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Millets are Superfood Essay in Hindi
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Millets are Superfood Essay in Hindi (100 Words)
भारत में उपलब्ध मिलेट्स की फसलों में बाजरा रागी (फिंगर मिलेट), ज्वार (सोरघम), समा (छोटा बाजरा), बाजरा (मोती बाजरा) और वरिगा (प्रोसो मिलेट) शामिल हैं। मिलेट्स सभी तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, एवं शरीर को रोगों से मुक्त रखने में सक्षम होते हैं। भारत में मोटे अनाजों के पौधों का प्रमाण सर्वप्रथम सिंधु घाटी सभ्यता से मिला था. मिलेट्स मुख्य रूप दो प्रकार के होते हैं, जिसमें मोटे अनाज और गौण मोटे अनाज (Major and Minor Millets) शामिल हैं। दुनियां के 131 देशों में मिलेट्स की खेती की जाती है। जिसमें से भारत बाजरे का मुख्य उत्पादक है। इस प्रकार के अनाज शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता और उनमें होने वाली कई प्रकार की बीमारियो से दूर रखता है। हमारे प्रधानमंत्री जी द्वारा भी इस तरह के भोजन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि भारत के लोग स्वस्थ रह सकें।
Millets are Superfood Essay in English
Essay on Millets for Food and Nutrition 200 Words
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा कई बार अपने भाषण के माध्यम से लोगों को मिलेट्स आहार के बारे में बताया गया है। मिलेट्स का उपयोग अधिक से अधिक लोगों को अपने भोजन में करना चाहिए, ताकि वह एक स्वस्थ जीवन जी सके। समय के साथ जैसे-जैसे पर्यावरण दूषित होता जा रहा है, और तरह-तरह की बीमारियां फैलती जा रही है। ऐसे में एक व्यक्ति के लिए सबसे बड़ी चुनौती खुद को सुरक्षित और स्वस्थ रखना होता है। आजकल हर 6 महीने में एक नई बीमारी फैल रही है, और वर्तमान में व्यक्तियों द्वारा खाने में अनहाइजीनिक और पैक्ड फूड खाया जा रहा है, जिसके कारण उनके शरीर के इम्यूनिटी काफी कम होती है, और वह इन बीमारियों को शिकार होकर अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं।
मिलेट्स एक ऐसा अनाज है, जो कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें शरीर को स्वस्थ रखने वाले सभी विटामिन कैल्शियम पाएं जाते हैं। इन मिलेट्स अनाज में मोटे अनाज जैसे की ज्वार, बाजरा शामिल है। ज्वार बाजरे का सेवन प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों द्वारा किया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे इन्हें खाने का चलन बदल गया, जिसके बाद इंसानों का स्वास्थ्य भी कमजोर होने लगा। इसलिए हमें वापस से मिलेट्स को अपनी थाली में जगह देनी चाहिए, और इसे अपने भोजन में शामिल करना चाहिए।
Essay on Millets in Hindi 300 Words
प्रस्तावना
हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य पर अवश्य ध्यान देना चाहिए। एक व्यक्ति को खुद को स्वस्थ रखने के लिए व्यायाम के साथ स्वस्थ और सुरक्षित आहार भी लेना चाहिए। भारत की आबादी में ऐसे कई लोग शामिल है, जो कुपोषण के शिकार है। कुपोषण के शिकार होने का मुख्य कारण है, खाने में पोषक तत्वों की कमी। व्यक्तियों द्वारा अपने भोजन में पोषक तत्व से भरपूर अनाजों का उपयोग कम कर दिया गया है। वह भूख मिटाने के लिए पैक और अनहाइजीनिक फूड खा रहे हैं, जिससे उनके शरीर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
मिलेट्स क्या है?
