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Guru Purnima Essay in Hindi
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Guru Purnima Essay in Hindi 200 Words
हिंदू संस्कृति में गुरुओं को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाया जाता है। गुरु वह होते हैं, जो एक मनुष्य को जीवन का वास्तविक अर्थ बताते हैं। सभी इंसानों के जीवन में गुरु का महत्व सबसे अधिक होता है,गुरु को भगवान का दर्जा दिया गया है। इसके अलावा माता-पिता से अधिक महत्व गुरु को दिया गया है। गुरु वह ज्ञानी व्यक्ति होता है, जो अपने शिष्यों को ज्ञान देता है और उनका शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक रूप से विकास करता है।
प्राचीन काल से अलग-अलग वेद-विज्ञान के अलग-अलग गुरु हुआ करते थे। ऐसे ही एक महान गुरु वेदव्यास जी थे। जिनका जन्म पूर्णिमा के दिन हुआ था, और उन्होंने पूर्णिमा के दिन कुछ महान ग्रंथों की रचना की थी। इसलिए उनके जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। आज हम गुरुओं को शिक्षक के नाम से जानते हैं। व्यक्ति के जीवन में बाल्यअवस्था से ही गुरु की भूमिका प्रारंभ हो जाती है। गुरु अपने शिष्य को ज्ञान देकर उसे एक समझदार और सफल व्यक्ति बनाता है। देश-विदेश में जितने भी बड़े-बड़े विद्वान या वैज्ञानिक हुए हैं उन सभी के जीवन में उनके गुरुओं का काफी महत्व रहा है।
गुरु पूर्णिमा पर भाषण
Guru Purnima Wishes in Hindi
Guru Purnima Status in Hindi
Guru Purnima Quotes in Hindi
Guru Purnima Par Nibandh 300 Words
भारतीय इतिहास में प्रारंभ से ही गुरुओं को ज्ञान का हिमालय माना जाता है। सभी गुरुओं में इतना ज्ञान समाया होता है, कि उन्हें ज्ञान का समुंदर कहना भी गलत नहीं होगा। भारतीय इतिहास में जितने भी महान राजा हुए उनका शासन चलाने में उनके गुरुओं का अहम योगदान रहा है। जिस तरह चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को भारत का सम्राट बनाया एवं अपनी कुशल बुद्धि से उन्हें एक महान शासक भी बनाया। प्राचीन काल में गुरुओं द्वारा ही राजाओं को शासन, राजकोष प्रबंधन से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी दी जाती थी। विश्व में जितने भी विषय होते हैं। सभी विषयों के अलग-अलग गुरु होते हैं। हर गुरु ने अपने विषय में महारत हासिल की हुई होती है। कुछ गुरु चिकित्सा में महान होते हैं, तो कुछ गुरु शासन में कुछ गुरु न्याय व्यवस्था में कुछ युद्ध कला में।
भारत में सदैव ही गुरुओं का सम्मान किया जाता है। इसके अलावा भारत में रहने वाले सभी जाति, धर्म के लोग अपने गुरुओं को भगवान का दर्जा देते हैं। गुरु पूर्णिमा का दिन वह दिन होता है, जिस दिन हिंदू बौद्ध और ईसाई धर्म के लोग अपने गुरु को सम्मानित करते हैं। भारत के सभी धर्मों में अलग-अलग तरह से गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु की उपासना की जाती है। पूर्णिमा का त्यौहार मुख्य रूप से गुरु वेद व्यास जी के जन्मदिन के उपलक्ष में मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है,कि आषाढ़ मास की पूर्णिमा के दिन वेदव्यास जी का जन्म हुआ था एवं इसी दिन उन्होंने महाभारत जैसे कई महान ग्रंथों की रचना की थी। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी व्यक्ति अपने शिक्षक के लिए उपहार लेकर जाते हैं एवं उनके द्वारा दिए गए ज्ञान के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। इस दिन सभी विद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में गुरुओं के सम्मान के प्रति विशेष रूप से कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
Essay on Guru Purnima in Hindi 500 Words
प्रस्तावना
गुरु पूर्णिमा, इस शब्द से हमें यह पता चलता है, कि यह त्यौहार हम पूर्णिमा के दिन मनाते हैं। दुनिया भर में हिंदू, बौद्ध, जैन धर्म के लोग अपने शिक्षक के प्रति अपना प्यार और सम्मान व्यक्त करने के लिए इस त्योहार को मनाते हैं। गुरु अपने शिष्यों को ज्ञान और बुद्धि दे कर उन्हें सभी चीजों से परिचित कराते हैं। वह एक नादान बालक को अंधकार से निकालकर उज्जवल भविष्य प्रदान करते हैं। यदि व्यक्ति के जीवन में गुरु ना हो तो व्यक्ति हमेशा अज्ञान और अंधकार से घिरा रहता है। अगर जीवन में सफल होना है, तो गुरु का आश्रय लेना ही होगा।
2023 में गुरु पूर्णिमा कब है?
