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Janmashtami Speech in Hindi
यहां हम आपको “Janmashtami Speech in Hindi” उपलब्ध करा रहे हैं. इस निबंध/ स्पीच को अपने स्कूल या कॉलेज के लिए या अपने किसी प्रोजेक्ट के लिए उपयोग कर सकते हैं. इसके साथ ही यदि आपको किसी प्रतियोगिता के लिए भी Speech on Janmashtami in Hindi तैयार करना है तो आपको यह आर्टिकल पूरा बिल्कुल ध्यान से पढ़ना चाहिए.
Short Speech on Janmashtami (1 Minute)
भारत में जन्माष्टमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। आज के दिन यहां की हर एक गली में आपको कान्हा देखने को मिल जाएगा। जब बच्चा छोटा होता है, तो उसकी मां उसे कन्हैया के रूप में ही देखती है। अक्सर छोटे बच्चों को कन्हैया की वेशभूषा में तैयार जरूर किया जाता है। हमारी संस्कृति, हमारे त्यौहार है हीं ऐसे हम उनसे न केवल एक दिन बल्कि रोजाना के जीवन में जुड़े हुआ महसूस करते हैं।
आज के दिन हांडी फोड़ कार्यक्रम के लिए लोगों में बहुत उत्साह देखने को मिलता है। भले ही किसी को मक्खन खाने को मिले या न मिले लेकिन हांडी फोड़ने का मजा सब लेना चाहते हैं। इस कार्यक्रम में न केवल बच्चे बल्कि बड़े-बूढ़े भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं, जहां उम्र की सीमा लगभग टूट ही जाती है। मैं कामना करती हूं, की हम इसी तरह सारी सीमाओं को तोड़कर प्रेम और सौहार्द से रहें। अंत में आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत बधाई देना चाहती हूं। धन्यवाद!
2 Minute speech on Krishna Janmashtami in Hindi
नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की!!! आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाईयां। आज श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर हम सभी यहां एकत्रित हुए हैं। कृष्ण जी का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि के दिन हुआ था। जन्माष्टमी का त्यौहार हम सभी बचपन से देखते, सुनते और मनाते आ रहे हैं। यहां शायद ही शिक्षकों और प्रधानाचार्यों को मिलाकर कोई ऐसा होगा जिसने कभी अपने बचपन में या स्कूल के दिनों में मटकी फोड़ आयोजन में हिस्सा न लिया हो, और अगर कोई इससे चूक भी गया होगा तो आज के हांडी फोड़ कार्यक्रम में सभी ने शामिल होकर उसे पूरा कर लिया है। इस त्यौहार में लगता है, जैसे सभी को अपना बचपन वापस मिल गया हो। आज के हांडी फोड़ कार्यक्रम में हमारे
गणित के शिक्षक ने इस आयोजन में हिस्सा लिया तो हम सभी थोड़ा आश्चर्यमई हो गए क्योंकि हमने उनके चहरे पर हमेशा गंभीरता और हाथ में छड़ी ही देखी है। लेकिन आज उन्हें इस कार्यक्रम में ऐसे देखकर खूब मजा आया। हमारे ये उत्सव त्यौहार सभी को आपस में जोड़ने का कार्य करते हैं, इनका न केवल धार्मिक, सांस्कृतिक बल्कि सामाजिक महत्व भी है। जो सभी को आपस में जोड़ने और एक साथ रखने का कार्य करते हैं। आज जन्माष्टमी के अवसर पर मैं सभी के मंगल की कामना करती हूं और आप सभी को कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए इस स्पीच को यहीं विराम देती हूं।
धन्यवाद!
Janmashtami Par Bhashan (3 Minute)
सबसे पहले मैं यहां उपस्थित सभी माननीय अतिथियों, शिक्षकों एवम प्रधानाचार्यों का अभिवादन करना चाहूंगी। जैसा की आप सभी जानते हैं, की आज हम सब यहां भारत के सबसे प्रचलित और प्रसिद्ध त्यौहार जन्माष्टमी को मानने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह त्यौहार वृंदावन और मथुरा के लिए प्रसिद्ध और भारत में श्री कृष्ण जी के प्रति श्रद्धा होने के चलते प्रचलित है। श्रीकृष्ण जी के बारे में कौन नहीं जानता, लेकिन क्या-क्या जानते हैं, इसमें भूल अवश्य हो सकती है। अधिकतर लोगों द्वारा श्री कृष्ण जी को उनके नटखट स्वभाव, बाल लीलाएं और 16000 विवाह के लिए जाना जाता है, कई बार इसके लिए कृष्ण जी के श्रद्धालुओं पर तंज भी कसा जाता है।
लेकिन कृष्ण जी का जीवन इससे बहुत अलग था, वे सदैव धर्म का पालन करते हुए दूसरे हित के लिए कार्य करते रहे। उन्होंने अवतार ही धर्म की रक्षा करने और प्राणियों के कल्याण के लिए लिया था। श्री कृष्ण जी ने सत्यभामा की मदद से एक भयंकर और ताकतवर असुर का वध किया गया था। उसने राज्य की 16000 कन्याओं को बंदी बनाकर रक्षा था जिन्हें श्रीकृष्ण ने मुक्त करवाया। उन 16000 कन्याओं के अनुसार उनका हरण कर लाया गया था और अगर वे इस अवस्था में अपने घरों को लौटती हैं, तो उन्हें कोई नहीं अपनाता। ऐसे में वे सभी आत्महत्या करने का कहती हैं। यह सुनकर श्रीकृष्णजी ने स्वयं उन 16000 स्त्रियों से विवाह कर उन्हें सम्मान सहित महल में रानी की पदवी पर रखा।
