Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Hindi

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Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Hindi

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Essay on Dr Bhimrao Ambedkar in Hindi (200 words)

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर हमारे भारत देश के एक महान रत्न थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को लाखों लोग अपनी प्रेरणा का स्रोत मानते हैं। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर एक महान नायक होने के साथ महान व्यक्तित्व के धनी व्यक्ति थे। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में हुआ था। बचपन से ही भीमराव अंबेडकर ने काफी संघर्ष किया। बचपन से ही भीमराव अंबेडकर छुआछूत जैसी सामाजिक सोच से पीड़ित हुए।

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छोटी जात में जन्म लेने के कारण भीमराव अंबेडकर को बचपन से ही शिक्षा प्राप्त करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। बचपन में जब भीमराव अंबेडकर विद्यालय जाते थे तो उन्हें वहां सहपाठियों द्वारा काफी बेइज्जत किया जाता था। लेकिन भीमराव अंबेडकर को पढ़ाई का काफी शौक था और ऊंच-नीच छुआछूत की इस सोच को खत्म करने के लिए उन्होंने एक वकील बनने का निर्णय लिया।

गरीब परिवार से होने के कारण उनके पास शिक्षा प्राप्त करने के लिए पैसे नहीं थे इसलिए बड़ौदा के राजा द्वारा उन्हें छात्रवृत्ति दी गई जिससे वे विदेश जाकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर पाए। अपने पूरे जीवन काल में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने दलित समुदाय के लोगों को समानता का अधिकार दिलाने की कोशिश की। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने भारत के संविधान में दलित समुदाय के लोगों को आरक्षित वर्ग के रूप में स्थापित किया है।

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Dr Babasaheb Ambedkar Par Nibhand in Hindi (300 words)

प्रस्तावना 

भीमराव अंबेडकर को भारत देश में बाबासाहेब अंबेडकर के नाम से भी जाना जाता है। भीमराव अंबेडकर एक न्यायवादी राजनेता, अर्थशास्त्री लेखक समाज सुधारक के रूप में जाने जाते हैं। भीमराव अंबेडकर ने अपना पूरा जीवन समाज से उच्च नीच छुआछूत की सोच को खत्म करने में लगा दिया। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर द्वारा दलित समाज के लोगों को समान अधिकार दिलाने के लिए कई सारे आंदोलन चलाए गए थे।

Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Hindi
Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Hindi

बचपन से ही छुआछूत और ऊंच-नीच का शिकार होने के बावजूद भी वे पढ़ लिख कर एक कुशल वकील बने। डॉक्टर भीमराव अंबेडकर विदेश जाकर अर्थशास्त्र की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बने। भीमराव अंबेडकर का दलित समुदाय के लिए संघर्ष: दलित समुदाय में जन्म लेने के कारण बचपन से ही भीमराव अंबेडकर को काफी ऊंच-नीच का सामना करना पड़ा। जब भीमराव अंबेडकर विद्यालय में पढ़ने जाते थे, तो जब उन्हें पानी पीना होता था तो चपरासी द्वारा उन्हें ऊपर से पानी पिलाया जाता था।

इसके अलावा उनके गांव में या आसपास के शहरों में दलित समुदाय के लोगों को उच्च जाति के लोगों द्वारा तालाब का पानी या कुए का पानी पीने नहीं दिया जाता था। इस ऊंच-नीच को खत्म करने के लिए डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने 20 मार्च 1927 को महाड़ सत्याग्रह की शुरुआत की। अंबेडकर द्वारा दलित समुदाय की महिलाओं को भी उच्च जाति की महिलाओं की तरह साड़ी पहनने का अधिकार दिलाया।

निस्कर्ष

भीमराव अंबेडकर महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए हरिजन आंदोलन में भी शामिल हुए उन्होंने इस आंदोलन में शामिल होकर ऊंची जाति वाले लोगों द्वारा नीची जाति वाले लोगों पर किए जा रहे अन्याय के खिलाफ भी आवाज उठाई। भीमराव अंबेडकर शुरू से ही बड़े क्रांतिकारी स्वभाव के रहे उन्होंने ऐसे हिंदू ग्रंथ जो ऊंच-नीच की सीख देते थे उनका भी तिरस्कार करना शुरू कर दिया।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का कहना था कि हिंदू धर्म में काफी ऊंच-नीच होती है। यहां पर लोगों को समानता के साथ जीने का अधिकार नहीं है। इसलिए उन्होंने 1956 में बौद्ध धर्म अपना लिया था। भीमराव अंबेडकर का कहना था कि जिस धर्म में ऊंच-नीच होती हो और इंसान को उसकी जाति के हिसाब से जाना जाता हो उस धर्म का विकास कभी नहीं हो सकता। 

Bhimrao Ambedkar Biography In Hindi ( 500 word)

भीमराव अंबेडकर का प्रारंभिक जीवन

भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू छावनी में हुआ था। भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम श्री राम जी राव और माता का नाम भीमाबाई अंबेडकर था। इनके पिता भारतीय सेना में सूबेदार के पद पर थे।1894 में उनके पिता का ट्रांसफर सातारा हो गया भीमराव अपने पूरे परिवार के साथ सातारा चले गए। 4 साल बाद भीमराव अंबेडकर की भीमाबाई का निधन हो गया जिसके बाद उनकी देखभाल उनकी चाची ने की।