मिलेट्स उन अनाजों को कहा जाता है, जिनमें शरीर के लिए आवश्यक सभी तरह के पोषक तत्व और चिकित्सक गुण मौजूद होते हैं। मिलेट्स अनाज में ऐसे गुण मौजूद होते हैं, जो लोगों को रोगों से बचाते हैं, तथा उन्हें रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करते हैं। ऐसे अनाजों को मिलेट्स कहा जाता है। मिलेट्स अनाज में मुख्य रूप से मोटे अनाज जैसे कि ज्वार, बाजरा, रागी शामिल है। मिलेट्स अनाज पूरी तरह ग्लूटेन फ्री होते हैं, और यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं।
निष्कर्ष
मिलेट्स स्वास्थ्यवर्धक अनाज है। आज हमें ऐसे अनाजों को अपने आहार में शामिल करना बहुत आवश्यक है। मिलेट्स पोषक तत्वों और कई विटामिन से भरपूर हैं। ज्वार, बाजरा, रागी ये सब अनाज ऐसे हैं, जो पुराने समय से खाए जा रहे हैं। इन्हें मौसम के अनुसार खाया जाता था। क्योंकि हर अनाज की अपनी तासीर होती है, और उसे खास मौसम के अनुसार ही खाया जाना चाहिए। अब समय आ गया है, की हम एक बार फिर ज्वार, बाजरा जैसे अनाजों को खाने में शामिल करना चाहिए।
Millet a Superfood or a Diet Fad Essay in Hindi 500 Words
प्रस्तावना
भारत का पारंपरिक फूड मिलेट्स आज राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय हो रहा है। पीएम मोदी जी इसी साल ग्लोबल मिलेट्स कान्फ्रेस का उद्घाटन किया गया है। मोदी जी के मिलेट्स को ‘श्री अन्न’ बताया है, जिसका अर्थ पवित्र अन्न होता है। मिलेट्स एक ऐसा अनाज है, जो शरीर के कई पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता हैं। भारत की मिलेट्स फसलों में बाजरा, ज्वार, सांवा, वरीगा आदि शामिल है। ये अनाज मानव शरीर को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व प्रदान करते हैं। मिलेट्स ग्लूटेन फ्री होता है और इसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, विटामिन, फाइबर, फॉस्फोरस, विटामिन-सी, विटामिन-डी और बी-कॉम्प्लेक्स होता है।
मिलेट्स के प्रकार (Types of Millets in Hindi)
मिलेट्स में आने वाले अनाज दो तरह के होते हैं, इन्हें इनके आकार के हिसाब से दो भागों में बांटा गया है पहला बड़े दाने वाले मिलेट्स और दूसरा छोटे दाने वाले मिलेट्स। बड़े दानों वाले मिलेट्स में ज्वार और बाजरा शामिल है। वहीं दूसरी ओर छोटे दानों वाले मिलेट्स में रागी, कोदो, सांवा, कुटकी शामिल है। लेकिन इन अनाजों को आज गेहूं और चावल ने पीछे छोड़ दिया है। हमारे पूर्वजों द्वारा अधिकतर इन्हीं अनाजों का सेवन किया जाता था, जिसके कारण वह हमेशा स्वस्थ रहते थे। इन अनाजों की महत्वता देखते हुए इन्हें दोबारा से भारतीय थाली में लाने की कोशिश की जा रही है। भारत सरकार द्वारा भी लोगों से इन अनाजों को उपयोग करने के लिए कहा जा रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष (International Year of Millets 2023)
भारत सरकार द्वारा मिलेट्स अनाज के उत्पादन और उपयोग पर काफी जोर दिया जा रहा है भारत सरकार के आग्रह पर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका ने भी वर्ष 2023 को इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर घोषित किया है। मिलेट्स अनाज न केवल खाने वालों के लिए बल्कि उगाने वालों के लिए फायदेमंद होते हैं। इन अनाजों को किसानों का मित्र कहा जाता है, क्योंकि यह अनाज कम परिश्रम और कम लागत में उगाए जा सकते हैं। इसके अलावा यह अनाज बाकी अनाजों की तरह जलवायु परिवर्तन से प्रभावित नहीं होते। यह अनाज बिना किसी उर्वरक के और किसी भी तरह की मिट्टी में उग जाते हैं।
क्यों हुआ मिलेट का उपयोग कम (मिलेट्स को इतना महत्त्व क्यों दिया जा रहा है?)
