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Essay on Kabir Das In Hindi
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Essay On Kabir Das In Hindi 100 Words
महान संत कबीर दास जी का जन्म शिव की नगरी काशी में 1398 ईस्वी का माना जाता है। उनके पिता का नाम नीरू और माता का नाम नीमा था। महान संत कबीर दास जी का जन्म एक विधवा ब्राह्मणी के घर हुआ था जिन्होंने समाज के डर के कारण अपने बालक को तालाब के किनारे रख दिया जिसे लहरतारा नाम से जाना जाता था। तालाब के किनारे गुजर रहे एक मुस्लिम दंपति ने उसे बालक को उठाया और अपने पुत्र की तरह उसका लालन पोषण किया। उसे मुस्लिम दंपति द्वारा उसे बालक का नाम कबीर दास रखा गया। कबीर दास जी ने बचपन में शिक्षा प्राप्त नहीं की लेकिन उन्होंने साधु संतों की संगत की जिस कारण उन्होंने अपने ज्ञान की आपूर्ति पूरी की। संत कबीर दास जी के प्रथम गुरु संत रामानंद स्वामी थे, जिन्होंने कबीर दास जी को आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक ज्ञान प्रदान किया।
Kabir Das Par Nibandh 200 Words
कबीर दास जी एक महान कवि होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थे। कबीर दास जी का जन्म उत्तर प्रदेश के काशी में लहरतारा के पास सन 1398 में हुआ था। इनके पिता का नाम नीरू और माता जी नाम नीमा था। उन्होंने अपने आध्यात्मिक गुरु रामानंद जी से शिक्षा प्राप्त करने के बाद सारा जीवन समाज सेवा में व्यतीत करने का निर्णय लिया। कबीरदास जी ने समाज में बढ़ रही सभी प्रकार की कुरीतियों का बढ़-चढ़कर विरोध किया। उन्होंने सभी लोगों को एक ही ईश्वर में आस्था रखने की प्रेरणा दी और साथ में छुआछूत जैसी सामाजिक बीमारियों को दूर रखने की शिक्षा दी।
कबीर दास जी ने अपने दोहों के माध्यम से लोगों को काफी सीख दी। इसके अलावा उन्होंने लोगों को अपने कर्म के प्रति ईमानदार होने की शिक्षा प्रदान की। कबीर दास जी हमेशा कहते थे ,कि अगर आप पत्थर की मूर्ति की पूजा करते हैं ,तो ईश्वर की प्राप्ति कभी नहीं होगी. मूर्ति को पूजना पहाड़ को पूजने के समान है। अगर आपको ईश्वर की प्राप्ति करना है, तो सच्चे मन से पूजा अर्चना करने के साथ-साथ ईश्वर की भक्ति में मन लगाना होगा। इसके अलावा ईश्वर द्वारा रचित इस दुनिया में मौजूद सभी प्राणियों के साथ प्रेम भावना के साथ रहना होगा। कबीर दास जी द्वारा लिखित सभी दोहे समाज को सुधारने के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हुए हैं।
Mera Priya Kavi Kabir Das Par Niabndh 300 Words
संत कबीर दास जी भारत के एक महान कवि थे। जिन्हें एक आध्यात्मिक गुरु और समाज सुधारक के रूप में भी जाना जाता है। संत कबीर दास जी का जन्म 139 में उत्तर प्रदेश के काशी में लहरतारा के पास हुआ था। इनके पिता का नाम नीरू और माता जी का नाम नीमा था। कबीर दास जी की माता ने संतों की भक्ति कर आशीर्वाद प्राप्त कर के कबीर दास जी को जन्म दिया था। लेकिन उनकी माता विधवा थी, जिस कारण उन्होंने समाज के डर और लाज शर्म से अपने बेटे को तालाब के किनारे छोड़ दिया था। तालाब के किनारे से गुजर रहे एक मुस्लिम दंपति ने टोकरी में पड़े बालक को देखा और उसे अपने घर ले गए।