उनकी मां की मृत्यु हो जाने के बाद उनके पिता ने दोबारा शादी की और मुंबई चले गए फिर 15 वर्ष की आयु में भीमराव अंबेडकर की शादी रामाबाई जी के साथ हुई। 15 वर्ष की आयु में शादी हो जाने के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और समाज से उच्च नीच को खत्म करने के लिए प्रयास करते रहे।

भीमराव अंबेडकर की शिक्षा

दलित समुदाय से होने के कारण उन्हें शिक्षा प्राप्त करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। मुंबई जाने के बाद उन्होंने एल्फिंस्टन हाई  स्कूल में प्रवेश लिया और मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद 1960 में एल्फिंस्टन कॉलेज में दाखिला लिया।

इतने बड़े कॉलेज में पढ़ने वाले भीमराव अंबेडकर अकेले दलित वर्ग के इंसान थे। 1912 में भीमराव अंबेडकर ने मुंबई विश्वविद्यालय से राजनीतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र की डिग्री प्राप्त की। बड़ौदा के राजा द्वारा छात्रवृत्ति मिलने के बाद वह अर्थशास्त्र का अध्ययन करने के लिए न्यूयॉर्क चले गए। वहां उन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया।

जून 1915 में भीमराव अंबेडकर ने अर्थशास्त्र के साथ-साथ समाजशास्त्र दर्शन इतिहास और राजनीति जैसे विषयों में मास्टर डिग्री प्राप्त की उसके बाद उन्होंने 1916 में लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में प्रवेश लेकर,रुपया की समस्या इसकी उत्पत्ति का समाधान शोध पर काम किया। इसके बाद अंबेडकर 1920 में इंग्लैंड गए जहां उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की और 1927 में उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की।

अंबेडकर का राष्ट्र और समाज के लिए योगदान

स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद भीमराव अंबेडकर को विधि मंत्री बनाया गया। भारत का संविधान भी भीमराव अंबेडकर द्वारा लिखा गया है। भीमराव अंबेडकर ने अपना सारा जीवन समाज से उसने को खत्म करने में लगा दिया उन्होंने दलित समाज के लोगों को समानता का अधिकार दिलाने के लिए कई सारे आंदोलन भी किए। भीमराव अंबेडकर हमेशा सभी लोगों को अपने अधिकार के लिए लड़ने की प्रेरणा देते थे।

समाज में ब्राह्मणों द्वारा बहिष्कार करने के बाद भी भीमराव अंबेडकर ने अपने और अपने समाज के लोगों के लिए समानता का अधिकार पाने के लिए राज्यसभा में आवाज उठाई। उन्होंने भारत के संविधान में दलित समुदाय के लोगों को समानता का अधिकार दिलाने के लिए आरक्षण की मांग की। ऊंची जाति के लोगों के तरह ही दलित जाति के लोगों को भी रोजगार शिक्षा और अच्छे जीवन का अधिकार दिलाया।

भीमराव अंबेडकर का धर्म परिवर्तन

भीमराव अंबेडकर दलित समाज से होने के कारण उनका सारा जीवन काफी कष्टों में बीता। उन्होंने ऐसे हिंदू ग्रंथ जो जात पात के नाम पर भेदभाव करते थे उनका तिरस्कार किया और दुनिया के सारे धर्म और ग्रंथ पढ़ना शुरू कर दिए। सभी धर्मों के बारे में पढ़ने के बाद उन्हें बौद्ध धर्म सबसे अच्छा लगा। उनका कहना था कि बौद्ध धर्म में सभी लोग एक ही धर्म के होते हैं, यहां लोगों में जातिवाद ऊंच-नीच नहीं होती।

इसलिए भीमराव अंबेडकर और उनके लाखों समर्थकों ने 14 अक्टूबर 1956 को बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। अंबेडकर का मानना था, कि जिस हिंदू धर्म में लोगों को उनकी जात पात से जाना जाता है, और लोगों को समानता का अधिकार नहीं दिया जाता ऐसे धर्म का विकास हो पाना असंभव है।

निष्कर्ष

भीमराव अंबेडकर का निधन 6 दिसंबर 1956 को हुआ था। उनकी मृत्यु होने के बाद उन्हें भारत रत्न के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। भीमराव अंबेडकर भारत के एक ऐसे राजनेता थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन समाज और राष्ट्र में एकता और समानता बनाए रखने के लिए व्यतीत कर दिया।

अंबेडकर ने दलित समाज के पुरुषों को और महिलाओं को अन्य समाज के लोगों की तरह जीने का अधिकार दिलाया। इसलिए पूरे भारत में उनके जन्मदिवस पर 14 अप्रैल को भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई जाती है। बराबर का अधिकार दिवस भी कहा जाता है। भीमराव अंबेडकर लाखों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत है उन्होंने सभी दलित समाज के लोगों को पढ़ लिखकर योग्य बनने की प्रेरणा दी है।

हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Hindi जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह डॉ भीमराव आंबेडकर जीवनी पीडीएफ अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Essay on Dr Babasaheb Ambedkar in Lines कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.

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