पहले हमारे पूर्वजों द्वारा खाने के लिए मुख्य रूप से ज्वार, बाजरे का इस्तेमाल किया जाता था। लेकिन धीरे-धीरे जैसे समय बदलता गया लोगों द्वारा ज्वार बाजरे के बदले गेहूं और चावल का इस्तेमाल खाने के लिए किया जाने लगा। गेहूं और चावल भी एक पौष्टिक अनाज है, लेकिन ज्वार, बाजरा के मुकाबले इन अनाजों की कोई कीमत नहीं है। 60 की दशक के बाद से मिले का उत्पादन और उपयोग काफी कम हुआ है। मिलेट्स के उत्पादन की कमी होने का कारण हरित क्रांति को भी माना जाता है, क्योंकि 1960 में हरित क्रांति के बाद से भारत के परंपरागत भोजन को हटाकर गेहूं चावल और मैदे को बढ़ावा दिया जाने लगा था।
निष्कर्ष
कोरोना जैसी महामारी के बाद से लोगों में स्वास्थ्य के प्रति काफी जागरूकता बढ़ गई है। अब इंसानों द्वारा अपने परंपरागत भोजन को अपनाया जा रहा है। वे उस भोजन का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो प्राचीन काल से इस्तेमाल किया जा रहा है। मोटे अनाज को अब व्यक्ति इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, और इसे सुपर फूड के नाम से भी जाना जाता है। मिलेट्स एकमात्र ऐसा अनाज होता है, जो आपको एक ही तरह के खाने में कई तरह के विटामिन जैसे कि कैल्शियम, जिंक, आयरन, मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर, विटामिन-बी, कैरोटीन प्रदान करता है।
Millets are Superfood Essay in Hindi 1000 Words
प्रस्तावना
आज International Year of Millets के चलते हर कहीं मिलेट्स की बात हो रही हैं। जिसमें मिलेट्स खाने के फायदे और उनके प्रकारों पर गौर किया जा रहा है। लेकिन हमारे भारत में मिलेट्स खाने की परंपरा काफी पुरानी है। जिसका उल्लेख कई जगहों पर अलग-अलग कार्यों के लिए किया गया है। साल 2018 में सबसे पहले FAQ द्वारा अनुमोदित किया गया जिसमें बाद संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2023 में International Year of Millets- IYM) के रूप में घोषित कर दिया। इसका नेतृत्व भारत द्वारा किया गया है, जिसमें 70 से अधिक देशों द्वारा इसका समर्थन किया गया है। मिलेट्स पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जिनकी खेती शुष्क क्षेत्रों, उष्णकटिबंधीय एवम उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में की जाती है। भारत में मुख्य रूप से मिलेट्स की रागी, सोरघम, समा, वरिगा, बाजरा की प्रजाति उपलब्ध है।
Millets का इतिहास (प्राचीन समय में योगदान)
पुराने समय में मिलेट्स यानी श्री अन्न का बहुत बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता था। यह भोज्य पदार्थ बनाने के साथ अनुष्ठानों में भी उपयोग किए जाते थे। कालिदास ने अभियान शकुंतलम में कंगनी नामक मिलेट का उल्लेख किया है। जिसमें ऋषि कण्व को राजा दुष्यंत के महल में शंकुतला को विदा करते हुए कंगनी डालते हुए बताया गया है। यह शुभ शगुन की तरह होता है। सुश्रुत ऋषि ने भी अपनी संहिता में श्री अन्न के बारे में बताया है। कौटिल्य द्वारा अर्थशास्त्र में मिलेट्स खाने के कई फायदे बताए गए हैं। इसमें कौटिल्य द्वारा मोटे अनाज को पकाने और उसके उपयोग करने की सही विधि बताई है।