कबीर दास जी का लालन पोषण एक मुस्लिम परिवार द्वारा किया गया। वे बचपन में अधिक शिक्षा तो प्राप्त नहीं कर पाए लेकिन उन्होंने बचपन से ही साधु संतों की संगत में रहना शुरू कर दिया था। कबीर दास जी ने अपना पहला आध्यात्मिक गुरु स्वामी रामानंद जी को बनाया। स्वामी रामानंद जी ने कबीर दास जी को समझ में फैल रहे जातिवाद ,अत्याचार और अंधविश्वास को रोकने की शिक्षा प्रदान की। रामानंद जी से शिक्षा प्राप्त कर कबीर दास जी एक कवि और समाज सेवक बन गए। शिक्षा प्राप्त करने के बाद कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में व्यतीत कर दिया।
समाज में फैली कुरीतिया, पाखंड ,अत्याचार ,छुआछूत के विरोध में अपने कदम आगे बढ़े और समाज के लिए जरूरी सभी लड़ाई में अपनी अहम भूमिका निभाई। कबीर दास जी ने सभी लोगों को हमेशा यह शिक्षा दी है ,कि वे किसी भी धर्म की निंदा ना करें । सभी धर्म, सभी ईश्वर और सभी व्यक्ति एक समान होते हैं। इंसानों को आपस में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं रखना चाहिए ना ही हिंदू, मुस्लिम ,सिख, इसाई के नाम पर छुआछूत जैसी कुरीतियों को बढ़ावा देना चाहिए।
Kabir Das Essay in Hindi 500 Words
प्रस्तावना
भारत में ऐसे कई महान कवि हुए जिन्होंने हिंदी साहित्य से दुनिया की पहचान कराई। उन्होंने अपनी रचनाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध बनाया है। भारत में ऐसे कई महान कवि हुए जिन्होंने अपनी भक्ति और रचनाओं से विश्व में भारत का नाम रोशन किया है। इन कवियों में सूरदास, तुलसीदास, मीरा, महादेवी वर्मा ,जयशंकर प्रसाद ,पंत ,निराला, जायसी इत्यादि महान कवि शामिल हैं। इन सभी कवियों में महान कवि कबीर दास का भी विशेष स्थान है। कबीर दास के दोहे भारत के अलावा सारे विश्व में प्रसिद्ध है क्योंकि उनके दोहों में जीवन सुधारने लायक ज्ञान होता था।
प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा
भारत के महान कवि कबीर दास जी का जन्म सन 1398 ईस्वी में काशी के लहरतारा नामक क्षेत्र में हुआ था। पिता का नाम नीरू और माता का नाम नीमा था। कबीर दास जी के जीवन में कठिनाइयां उनके जन्म के साथ ही आ गई थी। उनका जन्म किसी ब्राह्मण कन्या के उदर से हुआ और उस कन्या ने लोक लाज के डर से उन्हें एक तालाब के पास छोड़ दिया। जहां से गुजर रहे एक मुस्लिम दंपति ने टोकरी में पड़े एक छोटे बच्चों को देखा और अपना लिया। उन्होंने उस बच्चे का लालन पोषण अपने पुत्र की तरह किया और उनका नाम कबीर दास रख दिया । कबीर दास जी ने वैसे तो अधिक शिक्षा प्राप्त नहीं की है ,लेकिन वे बचपन से ही साधु संतों की संगत में रहे हैं ,जिस कारण उनका ज्ञान और उनकी सोच बाकी लोगों से काफी अलग थी।
हिंदी साहित्य में कबीर का स्थान
कबीर दास जी ने ना तो किसी गुरु के पास शिक्षा ग्रहण की और ना ही किसी गुरु से काव्यशास्त्र का अभ्यास किया। परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि उनमें ज्ञान की कमी थी। भले ही उनमें परावलंबी ज्ञान ना रहा हो, परंतु स्वावलंबी ज्ञान की उनमें कोई कमी नहीं थी। कबीर दास जी ने बचपन से ही सत्संगो का ज्ञान प्राप्त किया। कबीर दास जी के सभी कवियों में और अलंकारों में विभिन्न छविया दिखाई देती थी। कुछ महान विद्वानों की नजर में कबीर दास की कविताएं अत्यंत दोषपूर्ण थी। लेकिन कबीर दास जी कविताओं के माध्यम से यश प्राप्ति नहीं करना चाहते थे। वे केवल कविता अपने भावों और विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए लिखते थे।