इस वर्ष 2023 में गुरु पूर्णिमा का त्यौहार सोमवार 3 जुलाई 2023 को मनाया जाएगा। गुरु पूर्णिमा का त्योहार आषाढ़ मास की प्रथम पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन सभी लोग अपने अपने गुरुओं के पास जाकर उनके द्वारा दी गई शिक्षा के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं। आषाढ़ मास हिंदू संस्कृति का सबसे पावन महा माना जाता है इसलिए इस महान और पवित्र त्यौहार को मनाने के लिए इस दिन को चुना गया है। इस दिन सभी लोग अलग-अलग तरह से अपने गुरुओं की पूजा करते हैं। जो व्यक्ति सच्चे मन से जिसे गुरु मानता है, वह उसका ध्यान लगाकर कुछ समय उनके नाम का जाप भी करता है।
गुरु पूर्णिमा का महत्व (Importance of Guru Purnima)
गुरु पूर्णिमा का महत्व सभी व्यक्ति जानते ही होंगे। जैसा कि सभी व्यक्ति जानते हैं किसी भी व्यक्ति को यदि जीवन में ज्ञान प्राप्त करना है तो उसे गुरुओं की शरण में जाना होता है। एक गुरु ही ऐसा व्यक्ति होता है, जो निस्वार्थ भावना से व्यक्ति को अपना सारा ज्ञान प्रदान करता है। गुरु द्वारा प्रदान किए गए ज्ञान से व्यक्ति मानवता के सभी धर्म सीखता है। और उन्हें अपने जीवन में अपनाकर अपने गुरु की शिक्षा को साकार करता है। अपने गुरु का सम्मान करना एक शिष्य का धर्म होता है और गुरु पूर्णिमा जैसे पवित्र दिन सभी शिक्षकों को अपने गुरु के नाम का जाप करना चाहिए एवं गुरु मंत्र का ध्यान करना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा के दिन क्या करना चाहिए?
गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर अपने गुरु का ध्यान करना चाहिए एवं गुरु द्वारा दिए गए मंत्र का जाप करके गुरु के लिए पूजा करनी चाहिए। हिंदू संस्कृति में गुरुओं को भगवान का दर्जा दिया गया है। जो व्यक्ति अपने गुरु की पूजा करता है, उसे भगवान की पूजा करने जितना पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन सभी व्यक्तियों को अपने गुरुओं के पास जाकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए एवं उन्हें सप्रेम कुछ भेट भी देना चाहिए। यदि व्यक्ति जीवन में किसी चीज को लेकर चिंतित है,तो गुरु की सलाह से सभी चिंताएं दूर होती हैं।
उपसंहार
गुरुओं द्वारा दी गई शिक्षा व्यक्ति के जीवन के उद्धार के लिए सक्षम होती है। यदि कोई व्यक्ति अपने गुरु की शिक्षा से वंचित रह जाता है,तो उसे जीवन भर कई सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। गुरु अपने शिष्य को निस्वार्थ रूप से ज्ञान देकर उसे सही गलत में फर्क करना सिखाता है। कठिनाई के वक़्त गुरु हमेशा अपने शिष्य को सही रास्ता दिखा कर उसे कठिनाइयों से बचाता है। हमें अपने शिष्यों की सदा सेवा करनी चाहिए एवं उनके द्वारा दिए गए ज्ञान का हमेशा सम्मान करना चाहिए। गुरु द्वारा दिए गए ज्ञान को भगवान का ज्ञान समझकर उसे धारण करना चाहिए।
Guru Purnima Essay in Hindi 800 Words
प्रस्तावना
