Janmashtami Essay in Hindi: जन्माष्टमी पर निबंध हिंदी में

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Janmashtami Essay in Hindi

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Janmashtami Essay in Hindi 100 Words

जन्माष्टमी भगवान श्री कृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाई जाती है. जन्माष्टमी को रक्षाबंधन के बाद भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. भगवान श्री कृष्ण माता देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र माने जाते हैं. भगवान श्री कृष्ण का जन्म राजा कंस की कालकोठरी में हुआ था. संपूर्ण भारत में भगवान श्री कृष्ण के मंदिरों में उनकी मूर्तियों को सजाया जाता है और उनको छप्पन भोग लगाकर उनके जन्मदिन को मनाया जाता है.

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जन्माष्टमी पर भाषण

जन्माष्टमी के मौके पर अधिकांश लोग उपवास भी रखते हैं और भगवान श्री कृष्ण के समक्ष अपनी मनोकामना मांगते हैं. जन्माष्टमी के मौके पर दही हांडी का भी आयोजन किया जाता है जिसमें लोग एक के ऊपर एक चढ़कर दही हांडी गिराते हैं. वही इस दिन मंदिरों में तरह-तरह की झांकियां बनाई जाती है. जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है.

Janmashtami Essay in Hindi
Janmashtami Essay in Hindi

Janmashtami Par Nibandh

प्रस्तावना 

जन्माष्टमी का पर्व बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु जी ने कृष्ण रूप लेकर धरती पर अवतार लिया था। इसलिए कृष्ण जी के जन्म के उपलक्ष में जन्माष्टमी का दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत के सभी छोटे बड़े मंदिरों यहां तक की घर – घर में भगवान कृष्ण जी पालकी सजा कर उन्हें झूला दिया जाता है। वहीं राधा कृष्ण मंदिरों की रौनक देखते ही बनती है. मंदिरों में तो विशेष प्रकार की साज – सज्जा देखने को मिलती है। और विभिन्न जगह दही हांडी प्रतियोगिता रखी जाती है.

मंदिरों में मुख्य रूप से माखन मिश्री का प्रसाद बांटा जाता है। बरसाने, मथुरा में तो ऐसा उत्सव का माहौल रहता है कि लोग हरी कीर्तन करते हैं और रंग – गुलाल भी खेलते हैं। जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत पूजन करते हैं और मध्य रात्रि के बाद भगवान की पूजा के बाद ही अपना उपवास खोलते हैं। 

कृष्ण जन्म 

हिंदू कैलेंडर के अनुसार भाद्रपद की कृष्ण अष्टमी तिथि के दिन भगवान कृष्ण जी का जन्म हुआ था। राजा कंस के कारागृह में उनकी बहन देवकी और वसुदेव जी को बंदी रखा गया था और यही पर कृष्ण जी ने जन्म लिया था। कंस ने देवकी की हर जन्म लेने वाली संतान को मार दिया था और कृष्ण जी देवकी की आठवीं संतान थी। वासुदेव अपने पुत्र कृष्ण को यशोदा और नन्द के यहां छोड़ आते हैं और उनकी पुत्री को अपने साथ ले आते हैं।

इस तरह से भगवान कृष्ण का पालन पोषण माता यशोदा करने लगती हैं लेकिन कंस कृष्ण का पीछा नहीं छोड़ता। वह हर बार किसी ताकतवर राक्षस को कृष्ण को मारने भेजता लेकिन कृष्ण हर बार उनका संहार कर देते थे और अंततः एक दिन भगवान कृष्ण ने कंस का वध कर डाला।

जन्माष्टमी क्यों मनाई जाती है

हिंदुओं के आराध्य देवता श्री कृष्ण के जन्मदिन के उपलक्ष में हर साल जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। जन्माष्टमी मानने का सबसे बड़ा कारण भगवान कृष्ण का जन्म होना है। धरती पर जब पाप बढ़ गया और ऋषि मुनि सब भगवान का आवाह्न कर उन्हें पुकारने लगे। तब श्री हरि विष्णु ने दुष्टों के नाश के लिए अवतार लिया। इसलिए ही जन्माष्टमी का दिन पौराणिक और हिंदुओं की आस्था और भक्ति भाव की पुष्टि से अत्यंत ही पावन दिन है।

