क्या आप भी global warming essay in hindi की तलाश कर रहे हैं? यदि हां, तो आप इंटरनेट की दुनिया की सबसे बेस्ट वेबसाइट essayduniya.com पर टपके हो. यदि आप भी global warming essay in hindi, global warming par nibandh, global warming par anuched, global warming paragraph in hindi, global warming anuched in hindi, global warming par nibandh hindi mein, global warming essay in hindi 100 words, global warming hindi nibandh, hindi speech on global warming यही सब सर्च कर रहे हैं तो आपका इंतजार यही पूरा होता है.
Global Warming Par Nibandh
यहां हम आपको एक global warming par nibandh उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध को आप कक्षा 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 और 12 के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. यदि आप को किसी स्पीच के लिए टॉपिक hindi speech on global warming मिला है तो आप इस लेख को स्पीच के लिए भी उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी निबंध प्रतियोगिता के लिए भी global warming par anuched लिखना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.
global warming essay in hindi 100 words (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 100 शब्द)
समय के साथ-साथ जिस तरह मानव जीवन परिवर्तित हुआ है उसी प्रकार हमारी पृथ्वी के पर्यावरण में भी काफी परिवर्तन हुआ है। पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड में सल्फर डाइऑक्साइड जैसी गैसों की मात्रा काफी बढ़ चुकी है। जिसके कारण वायुमंडल में बदलाव बेमौसम बारिश, सूखा, बाढ़ इत्यादि प्राकृतिक आपदाएं घटित हो रही है। वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड और ग्रीनहाउस इफेक्ट की मात्रा बढ़ जाने के कारण पृथ्वी के तापमान में काफी वृद्धि हो रही है जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण कारखानों से निकलने वाला विषैला धुआं है, जो कि पर्यावरण में रहकर हमारी ओजोन लेयर को प्रभावित कर रहा है। ग्लोबल वार्मिंग को होने से रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाना होंगे और जितना हो सके पर्यावरण को प्रदूषित होने से रोकना होगा।
global warming essay in hindi 200 words (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 200 शब्द)
पिछले कुछ सालों से पृथ्वी के तापमान में काफी वृद्धि हुई है यह सब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है। पर्यावरण में जहरीली गैसे जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, मीथेन काफी मात्रा में उपस्थित है जिसके कारण यह पृथ्वी के तापमान को बढ़ा रही है और फलस्वरुप हमें साधारण से अधिक गर्मी महसूस हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हिमालयन ग्लेशियर भी पिघल रहे हैं जिसके कारण बाढ़ व समुद्र का जलस्तर काफी बढ़ रही है।
ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण ग्रीनहाउस गैसेस को माना जा रहा है. जो कारखानों से निकलने के बाद पूरी तरह समाप्त नहीं होती है वातावरण में रहकर तापमान को बढ़ाने का कार्य करती है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारी ओजोन लेयर भी काफी प्रभावित हो चुकी है वैज्ञानिकों द्वारा कहा जा रहा है कि ओजोन लेयर में एक छेद हो चुका है जिसके कारण हमें और भी कई नुकसान पहुंच सकते हैं। ओजोन लेयर को वापस ठीक करने के लिए और ग्लोबल वार्मिंग को होने से रोकने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाकर पर्यावरण को हरा-भरा करना होगा। इसके साथ-साथ हमारे द्वारा फैलाए जाने वाले प्रदूषण को भी कम करना होगा तभी जाकर हम अपनी पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचा सकते हैं।
global warming essay in hindi 300 words (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 300 शब्द)