श्री कृष्ण जी स्वयं ईश्वर थे लेकिन उन्होंने महाभारत में स्वयं अर्जुन का सारथी बनना चुना। अर्जुन श्री कृष्ण जी का भक्त था लेकिन इसके बावजूद भी श्री कृष्ण ने अर्जुन को अपना मित्र माना और हमेशा उनका मार्गदर्शन किया। श्री कृष्ण जी से हमें त्याग, समर्पण, शील, सरलता, सहजता और धर्म सीखने को मिलता है। उनके इन्हीं गुणों के कारण उन्हें विश्वभर में पूजा जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन विशेषकर ISKON द्वारा भव्य आयोजन किया जाता है। अंत में आप सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं देते हुए अब अपनी स्पीच को विराम देती हूं।
Speech on Janmashtami in Hindi (5 Minutes)
सर्वप्रथम मैं यहां उपस्थित सभी लोगों को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन त्यौहार पर हार्दिक शुभकामनाएं देना चाहती हूं। भगवान श्री कृष्ण ने भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को अवतार लिया था। अवतार इसलिए क्योंकि वे स्वयं ईश्वर थे और इसलिए ही उनका जन्म नहीं होता बल्कि वे हर युग में अवतरित होते हैं। भागवत गीता में श्री कृष्ण जी ने स्वयं कहा है
“यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्”
अर्थात – जब-जब धर्म की हानि होती है, और अधर्म बढ़ता है तब-तब मैं साकार रूप में प्रकट होकर अवतार लेता हूं। सज्जनों की रक्षा करने, साधुओं का कल्याण करने, दुष्टों का नाश करने और धर्म की पुनः स्थापना के लिए मैं हर युग में अवतार लेता हूं।
कृष्ण जी देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र थे। देवकी राजा कंस की बहन थी। उस समाज कंस का अत्याचार और अधर्म दिन-पर-दिन बढ़ता जा रहा था। जब कंस को यह ज्ञात हुआ कि उसकी बहन का आठवां पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारण बनेगा तो कंस ने अपनी बहन और वासुदेव को काल कोठरी में डाल दिया एवं उनकी पैदा होने वाली हर संतान को मार डाला। लेकिन भगवान श्री कृष्णा स्वयं ईश्वर का अवतार थे इसलिए कंस का उन पर कोई जोर नहीं चला। भगवान श्री कृष्ण ने कंस कर्मों की सजा देने और अधर्म को रोकने के लिए अवतार लिया था।
कृष्ण जी ने अवतार लेते ही वासुदेव को आदेश दिया, कि वह उन्हें यशोदा माता और नंद बाबा के पास पहुंचा दें। जिसके अनुसार वासुदेव जी ने ठीक वैसा ही किया और कृष्णा जी का लालन-पालन यशोदा माता द्वारा किया गया। श्री कृष्ण जी से न केवल यशोदा माता और नंद बाबा बल्कि पूरे गोकुलवासी प्रेम करते थे। कृष्ण जी के बचपन की लीलाएं इतनी अद्भुत थी कि उसे देखने के लिए इंसान जन्म पर जन्म लेना चाहेगा। उनकी लीलाएं देखने के लिए तो स्वयं देवता और महादेव भी धरती पर उतरकर आते थे। श्री कृष्ण जी के चरित्र का अनुसरण करने वाले इंसान का जीवन सफल हो जाता है।
अधिकतर लोग कृष्ण जी को उनके नटखट स्वभाव और लीलाओं के लिए जानते हैं, लेकिन अगर श्री कृष्ण जी के चरित्र को पढ़ा जाए तो उन्होंने अपना जीवन औरों के हित के लिए ही दिया है। फिर वह राजा कंस का वध कर वहां की प्रजा को सुख पहुंचाना हो या महाभारत जैसे भयंकर और विभत्सक युद्ध में पांडवों का मार्गदर्शन करना हो। श्री कृष्ण जी ने धर्म के कार्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज उनकी पूजा केवल उनके ईश्वर के अवतार के लिए ही नहीं बल्कि उनके चरित्र के लिए भी की जाती है।
हर साल श्री कृष्ण जी के जन्मदिन पर संपूर्ण भारत में उत्सव मनाया जाता है। झांकियां सजाई जाती हैं, हांडी फोड़ प्रतियोगिता मनाई जाती है, बच्चे श्री कृष्ण और राधा जी की वेशभूषा में तैयार होते हैं। हम सभी को श्री कृष्ण जी के जीवन से बहुत कुछ सीखने की आवश्यकता है। आप सभी को एक बार फिर से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद!
Janmashtami Par Bhashan
हमारे सभी प्रिय विद्यार्थियों को इस “Janmashtami Speech in Hindi” जरूर मदद हुई होगी यदि आपको यह Speech on Janmashtami in Hindi अच्छा लगा है तो कमेंट करके जरूर बताएं कि आपको यह Janmashtami Speech in Hindi कैसा लगा? हमें आपके कमेंट का इंतजार रहेगा और आपको अगला Essay या Speech कौन से टॉपिक पर चाहिए. इस बारे में भी आप कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं ताकि हम आपके अनुसार ही अगले टॉपिक पर आपके लिए निबंध ला सकें.
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