Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi: गणेश चतुर्थी पर निबंध

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Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

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ganesh chaturthi nibandh (गणेश चतुर्थी पर निबंध 100 शब्द)

भगवान गणेश सभी देवों में सबसे पहले पूजा जाने वाले भगवान हैं. जिनकी पूजा सभी शुभ कार्य करने के सबसे पहले की जाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार हर साल गणेश चतुर्थी को भगवान गणेश जी का जन्मदिन मनाया जाता है. हमारे देश में गणेश चतुर्थी को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. गणेश चतुर्थी 11 दिनों का एक लंबा पर्व होता है. गणेश उत्सव पर भगवान गणेश की मूर्ति लाई जाती है और उनकी स्थापना की जाती है. गणेश जी को लड्डू बहुत ज्यादा पसंद है इसलिए उनको लड्डुओं का भोग लगाया जाता है इसके साथ ही उन्हें मोदक भी पसंद है. गणेश उत्सव सभी लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं.

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गणेश चतुर्थी पर भाषण

ganesh utsav nibandh in hindi (गणेश चतुर्थी पर निबंध 200 शब्दों में)

भगवान श्री गणेश के जन्मदिन के रूप में हम हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाते हैं. यह त्यौहार करीब 11 दिनों तक चलता है. वैसे तो गणेश चतुर्थी संपूर्ण भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी की एक अलग ही धूम होती है. जिस में भी खास करके मुंबई में इसकी रौनक देखते ही बनती है. जहां पर गणेश उत्सव के दौरान संपूर्ण देश के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां देखने आते है.

कहा जाता है कि गणेश जी का जन्म माता पार्वती के मैल से हुआ था. वहीं से भगवान गणेश का जन्म माना जाता है. भगवान गणेश को सभी देवी देवताओं में सर्वप्रथम पूजा जाता है. किसी भी शुभ कार्य को करने के सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. गणेश चतुर्थी को ही गणेश उत्सव और गणेश पर्व कहा जाता है. भगवान गणेश को तेज बुद्धि और समृद्धि का देवता भी माना जाता है.

गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश को मोदक और लड्डू का भोग लगाया जाता है. भगवान गणेश जी को लड्डू और मोदक बहुत प्रिय है. वही भगवान गणेश की सवारी मूषक यानी चूहों को माना जाता है. गणेश चतुर्थी को ही विनायक चतुर्थी या विनायक छवि भी कहा जाता है.

Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi
Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi

ganesh chaturthi in hindi essay (गणेश चतुर्थी पर निबंध 300 शब्दों में)

प्रस्तावना

हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी बहुत ही प्रिय त्योहार है इस त्यौहार या उत्सव को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. विशेष तौर पर बच्चे भगवान गणेश को बेहद पसंद करते हैं और उनकी पूजा करके तेज बुद्धि और समृद्धि की कामना करते हैं. 

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

हिंदू धर्म की पौराणिक कथाओं के मुताबिक माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष महीने की चतुर्थी तिथि (उज्जवल पखवाड़े के चौथे दिन) हुआ था. इसीलिए हर साल हम गणेश चतुर्थी मनाते हैं. गणेश चतुर्थी ना केवल हिंदू धर्म बल्कि अन्य समुदाय द्वारा भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाला पर्व है. भगवान गणेश जी का जन्म मां पार्वती के मैल से हुआ था. 

गणेश चतुर्थी कब शुरू हुई?

वैसे तो गणेश भगवान की पूजा युगो-युगो से होती आ रही है लेकिन गणेश चतुर्थी की शुरुआत पहली बार महाराष्ट्र के पुणे में सार्वजनिक तौर पर वर्ष 1893 में की गई थी. महाराष्ट्र में लोकमान्य तिलक ने गणेश चतुर्थी की शुरुआत की थी. 

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी को ही गणेश उत्सव, विनायक चतुर्थी, गणेश पर्व और भी विभिन्न नामों से जाना जाता है. हमारे देश में गणेश चतुर्थी का बहुत ही महत्व है. गणेश चतुर्थी के दिन सभी लोग घर में भगवान गणेश जी की स्थापना करते हैं. और उनकी पूजा करते हैं और 11 दिन अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान गणेश जी का विसर्जन किया जाता है.

उपसंहार

हिंदू धर्म की पुरानी कथाओं के अनुसार गणेश जी जब घर में आते हैं यानी जब उनकी स्थापना की जाती है. तब वह घर में सुख समृद्धि और सभी के लिए खुशियां लेकर आते हैं और जब वह घर से जाते हैं यानी विसर्जन के लिए जाते हैं तब घर की सारी बाधाएं और परेशानियां अपने साथ ले जाते हैं. सभी बच्चे अगले साल फिर से गणपति बप्पा को जल्दी आने की कामना करते हैं.

ganesh chaturthi essay in hindi

प्रस्तावना

गणेश चतुर्थी  हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक त्योहार है इस दिन गणेश जी की प्रतिमा को देश के हर घर गली मोहल्ले व राज्य में पांडाल बनाकर स्थापित किया जाता है। बड़े-बड़े और भव्य पंडाल लगाए जाते हैं जहां गणेश जी की मूर्ति बिठाई जाती है और लोग बड़ी धूमधाम से गणेश जी का स्वागत करते हैं। गणेश जी को खुश करने के लिए लोग कई तरह के प्रसाद बनाकर उन्हें चढ़ाते भी हैं। गणेश जी को देवता में प्रथम देव कहा जाता है इसलिए उन्हें सभी देवताओं से पहले हर शुभ काम के लिए याद किया जाता है।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाते हैं?