वर्तमान में जिस प्रकार हम प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल करते जा रहे हैं, और पृथ्वी के पर्यावरण को दूषित करते जा रहे है। हमें इसे जल्द से जल्द रोकना होगा. पर्यावरण के प्रदूषित होने के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग हो रही है। हमारे द्वारा फैलाया गया प्रदूषण कितना हानिकारक है कि उसने पृथ्वी की ऊपरी सतह ओजोन लेयर को भी क्षति पहुंचाई है।
ओजोन लेयर में छेद होने के कारण सूर्य से आने वाली किरणें सीधे हमारे शरीर के संपर्क में आएगी जिसके कारण हमें त्वचा संबंधित काफी बीमारियां हो सकती है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है जिसके कारण लोगों को सामान्य तौर से अधिक गर्मी अधिक ठंड अधिक वर्षा आदि चीजों का सामना करना पड़ रहा है।
वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन जैसी गैसों की मात्रा अधिक होने के कारण लोगों को सांस और हृदय से जुड़ी काफी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। सूखा बाढ़ चक्रवात भारी बरसात यह सब प्राकृतिक आपदाएं ग्लोबल वार्मिंग के ही परिणाम है। जिस प्रकार हम जीवाश्म इंधनो का इस्तेमाल बिना सोचे समझे करते जा रहे हैं. यह कहना मुश्किल नहीं कि आने वाले वक्त में हम अपने पर्यावरण को और नष्ट कर चुके होंगे। ग्लोबल वार्मिंग के कारण ओजोन लेयर भी काफी प्रभावित हो चुकी है जिसके कारण हमें सूर्य की किरणों का सीधा सामना करना पड़ रहा है।
अगर इसी प्रकार सूर्य की किरणें बिना ओजोन लेयर से टकराए सीधे हमारे शरीर से संपर्क करेगी तो हमें स्किन कैंसर जैसी कई घातक बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। ग्लोबल वार्मिंग से हमारे पृथ्वी को बचाने के लिए हमें कई कड़े कदम उठाने होंगे। हमें जितना हो सके पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण को हरा भरा करने की कोशिश करनी होगी। पर्यावरण के तापमान को नियंत्रित रखने के लिए हमें कार्बन डाइऑक्साइड, मिथेन गैस जैसी गैसों का उत्पादन कम करना होगा. जीवाश्म इधनों का इस्तेमाल कम करना होगा जिससे की हमारी पृथ्वी का तापमान उचित बना रहे।
global warming essay in hindi (ग्लोबल वार्मिंग पर निबंध 500 शब्द)
प्रस्तावना
पिछले कुछ दशकों से मनुष्यों काफी तरक्की करता आ रहा है। वह अपनी सुविधा के लिए प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध इस्तेमाल किया जा रहा है जंगलों की कटाई की जा रही है। इन्हीं सभी वजहों से पृथ्वी का संतुलन बिगड़ता जा रहा है जिसके फलस्वरूप हमें कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उनमें से एक है ग्लोबल वार्मिंग। पृथ्वी के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाने के कारण पृथ्वी के तापमान में वृद्धि हो रही है जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से जलवायु भी काफी प्रभावित हो चुकी है। ग्लोबल वार्मिंग मनुष्य के लिए सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है।
ग्लोबल वार्मिंग क्या, क्यों और कैसे
जब पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक बढ़ जाती है तो वायुमंडल तापमान औसतन से ज्यादा गर्म हो जाता है इसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है। औद्योगिक क्षेत्र से निकलने वाला धुआं व मीथेन जैसी गैसों के कारण पृथ्वी के ऊपरी सतह में काफी गर्मी हो रही है जिसके कारण ओजोन लेयर में भी कई परिवर्तन देखे गए हैं। हमारी पृथ्वी की सबसे पहली परत यानी कि ओजोन लेयर में भी ग्लोबल वार्मिंग की वजह से छेद हो गया है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए हमें काफी प्रयास करने होंगे।
ग्लोबल वार्मिंग की शुरुआत