मिलेट्स के प्रकार (Types of Millets in Hindi)
मिलेट्स में आने वाले अनाज दो तरह के होते हैं, इन्हें इनके आकार के हिसाब से दो भागों में बांटा गया है पहला बड़े दाने वाले मिलेट्स और दूसरा छोटे दाने वाले मिलेट्स। बड़े दानों वाले मिलेट्स में ज्वार और बाजरा शामिल है। वहीं दूसरी ओर छोटे दानों वाले मिलेट्स में रागी, कोदो, सांवा, कुटकी शामिल है। लेकिन इन अनाजों को आज गेहूं और चावल ने पीछे छोड़ दिया है। हमारे पूर्वजों द्वारा अधिकतर इन्हीं अनाजों का सेवन किया जाता था, जिसके कारण वह हमेशा स्वस्थ रहते थे। इन अनाजों की महत्वता देखते हुए इन्हें दोबारा से भारतीय थाली में लाने की कोशिश की जा रही है। भारत सरकार द्वारा भी लोगों से इन अनाजों को उपयोग करने के लिए कहा जा रहा है।
मिलेट्स का भारत में उत्पादन व स्थान
भारत मिलेट्स का सबसे बड़ा उत्पादक है, एवम दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के सात राज्य 85 प्रतिशत मिलेट्स का उत्पादन करते है। राजस्थान में सबसे ज्यादा श्री अन्न उगाया जाता है। क्योंकि मिलेट्स की खेती करने के लिए अन्य फैसलों के मुकाबले कम पानी लगता है। कर्नाटक में मिलेट्स का उत्पादन हरियाणा 14.02 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 13.09 प्रतिशत, उत्तरप्रदेश में 12.7, हरियाणा 7.06 प्रतिशत, गुजरात 6.0 और मध्यप्रदेश में 5.07 प्रतिशत किया जाता है।
मिलेट्स के फायदे (Benefits of मिली)
मिलेट्स यानी मोटे अनाज खाने के कई सारे फायदे होते हैं।
- यह ब्लड शुगर को काम करता है, इसके अलावा ब्लड प्रेशर कंट्रोल करता है।
- डायरिया, कब्ज, अपच पेट के रोग, अल्सर जैसी समस्याओं से छुटकारा दिलाता है। साथ ही साथ इसमें कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियों से लड़ने वाले पोषक तत्व पाए जाते हैं।
- मिलेट्स अनाज को अपनी डाइट में शामिल करने से आपके शरीर को कम मात्रा में अधिक पोषण मिल जाते हैं।
- मिलेट्स अनाजों में फाइबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम, आयरन कैल्शियम जैसे अनेकों तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारे शरीर को मजबूत और हमारे शरीर के आंतरिक अंगों को स्वस्थ रखते हैं।
- इन मोटे अनाजों के उपयोग से शरीर का वजन संतुलित रहता है। इसके अलावा इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर के अंदर से विषैला पदार्थ को बाहर निकलते हैं।
मिलेट्स का महत्व
मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से देखे तो मिलेट्स अत्यंत उपयोगी साबित होते हैं, क्योंकि इन अनाजों में तरह के पोषक तत्व जैसे की कैल्शियम, फाइबर, फास्फोरस, जिंक, कॉपर, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन आदि अधिक मात्रा में मौजूद होते हैं। हम भोजन के रूप में जो भी खाते हैं, वह हमारे पेट में जाने के बाद ग्लूकोस के रूप में परिवर्तित होकर खून में मिल जाता है, जो शुगर का एक रूप होता है। आजकल के दौर में गेहूं चावल का उपयोग खाने के लिए अधिक मात्रा में किया जाता है, लेकिन इन अनाजों के मुकाबले मिलेट्स शरीर के लिए काफी फायदेमंद और गुणकारी साबित होता है। मिलेट्स शरीर में बढ़ने वाले अधिक ग्लूकोस को कम करता है। ग्लूटेन फ्री होने के कारण यह हमें अनेक तरह के रोगों से बचाता है।