गणेश चतुर्थी का धार्मिक और पौराणिक महत्व है। कहा जाता है चतुर्थी के दिन दोपहर में शिवजी और पार्वती जी के पुत्र गणेश जी का जन्म हुआ था इसलिए गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।उनके जन्मदिन के रूप में 11 दिनों तक गणेश चतुर्थी मनाई जाती है तथा धूमधाम से गणपति बप्पा का अपने घर में स्वागत किया जाता है। वैसे तो हिंदुओं में सभी देवताओं को उतना ही सम्मान दिया जाता है परंतु गणेश जी को अपना भगवान मानते हैं क्योंकि वह खुद चलकर लोगों के घर आते हैं। गणेश जी को सबसे प्रिय भगवान भी माना जाता है और यह बच्चों के सबसे पसंदीदा भगवानों में से एक है। गणेश जी को घर लाने से रिद्धि सिद्धि भी साथ आती है और कहा जाता है कि 10 दिन बप्पा को अपने घर में बिठाने से घर की सारी परेशानी दूर हो जाती है और घर खुशियों से भर जाता है।

गणेश चतुर्थी किसने और कब शुरू की?

गणेश चतुर्थी की शुरुआत भारत में सबसे पहले बाल गंगाधर तिलक द्वारा महाराष्ट्र में की गई थी। गणेश जी को पांडाल बनाकर गली चौराहों पर बिठाने का मुख्य कारण यह था की पांडाल में भीड़ को इकट्ठा करके आजादी की आवाज को और बुलंद किया जाए। क्योंकि अंग्रेजों द्वारा भारत में किसी भी त्योहार को मनाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था जिसके कारण लोगों का एक साथ इकट्ठा हो पाना थोड़ा मुश्किल हो रहा था इसलिए इस समस्या का हल निकालने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने महाराष्ट्र में सबसे पहले गणेश पांडाल बनाकर गणेश चतुर्थी का आगमन किया। और वैसे भी महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का त्योहार सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी का त्योहार सारी दुनिया में फेमस है। महाराष्ट्र में गणेश जी बिठाने से लेकर उनके विसर्जन तक इस त्यौहार को बड़ी ही अलग तरीके से मनाया जाता है।

गणेश विसर्जन का इतिहास

गणेश चतुर्थी का त्योहार बप्पा के अवतरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार अनंत चतुर्थी के दिन गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। इस विसर्जन के पीछे एक बड़ी वजह भी है। कहा जाता है कि जब वेदव्यास जी ने गणेश जी को महाभारत कथा सुनाई और उसे लिखने के लिए कहा महाभारत बोलते बोलते वेदव्यास जी की आंख लग गई और जब 10 दिन बाद उनकी आंख खुली तो गणेश जी का शरीर गर्मी से बहुत गर्म हो गया था इसके बाद उन्होंने गणेश जी को उठा कर उनके शरीर को ठंडा करने के लिए जल में विसर्जित किया तभी से गणेश विसर्जन की परंपरा चली आ रही है। और यह भी कहा जाता है कि गणेश जी को विसर्जित करने से गणेश जी अपने धाम जाकर आपके सभी दुख दर्द को अपने साथ ले जाते हैं। गणेश जी को विसर्जित करते वक्त लोग भावुक भी हो जाते हैं।

गणेश चतुर्थी का महत्व

गणेश चतुर्थी का त्योहार खुशी और उमंग का त्योहार है। इस दिन से लेकर अलग 10 दिनों तक रौनक रहती है और सब लोग एक साथ मिलकर पूजन आरती करती हैं। सभी लोग साथ इक्कठे होते हैं और सुबह और शाम के समय पूजा करते हैं। सभी जगह खुशी का माहौल होता है सब विघ्न हरता से अपने जीवन के विघ्नों को हरने के लिए प्रार्थना करते हैं और यह कामना करते हैं कि जाते-जाते हमारी सारी परेशानियों को बप्पा अपने साथ लेते जाना। लोग सुबह शाम की आरती के बाद रात को गणेश जी के पंडाल में भजन कीर्तन भी बड़ी धूमधाम से करते हैं। कहा जाए तो 10 दिनों तक गली मोहल्लों में एक तरह का मेला लगा रहता है। सालों से गणेश चतुर्थी को एक त्यौहार की तरह मनाया जाता है और यह त्यौहार हिंदुओं को एक साथ जुड़े रहने के लिए भी अहम भूमिका निभाता है। हमारे गणेश जी मन के बड़े चंचल और भोले भगवान माने जाते हैं इसलिए लोग उन्हें तरह-तरह का भोजन प्रसादी चढ़ा कर खुश करने की कोशिश करते हैं और बप्पा लोगों की इस भावना को देखकर उनके सारे कष्टों को अपने साथ ले जाते हैं।

उपसंहार 

गणेश चतुर्थी खुशी का त्योहार है जिसमें सभी लोग साथ मिलकर खुशियां मनाते हैं और बप्पा का स्वागत और पूजा करते हैं। गणेश जी को बैठक तक पंडालों और आस पास के गली मौहल्ले में वातावरण बना रहता है। गणेश विसर्जन के दिन बप्पा को विसर्जित किया जाता है और विसर्जन के लिए गणेश जी को बड़ी धूमधाम से अपने घरों से लेकर नदी तक ले आ जाया जाता है तथा विसर्जित करने से पहले बप्पा की एक अंतिम आरती की जाती है और कहा जाता है कि हे विघ्नहर्ता जाते-जाते हमारे जीवन के सारे दुख दर्द अपने साथ लेते जाएं और हमारे जीवन को खुशहाली प्रदान करते जाएं।

ganesh chaturthi in hindi essay

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