निष्कर्ष
कबीर दास जी एक ऐसे महान कवि थे ,जिनके बारे में हर व्यक्ति जानता है। कबीर दास जी ने अपने जीवन काल में कई सारी महत्वपूर्ण रचनाओं की है उनके द्वारा की गई सभी रचनाएं आज भी लोकप्रिय हैं। उनकी सभी रचनाओं में लोगों के लिए एक सिख होती थी इसीलिए कबीर दास जी को एक समाज सुधारक भी कहा जाता है। इन्होंने अपने दोहे और कविताओं के माध्यम से लोगों को जीवन जीने का सही तरीका बताया है ,सही गलत में फर्क करने की समझ प्रदान की है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से सभी लोगों तक सकारात्मक सोच पहुंचाई है,जिससे कि सभी लोग सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ सके।
Essay on Kabir Das in Hindi 800 Words
प्रस्तावना
महाकवि कबीर दास जी भक्ति काली युग में जन्मे हिंदी साहित्य के एक अनमोल कवि थे।जिनके जन्म से जुड़ी कई सारी कहानियां प्रचलित है, और ऐसा माना जाता है कि कबीर दास जी का जन्म 13वीं से 14वीं ई के बीच उत्तर प्रदेश के काशी में हुआ था। कबीर दास जी की माता एक ब्राह्मणी विधवा थी जिनका नाम नीमा था। उन्होंने ऋषि मुनियों के आशीर्वाद से कबीर दास जी को पुत्र के रूप में प्राप्त किया था, परंतु विधवा होने के कारण उन्होंने समाज के डर से अपने नवजात शिशु को तालाब के किनारे छोड़ दिया जिसे लहराता नाम से जाना जाता है। महाकवि कालिदास के जन्म से जुड़ी कई सारी कहानी है,जो यह बताती है कि उनके जीवन में जन्म से ही कठिनाइयों काफी रही है।
सामाजिक और सांस्कृतिक सुधार
कबीर दास जी की कविताओं से काफी लोगों ने शिक्षा प्राप्त की है। कबीर दास जी की शिक्षा का समाज और संस्कृति पर काफी गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज के लोगों को समानता, करुणा और सामाजिक न्याय से परिचित कराया है। कबीर दास जी द्वारा की गई रचनाओं पर काफी विद्वानों ने आपत्ति जताई ,लेकिन उन्होंने समाज और संस्कृति को सुधारने के लिए बिना किसी की चिंता किए कविताओं की रचना की। कबीर दास जी के दोहों को काफी अहमियत दी जाती है ,ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति उनके दोहों को समझ लेता है ,वह व्यक्ति जीवन जीने का तरीका सीख जाता है।
साहित्यिक योगदान
हिंदी साहित्य में कबीर दास जी का काफी योगदान रहा है। संत कबीर दास एक आध्यात्मिक शिक्षक होने के साथ-साथ एक विपुल कवि भी थे। उनके सभी छंदों को कबीर के दोहे रूप में जाना जाता है, जो कि उनकी सादगी, गहराई और काव्यात्मक सुंदरता के लिए काफी प्रसिद्ध है। कबीर दास जी ने अपने सभी दोहों की रचना काफी संचित और सुलभ तरीके से की है। वे अपने दोहों में आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ सामाजिक जागरूकता के लिए जरूरी ज्ञान को समाहित करते थे, जिससे उनके दोहे लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध थे। संत कबीर दास जी द्वारा रचित सभी दोहे हिंदी साहित्य के सबसे अच्छे उदाहरण माने जाते हैं। विश्व के सभी लोगों को हिंदी साहित्य से पहचान कबीर दास जी द्वारा करवाई गई है।