साल 1970 और 1980 में पृथ्वी के तापमान में काफी वृद्धि देखी गई। जिसके चलते माउंटेनिया ग्लेशियर राष्ट्रीय पार्क में 150 ग्लेशियर में से सिर्फ 25 ग्लेशियर ही शेष बचे हैं बाकी ग्लेशियर ग्लोबल वार्मिंग की वजह से पिघल गए। वैज्ञानिकों द्वारा शोध कर पता लगाया गया कि यह सब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है जिसका कारण वातावरण में बढ़ती हुई कार्बन डाइऑक्साइड मीथेन गैस की मात्रा है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से रेगिस्तान में भी काफी विस्तार हो रहा है धीरे-धीरे गर्मी की वजह से जमीन सूख कर रेतीला स्थान बनती जा रही है। पृथ्वी पर तापमान बढ़ने के कारण ज्वालामुखी फट रहे हैं इनसे निकलने वाला लावा और धुआं जमीन और हवा को काफी दूषित करता है। ग्लोबल वार्मिंग से हमारी पृथ्वी को बचाने के लिए हर देश को कुछ उपाय करना होंगे।
ग्लोबल वार्मिंग का मानव जीवन पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव ना सिर्फ पर्यावरण पर पड़ा है बल्कि इसके साथ-साथ मनुष्य और पशु-पक्षियों पर भी काफी प्रभाव पड़ा है। पृथ्वी के बढ़ते तापमान के कारण लोगों को त्वचा व ह्रदय संबंधित काफी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग से जलवायु में भी काफी परिवर्तन आया है जिसके कारण औसतन से ज्यादा गर्मी, सूखा, बाढ़, रेगिस्तान का अधिक विस्तार हो रहा है। ओजोन लेयर में छेद होने के कारण सूर्य की किरणें और अधिक घातक होकर मानव के शरीर के संपर्क में आ रही है जिसके कारण स्किन कैंसर जैसी बीमारियां उत्पन्न हो रही है।
वातावरण में जहरीली गैस फैलने के कारण लोगों को सांस लेने में तकलीफ तथा फेफड़ों से संबंधित भी काफी बीमारियां हो रही है। अगर हमें अपने आप को और पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाना है तो इसके लिए पर्यावरण को फिर से जीवित करना होगा जिसके लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे।
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण
वातावरण में बढ़ती हुई कार्बन डाई ऑक्साइड सल्फर डाइऑक्साइड मीथेन जैसी गैसों की मात्रा को ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण बताया गया है। इसके साथ साथ जंगलों की कटाई, ज्वालामुखी का फटना कारखानों में जीवाश्म इधनों का अंधाधुंध प्रयोग भी ग्लोबल वार्मिंग का कारण बना हुआ है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण मनुष्य ही नहीं बल्कि पशु पक्षियों का जीवन भी प्रभावित हो रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के चलते अधिक गर्मी होने की वजह से फसलों पर भी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
वैज्ञानिकों ने शोध कर पता लगाया है कि अगर इसी प्रकार वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती जाएगी तो 1 दिन ओजोन लेयर पूरी तरह नष्ट हो जाएगी, जिसके बाद पृथ्वी पर किसी भी जीव का जीवन संभव नहीं होगा।
उपसंहार
वैसे तो पृथ्वी पर कई सारी आपदाएं होती रहती हैं परंतु इन सब में से मुख्य आपदा ग्लोबल वार्मिंग है जिस से बचने के लिए हमें काफी प्रयास करने होंगे। हमें अपनी पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए पृथ्वी के पर्यावरण को बढ़ावा देना होगा। हमें पर्यावरण के लिए कम से कम प्रदूषण करना होगा जिसके चलते हमें प्राकृतिक संसाधनों तथा जीश्वाम इधनों का प्रयोग काफी कम करना होगा। वायुमंडल में से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम करने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाने होंगे। इस प्रकार हम अपनी पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचा सकते हैं।
global warming hindi nibandh
प्रस्तावना
दुनिया में लोगों की बढ़ती आबादी के कारण प्राकृतिक संसाधनों व प्रकृति को काफी नुकसान पहुंच रहा है। आबादी बढ़ने के कारण लोग अपने विकास के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुन इस्तेमाल कर रहे हैं। जिसकी वजह से पृथ्वी की सतह का तापमान औसतन तापमान से काफी बढ़ता जा रहा है। पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की अधिक मात्रा होने के कारण पृथ्वी की ऊपरी सतह काफी गर्म हो गई है जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहा जाता है।