गुरुओं को सम्मान देने के लिए गुरु पूर्णिमा का त्यौहार सबसे पहले हिंदू संस्कृति में मनाया जाता था। हिंदू संस्कृति से ही गुरु पूर्णिमा जैसे महान और पवित्र त्यौहार का जन्म हुआ है और हिंदू संस्कृति ने ही विश्व को बड़े-बड़े विद्वानों से परिचित कराया है। वर्तमान के समय में सभी व्यक्तियों के जीवन में एक व्यक्ति ऐसा होता है जिस पर वह व्यक्ति आंख बंद कर कर भरोसा कर सकता है और उसके द्वारा दिए गए ज्ञान को अपना सकता है। गुरु पूर्णिमा का महत्त्व सभी शिष्यों के जीवन में काफी अधिक होता है। सभी धर्मों के लोग अपने गुरुओं का काफी सम्मान करते हैं गुरुद्वारा चलाई गई प्रथा का सबसे अच्छा उदाहरण सिख धर्म के लोगों ने दिया है। सिख धर्म के लोग अपने गुरुओं द्वारा बताए गए सभी नियमों का पालन पूरी श्रद्धा के साथ करते हैं। गुरुओं का हमारे जीवन में सबसे बड़ा योगदान होता है।
गुरु पूर्णिमा की शुरुआत कैसे हुई?
गुरु पूर्णिमा की शुरुआत प्राचीन काल से हुई है ऐसा कहा जाता है कि इस दिन वेदों की रचना करने वाले महान विश्व गुरु वेदव्यास का जन्म हुआ था इसीलिए इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वेदव्यास एक ऐसे गुरु थे जिन्होंने सबसे पहले चारों वेदों की शिक्षा प्राप्त की थी और वेदों की रचना भी की थी। महर्षि वेदव्यास द्वारा गुरु पूर्णिमा के दिन कई सारे ग्रंथों की रचना की गई है इसीलिए इससे सबसे पवित्र दिन भी माना जाता है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार पूर्णिमा का दिन बेहद खास होता है इसे साल का सबसे पवित्र दिन भी माना जाता है और पूर्णिमा के बाद से ही सावन माह की शुरुआत होती है। इसीलिए गुरु पूर्णिमा को को आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
गुरु पूर्णिमा की कथा
गुरु पूर्णिमा की कथा वेदव्यास जी से प्रारंभ होती है। वेदव्यास को विष्णु का अंश माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि बचपन से ही महर्षि वेदव्यास को भगवान से मिलने की इच्छा थी इस कारण उन्होंने अपना घर छोड़कर तपस्या करने की ठानी। महर्षि वेदव्यास ने तपस्या करने के लिए वन जाने की इच्छा अपने माता-पिता के सामने रखी तो उन्होंने पहले उनका विरोध किया फिर उन्हें वन जाने की आज्ञा दे दी। ऐसी मान्यता है कि कई सालों की कठोर तपस्या के बाद उन्हें आशीर्वाद स्वरुप संस्कृत भाषा में महारत हासिल हुई उसके बाद उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया। महर्षि वेदव्यास ने महाभारत जैसे 18 महापुराण और ब्रह्मास्त्र की रचना की। महर्षि वेदव्यास को यह वरदान भी प्राप्त है कि वह हमेशा लोगों के बीच उपस्थित रहेंगे और अपने धर्म का प्रचार करते रहेंगे। हिंदू धर्म में महर्षि वेदव्यास को भगवान के रूप में पूजा जाता है इसलिए उनके जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं।
गुरु पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है कहानी? (Why we celebrate Guru Purnima?)
गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास द्वारा 18 महा पुराणों की रचना की गई थी। इसके अलावा उन्होंने इसी दिन चारों वेदों की शिक्षा प्राप्त की थी। महर्षि वेदव्यास पहले ऐसे विद्वान थे जिन्होंने शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त किया था। शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त होने के बाद महर्षि वेदव्यास ने कई महान ग्रंथ लिखे और हिंदू धर्म एवं हिंदू धर्म के पुराणों का विस्तार किया। इसके अलावा सिख धर्म में गुरु पंत की शुरुआत हुई। सिख धर्म के गुरु द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करते हुए सिख समुदाय के लोग अपने गुरुओं को श्रद्धांजलि देने के लिए पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाते हैं। हिंदू धर्म के अलावा जैन धर्म और बौद्ध धर्म में भी काफी गुरु हुए हैं सभी गुरुद्वारा अपने-अपने धर्म में उपदेश दिए गए हैं जो लोग गुरु के प्रति वफादार हैं वह गुरु पूर्णिमा का त्यौहार मनाते है और अपने गुरु के योगदान के लिए उनका आभार व्यक्त करते हैं।
गुरु पूर्णिमा कैसे मानते है? (How to celebrate Guru Purnima in School?)
गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करके अपने गुरु का ध्यान करते हैं। गुरुद्वारा अपने हर शिष्य को एक गुरु मंत्र दिया जाता है जिसका जाप गुरु पूर्णिमा के दिन सभी शिष्य करते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी धर्म के लोग अपने अपने गुरुओं उपासना करते हैं एवं अपने अपने गुरुओं के प्रति भक्ति रखते हुए गुरु पूर्णिमा के दिन उपवास भी रखते हैं। कुछ लोग अपने गुरु के पास जाकर उनकी सेवा करते हैं एवं जिन गुरुओं का निधन हो चुका है उनकी मूर्तियां प्रतिमा के सामने उनका ध्यान करते हैं। सिख धर्म के लोगों द्वारा गुरुद्वारे में जाकर अपने गुरु की पूजा की जाती है एवं गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष में लंगर भी लगाया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन सभी लोग अपने वेद पुराणों की पूजा करते हैं एवं कुछ लोग माता सरस्वती की भी पूजा करते हैं।
गुरु पूर्णिमा में पूजा करने की विधि
गुरु पूर्णिमा के दिन सबसे पहले सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। सूर्य देव को भी एक गुरु का दर्जा दिया गया है। उनकी पूजा करने के बाद अपने गुरु की उपासना करना चाहिए। इस दिन सभी लोगों को गीता का पाठ करना चाहिए एवं माता सरस्वती की भी पूजा करनी चाहिए। सभी व्यक्तियों को अपने गुरु मंत्र का ध्यान करना चाहिए एवं गुरु मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा उन लोगों को श्री कृष्ण भगवान के नाम का जाप भी करना चाहिए क्योंकि उन्हें विश्व का सबसे पहला गुरु माना गया है। उस दिन लोगों को अपने गुरु के लिए उपवास भी रखना चाहिए एवं संध्या में गुरु की पूजा करके ही उपवास को खोलना चाहिए। सभी लोगों को अपने गुरु की प्रतिमा के सामने उनके द्वारा दिए गए उपदेशों को याद करना चाहिए।
उपसंहार
गुरु द्वारा दी जाने वाली शिक्षा व्यक्ति को जीवन भर याद रहती है। व्यक्ति जीवन में जो भी सफलता प्राप्त करता है, उसमें उसके गुरु का योगदान अवश्य होता है। एक शिक्षक ही अपने शिष्य के जीवन के निर्माण की सबसे पहली ईट बनता है। शिक्षक द्वारा दिए गए संस्कार और ज्ञान से व्यक्ति अपने जीवन को सफल और महान बनाता है। जो व्यक्ति अपने गुरु की बातों का पालन करता है,एवं उनकी कही हुई हर बात को मानता है वह संसार में एक हीरे की तरह चमकता है। संसार में महान गुरुओं के नाम से जाने जाने वाले महान संत स्वामी रामदास, स्वामी विवेकानंद ,रविंद्र नाथ टैगोर जी ने अपने गुरुओं को अपनी उपलब्धि का श्रेय दिया है। बिना गुरु के जीवन जीना अंधकार में रहने के समान है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन में एक ना एक गुरु अवश्य बनाना चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन सभी लोगों को अपने गुरुओं का आभार अवश्य व्यक्त करना चाहिए।
Guru Purnima Par Nibandh
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