इस दिन लोग व्रत रखते हैं और विधिवत पूजन भी करते हैं। कृष्ण जी के जन्म का उत्सव मनाने के लिए ही जन्माष्टमी मनाई जाती है। त्योहार का मनाया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि सभी लोग इस दिन एक साथ खुशियां बांटतें हैं। छोटे बालक – बालिकाओं को राधा कृष्ण को वेश भूषा में सजाया जाता है। जन्माष्टमी का पर्व श्रीकृष्णजन्म और हिंदुओं की अपने इष्ट देव की आस्था और प्रेम के कारण मनाया जाता है।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाया जाता है?

जन्माष्टमी का पर्व भारत में अलग अलग जगह बड़े हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। शहरों के मंदिरों, गली – मोहल्ले, स्कूल कॉलेजों तक में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। दही हांडी प्रतियोगिता रखी जाती है, इस प्रतियोगिता में दही से भरी मटकी को ऊपर लटका दिया जाता है जिसे लोग फोड़ते हैं।

दूसरी तरह इसे आंखों पर पट्टी बांध कर भी फोड़ा जाता है। एक जगह मटकी को रख दिया जाता है और प्रतिभागी की आंख पर पट्टी बांध दी जाती है। प्रतिभागी के हाथ में एक डंडा होता है अगर प्रतिभागी अपने एक वार में मटकी फोड़ देता है तो वह विजेता बन जाता है। मंदिरों में जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होता है खासकर कृष्ण जी के मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है।

क्योंकि कृष्ण जी का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था इसलिए आधी रात को मंदिरों और घरों में झूले पालकी सजाकर कृष्ण जी को झूला झुलाया जाता है। उनकी पूजा कर उन्हें माखन मिश्री का भोग लगाया जाता है और यही प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।

जन्माष्टमी का महत्व

जन्माष्टमी का दिन हिंदुओ के त्योहारों की दृष्टि से बहुत ही खास दिन है। इस दिन भगवान श्री कृष्ण ने माता देवकी के गर्भ से जन्म लिया था लेकिन उन्हें पाला मां यशोदा ने था। कृष्ण जी ने दुष्टों का संहार कर मानवों को राक्षसों के त्रास से मुक्त किया था। हमें अपने आराध्य की ही तरह बुरे कर्मों और विचारों का नाश कर देना चाहिए।

जन्माष्टमी का दिन अत्यंत पावन है हिंदुओं की मान्यता अनुसार इस दिन पूजन करने से लंबी आयु और सुख सम्पदा की प्राप्ति होती है। कृष्ण जी श्याम वर्ण वाले लेकिन बहुत अद्भुत रूप सौंदर्य वाले हैं। कृष्ण जी ने भगवान होते हुए भी कारावास में जन्म लेकर और सांसारिक कष्टों को सहकर मानव को सीख दी है की जीवन में हार न मानते हुए हर परिस्थिति का सामना करना चाहिए।

उपसंहार

श्री कृष्ण ने कंस के संहार के लिए अवतार लिया था। लेकिन आज हम मानवों के भीतर ही कंस रूपी राक्षस और कृष्ण रूपी पवित्र देव स्थित है। हम चाहे तो अपने अंदर के कृष्ण को जगाकर कंस रूपी राक्षस का वध कर सकते हैं। कहने का मतलब यह है की हम लोग बुरे काम जैसे झूठ बोलना, किसी का दिल दुखाना, अपने मतलब के लिए किसी से छल करना, चोरी करना जैसे बुरे कामों को अपने ज्ञान रूपी कृष्ण से बुरी चीजों को दूर कर सकते हैं। हमें बुरी आदतों व्यसनों से दूर रहकर अपने माता पिता और अच्छे भविष्य की और ध्यान देना चाहिए न कि बुरे कामों में। 

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