ग्लोबल वार्मिंग को होने से रोकने के लिए हमें प्रदूषण कम से कम खिलाना होगा प्रकृति को स्वयं से सुधार करने का समय देना होगा। अगर इसी तरह कार्बन डाइऑक्साइड वायुमंडल में बढ़ती रहे तो यह सभी के लिए काफी घातक साबित हो सकती है।
ग्लोबल वार्मिंग क्या, क्यों और कैसे
प्रदूषण की वजह से पृथ्वी के वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाने के कारण पृथ्वी की ऊपरी सतह गर्म हो रही है जिसे ग्लोबल वार्मिंग कहां जाता है। ग्लोबल वार्मिंग का दूसरा मुख्य कारण ग्रीन हाउस इफेक्ट भी है एसी गैस से जो वातावरण में घूमती रहती है और ओजोन लेयर को प्रभावित करती हैं। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारे क्लाइमेट में भी काफी बदलाव आ रहा है जैसे कि गर्मी के मौसम में भारी बरसात और ठंड का होना यह सब ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हो रहा है।
उद्योग कारखानों में गैर जिम्मेदारी से जीवाश्म ईंधन का जलाना ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने वाला मुख्य कारण है। पेड़ों की कमी की वजह से वातावरण में CO2 की मात्रा काफी बढ़ चुकी है जिसकी वजह से पृथ्वी की ऊपरी सतह काफी गरम हो चुकी है जिसके फलस्वरूप हमें उसमें तरंगों का बढ़ना गर्म लहरें तेज तूफान भारी बारिश यह सब देखना पड़ता है। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने के कारण ओजोन लेयर भी काफी क्षतिग्रस्त हो चुकी है वैज्ञानिकों द्वारा कहा जा रहा है कि ओजोन लेयर में एक छेद हो चुका है जिसके कारण लोगों को कई सारी परेशानियां हो सकती हैं।
ग्लोबल वार्मिंग की शुरुआत
1970 और 1980 के बीत पृथ्वी के तापमान में काफी वृद्धि देखी गई। उन दिनों गर्मी औसतन से ज्यादा हो रही थी। वैज्ञानिकों द्वारा शोध कर पता लगाया कि यह सब ओजोन लेयर मैं एक छोटा छेद होने के कारण हो रहा है। कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा से ओजोन लेयर काफी प्रभावित हुई है जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग की शुरुआत हुई है।
शुरुआत में तो लोग ग्लोबल वार्मिंग के प्रति कितने जागरूक नहीं थे परंतु समय के साथ-साथ कार्बन डाइऑक्साइड व ग्रीन हाउस गैस की मात्रा अधिक बढ़ जाने के कारण लोगों ने अचानक से पृथ्वी के पर्यावरण में काफी बदलाव देखे। लोग जिस तरह से बिना सोचे समझे जंगलों और पेड़ों को काटते जा रहे हैं यह सब ग्लोबल वार्मिंग को और बढ़ावा दे रहे हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार अगर ओजोन लेयर का छेद थोड़ा भी बड़ा हो गया तो सूरज की किरणें सीधे लोगों की त्वचा पर पड़ेगी जिससे कि लोगों को त्वचा संबंधित काफी बीमारियां हो सकती है। साल 1885 2012 यह सबसे ज्यादा गर्म वर्ष के रूप में माने जाते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग का मानव जीवन पर प्रभाव
ग्लोबल वार्मिंग होने का मुख्य कारण ही मानव है और ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव भी मानव जीवन पर ही पड़ेगा। पर्यावरण में बढ़ती कार्बन डाइऑक्साइड मीथेन गैस की मात्रा से ओजोन लेयर काफी प्रभावित हो चुकी है जिसके फलस्वरूप ओजोन लेयर में एक छोटा सा छेद पाया गया है।
वैज्ञानिकों के अनुसार ओजोन लेयर में छेद होने से सूर्य की किरणें अब सीधे मनुष्य की त्वचा से संपर्क करेगी जिसके कारण लोगों को स्किन कैंसर दाद खाज खुजली ऐसी कई स्किन संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। ओजोन लेयर सूर्य की किरणों को पृथ्वी पर सीधे आने से रोकती है सूर्य की किरणें अगर बिना ओजोन लेयर के सीधे ही पृथ्वी पर आती है तो किरणों के संपर्क में आने वाली सभी चीजें जैसे कि घर जंगल पेड़ पौधे सब जलकर राख हो जाएंगे, ओजोन लेयर सूर्य से आने वाली किरणों के तापमान को कम करती हैं।