कबीर एक समाज उद्धारक
कबीर दास जी एक आध्यात्मिक गुरु और कवि होने के साथ-साथ एक समाज सुधारक भी थे। उन्होंने समाज के लोगों को काफी सिख प्रदान की।
सब धर्म एक हैं: संत कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन साधुओं और संतों के साथ समाज के सुधार में व्यतीत कर दिया। संत कबीर दास जी निराकार ब्रह्म के उपासक थे,वे मूर्ति पूजन का हमेशा खंडन करते थे। संत कबीर दास जी ने सभी लोगों को धर्म के प्रति सचेत होने को कहा था। उन्होंने कहा था कि इंसान का ना तो धर्म अलग है ,और ना ही इंसान, सभी धर्म और सभी इंसान एक समान है। कबीर दास जी जन्म से हिंदू थे, लेकिन उनका पालन पोषण एक मुस्लिम परिवार द्वारा किया गया था परंतु वे ना तो स्वयं को मुस्लिम बताते थे, और ना ही हिंदू। इसी बात पर उन्होंने एक रचना की थी जो की काफी लोकप्रिय रही।
“हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना
आपस में दोउ लड़ी-लड़ी मरे, मरम न जाना कोई।”
कबीर दास जी की रचनाएँ
कबीर दास जी काफी ज्ञानी व्यक्ति थे। उन्होंने स्कूली शिक्षा तो प्राप्त नहीं की लेकिन उन्हें हिंदी ,बज ,अवधि और भोजपुरी देशी भाषाओं का ज्ञान प्राप्त था। इन सभी भाषाओं के साथ-साथ वे राजस्थानी ,हरियाणवी जैसी खड़ी बोली भी बोलते थे। उनकी रचनाएं काफी सारी भाषाओं का मिश्रण होती थी। वे अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग तरह की रचनाएं करते थे।
इसलिए उनकी सभी रचनाओं की भाषा को ‘सधुक्कड़ी’ व ‘खिचड़ी’ कही जाती है। कबीर दास जी ने स्वयं शिक्षा ग्रहण नहीं की थी इसलिए उन्होंने स्वयं कोई ग्रंथ नहीं लिखा। उन्होंने अपने शिष्यों को बोलकर बताया एवं उनके शिष्यों ने ग्रंथ लिखे। कबीर दास जी द्वारा बीजक नामक एक ग्रंथ लिखवाया गया। इसके अलावा सुखनिधन,होली आगम जैसी रचनाएं भी कबीर दास जी ने की
निष्कर्ष
कबीर दास जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में व्यतीत कर दिया। उन्होंने समाज में चल रही कई सारी कुरीतियां को खत्म करने के लिए बेहिसाब संघर्ष किया। वे हमेशा उन लोगों का विरोध करते थे, जो भक्ति के नाम पर पाखंड करते थे। कबीर दास जी कहते थे भगवान कभी व्रत या उपवास से खुश नहीं होते क्योंकि आप व्रत और उपवास में झूठ बोलते हैं और जीव हत्या करते हैं।इससे कोई भी भगवान कभी खुश नहीं हो सकता। कबीर दास जी द्वारा सभी लोगों को यह सीख दी गई थी, कि सभी लोगों को अपने जीवन में हमेशा सत्य बोलना चाहिए। सत्य बोलने वाले पर भगवान हमेशा खुश रहते हैं। भारत के इतिहास में महाकवि कबीर दास जी का नाम सुनहरे अक्षरों में सुसज्जित है उनके द्वारा दिया गया योगदान हमेशा स्मरणीय रहेगा।
संत कबीर दास पर निबंध
हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Essay On Kabir Das In Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Essay On Kabir Das In Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Essay On Kabir Das In Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.
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