वध किया है, उन्होंने हमेशा लोगों को अच्छी और नेक राहों पर चलने की सीख दी है।

Dashara Puja Par Nibandh

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