कारखानों से निकलने वाला धुआं हवा को दूषित करता है जिसके कारण लोगों को साथ संबंधित बीमारियां भी हो सकती है इसके चलते लोगों को सांस लेने में तकलीफ सांस फूलना हाई ब्लड प्रेशर इत्यादि बीमारी होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
ग्लोबल वार्मिंग के मुख्य कारण
ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण कार्बन डाई , मिथेन , सल्फर डाइऑक्साइड गैस, व ग्रीन हाउस इफेक्ट है। पिछले कुछ दशकों से पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड मीथेन गैस सल्फर डाइऑक्साइड गैस की मात्रा काफी बढ़ चुकी है इसका मुख्य कारण है लोगों का जीवाश्म ईंधन का अंधाधुन इस्तेमाल करना।
उद्योग कारखानों में कोयले पेट्रोल डीजल के इस्तेमाल से निकलने वाला धुआं वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ाता है जिसकी वजह से पृथ्वी की ऊपरी सतह गर्म हो जाती है और ग्लोबल वार्मिंग होने लगती है। इन इधानों से निकलने वाली गैस वातावरण में जाकर हवा को दूषित करती है जिसके कारण जलवायु में काफी परिवर्तन देखने को मिलता है। जलवायु में परिवर्तन आने के कारण बारिश की कमी सूखा अधिक ठंड गर्म हवाएं यह सब प्राकृतिक आपदाएं होने लगती है। ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमें प्रकृति को साफ रखना होगा जिसके लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे।
ग्लोबल वार्मिंग से नुकसान/ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम
भयंकर गर्मी पढ़ना, तेज गति का तूफान, तीव्र चक्रवात सूखा, बाढ़, बेमौसम बरसात यह सब ग्लोबल वार्मिंग के ही परिणाम है। ग्लोबल वार्मिंग से मानव और प्रकृति को काफी नुकसान है। ग्लोबल वार्मिंग की वजह से हमारे कई प्राकृतिक संसाधन खत्म होते जा रहे हैं। यूएस भूगर्भीय सर्वेक्षण के अनुसार मोंटाना ग्लेशियर नेशनल पार्क पर डेढ़ सौ ग्लेशियर मौजूद थे पर ग्लोबल वार्मिंग होने की वजह से वर्तमान में मात्र 25 ग्लेशियर बचे हैं।
तापमान में वृद्धि होने के कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। ग्लेशियर पिघलने के कारण भूखंड को काफी नुकसान पहुंच रहा है और इसके साथ–साथ बाढ़ आने ब समुंद्र के पानी की मात्रा बढ़ने लगती है। लोगों को सांस लेने में तकलीफ सांस फूलना स्किन कैंसर यह सब बीमारियां भी ग्लोबल वार्मिंग के वजह से हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग जितनी ही हमारे लिए घातक है उतनी ही अन्य पशु पक्षियों के लिए भी है ग्लोबल वार्मिंग से कई पशु पक्षियों को अपनी जान गवा ना पड़ रही है।
उपसंहार
हमें अपनी पृथ्वी को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए काफी प्रयास करने होंगे। अगर इसी तरह वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड व अन्य जहरीली गैस से बढ़ती रही तो हमारा जीवन संकट में पड़ सकता है। हम समझ चुके होंगे कि ग्लोबल वार्मिंग हमारे लिए वह प्रकृति के लिए कितनी घातक समस्या है इससे छुटकारा पाने के लिए हमें कम से कम प्रदूषण करना होगा पेड़ पौधे लगाकर वायु को शुद्ध करने का प्रयास करना होगा। उद्योग कारखानों से निकलने वाले धुएं पर रोक लगानी होगी। सभी कार्यों से हम ग्लोबल वार्मिंग को कुछ हद तक कम कर पाएंगे जिससे कि ओजोन लेयर में हुए क्षेत्र को वापस ठीक होने में कुछ सहायता प्राप्त होगी।
global warming par anuched
हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस global warming par nibandh से जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह global warming essay in hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह global warming par nibandh hindi mein कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay कौन से टॉपिक पर चाहिए इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.