Lachit Borphukan Essay

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Lachit Borphukan Essay

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Lachit Borphukan Essay (100 Words)

भारत की भूमि पर कई ऐसे वीर पराक्रमी योद्धाओं ने जन्म लिया है। जिंदगी वीरता से पूरा विश्व उन्हें जानता है। उन्हीं में से एक लचित बोरफुकान है। लचित बोरफुकान आसाम राज्य के एक महान सैनिक थे। बोरफुकान ने अपनी छोटी सी सेना के साथ मिलकर मुगलों को युद्ध में 17 बार हराया है। बोरफुकान के कारण मुगल कभी भी आसाम राज्य को जीत नहीं पाए। असम राज्य की सेना में शामिल लचित बोरफुकान ने असम की रक्षा करते हुए मुगलों से कई बार युद्ध लड़ा। मुगलों द्वारा लगातार असम राज्य पर हमला किया गया लेकिन हर बार लचित बोरफुकान ने उन्हें हरा दिया।

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Lachit Borphukan Essay
Lachit Borphukan Essay

Lachit Borphukan Essay in 150 words

भारत की इस भूमि पर कई ऐसे योद्धाओं ने जन्म लिया है जिनके बारे में अभी लोगों को पता भी नहीं है। लचित बोरफुकान एक ऐसे योद्धा थे जिन्होंने 16वी सदी में मुगलों को कई बार हराया। बोरफुकान ओहम साम्राज्य की सेना में सेनापति थे। उनके अंदर देशभक्ति की भावना इतनी थी कि उन्होंने छोटी सी सेना के साथ मुगलों की विशालकाय सेना को लगातार 17 बार हराया।

सोलवीं सदी में मुगलों द्वारा असम पर कब्जा करने के लिए काफी प्रयास किए जा रहे थे। लेकिन हर बार हो हम साम्राज्य के सेनापति बोरफुकान ने मुगलों को हरा दिया। भारत के इस वीर योद्धा का जन्म 24 नवंबर 1622 को हुआ था। बोरफुकान को शस्त्र चलाने में काफी महारत हासिल थी। इसके अलावा वह एक कुशल सैनिक भी थे। उन्होंने मुगल सेना को 17 बार हराकर अपने राज्य असम की रक्षा की थी।

Lachit Borphukan Essay on 200 Words

लचित बोरफुकान उन योद्धा में से एक है जिन्हें उनकी वीरता के कारण जाना जाता है। असम राज्य के वीर योद्धा लचित बोरफुकान को आज सारा भारत देश जानता है। इस महान वीर योद्धा का जन्म 24 नवंबर 16 से 22 को असम के अहोम साम्राज्य में हुआ था। इनके पिता राजा प्रताप सिंह के सेना में वरिष्ठ अधिकारी थे। इनकी माता का नाम कुंडी मरण था। लचित बोरफुकान बचपन से ही अपने माता-पिता के काफी प्रिय थे, और उन्हें शस्त्र चलाने का काफी शौक था। इसलिए बचपन में ही उन्होंने शास्त्र और सैन्य कौशल की शिक्षा प्राप्त कर ली थी।

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इसके अलावा लचित बोरफुकान एक कुशल राजनीतिज्ञ भी थे, उन्हें राजनीति के अलावा अस्त्र शास्त्र घुड़सवारी का भी पूरा ज्ञान था। 16वीं सदी में मुगलों द्वारा भारत के हर हिस्से पर कब्जा किया जा रहा था, धीरे-धीरे मुगल असम राज्य की ओर बढ़ने लगे, लेकिन मुगलों से लोहा लेने के लिए लचित बोरफुकान भी तैयार थे। कहा जाता है कि मुगल सेना ने 17 बार असम राज्य पर हमला किया, लेकिन लचित बोरफुकान जैसे कुशल योद्धा ने उन्हें 17 बार लगातार हराया। लचित बोरफुकान की मृत्यु 25 अप्रैल 1672 को किसी बीमारी के कारण हो गई थी।

Essay Lachit Borphukan ( 250 words)

असम राज्य में जन्मे लचित बोरफुकान जैसे महान योद्धा के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। वे भारत का एक ऐसा योद्धा था, जिन्होंने छोटी-सी सेना का नेतृत्व कर मुगलों की बड़ी सेना को हरा दिया था। लचित बोरफुकान अहोम साम्राज्य की सेना में सेना भर्ती थे। इनका जन्म 24 नवंबर 1622 को असम राज्य में हुआ था। इनके पिता भी असम राज्य की सेना में वरिष्ठ अधिकारी थे जिसके कारण बचपन से ही इन्हें अस्त्र शास्त्र से लगाव हो गया था। लचित बोरफुकान ने बचपन में ही अस्त्र-शस्त्र और घुड़सवारी का ज्ञान प्राप्त कर लिया था।

कुछ समय बाद उन्हें मानविकी और सैन्य घोषणाओं में शिक्षा ग्रहण करने के बाद स्वर्ग देव के ध्वज वाहक का पद दिया गया। लचित बोरफुकान कुछ सालों तक अहोम राजा चक्रधर सिंह के शाही घुड़साल भी रहे। इसके बाद जब मुग़ल सेना द्वारा असम राज्य पर हमला किया गया तब लचित बोरफुकान ने अहोम सेना की भागदौड़ अपने हाथ में संभाली। लचित बोरफुकान का पूरा जीवन मुगलों से संघर्ष करने में बीत गया।

जिन मुगलों ने पूरे भारत को जीत लिया था वह लचित बोरफुकान के होने के कारण छोटे से आसाम राज्य को ना जीत पाए। लचित बोरफुकान ने 17 बार अपनी छोटी सी सेना के साथ मुगलों की लाखों की सेना को हरा दिया।1671 में सराय घाट पर लचित बोरफुकान द्वारा मुगलों को एक बार फिर हराया गया, लेकिन इस बार युद्ध के 1 साल बाद कुछ बीमारी के कारण 25 अप्रैल 1672 को लचित बोरफुकान की मृत्यु हो गई। असम राज्य में आज भी 24 नवंबर के दिन लचित बोरफुकान दिवस मनाया जाता है।

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