पर्यावरण का मित्र मिलेट्स अनाज
चावल और गेहूं जैसी अन्य फसलों के मुकाबले मोटे अनाज की फसल को उगाने में काफी कम मेहनत लगती है। मोटे अनाज की फसल उगाने का सबसे बड़ा फायदा यह है, कि इस फसल को पानी की जरूरत नहीं होती। यह पानी की कमी के कारण न ही खराब होते हैं, और ना ही वर्ष के कारण इसे नुकसान होता है। यदि किसी कारण मोटा अनाज खराब होता है, तो यह चारे के रूप में पशुओं के काम आ जाता है। ज्वार और बाजार जैसी फैसले बेहद कम समय लागत और मेहनत में तैयार हो जाती है। इसके अलावा इन फसलों को उगाने के लिए किसी भी तरह के रासायनिक उर्वरक या कीटनाशक की आवश्यकता नहीं होती, जिससे इन अनाजों में मौजूद पोषक तत्व बरकरार रहते हैं।
मिलेट्स के प्रति जागरूकता
मिलेट्स अनाजों में मुख्य रूप से ज्वार और बाजरा शामिल है। ज्वार बाजरे का इस्तेमाल आजकल गरीब घरों में अधिकतर किया जाता है। इसी कारण से इसे गरीबों का खाना भी कहा जाता है। कई लोगों द्वारा ऐसी धारणा बना ली गई है, कि यह गरीबों का खाना है और इससे दूसरे लोगों को नहीं खाना चाहिए। जिसके बाद से इंसानों ने इसका इस्तेमाल कम कर दिया, लेकिन अब व्यक्ति इन अनाजों के महत्व को देखकर उनकी कीमत समझ रहे हैं। सभी लोगों के बीच मिलेट्स के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। यह अनाज ना सिर्फ खाने में बल्कि उगाने में भी फायदेमंद होता है, बाकी अन्य फसलों के मुकाबले इस अनाज को किसी भी जलवायु में और किसी भी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है।
Theme of 2023 International Year of Millets
‘समृद्ध परंपरा‚ संपूर्ण पोषण (Rich in Heritage, full of Potential)’ इस साल International Year of Millets की थीम लोगों को देसी अनाज का सेवन करना और उसकी दुनियाभर में खेती करने पर जोर देना है। इसका उद्देश्य मोटे अनाज के योगदान के बारे में जागरूक करना है। मोटे अनाज का प्रमाण सबसे पहले सिंधु सभ्यता में पाए गए, जो की भोजन के लिए उगाए जाने वाली सबसे पहली फसल में से एक है। इस अनाज का उपभोग एशिया और अफ्रीका के करीब 60 करोड़ लोगों द्वारा किया जाता है। मोटे अनाज की खेती न केवल मनुष्यों के उपभोग के लिए फायदेमंद है, बल्कि इसकी खेती करना पर्यावरण के लिए भी हितकारी है। क्योंकि मोटे अनाज की फसल से निकलने वाली खली एवं चारे को जलाया नहीं जाता बल्कि यह पशुओं को खिला दिया जाता है। वहीं मिलेट्स को उगाने के लिए अन्य अनाजों से कम से कम 3 गुना कम पानी की आवश्यकता पड़ती है। ऐसे में यह अनाज कम पानी वाली जगह उगाया जा सकता है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य
6 दिसंबर‚ 2022 को संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा रोम‚ इटली में मोटे अनाज के अंतरराष्ट्रीय वर्ष 2023 के उद्घाटन समारोह का आयोजन किया गया। 18 मार्च‚ 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूसा‚ नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के ‘भारतीय कृषि विज्ञान परिसर’ (एन.ए.एस.सी) के सुब्रह्मण्यम हॉल में दो दिवसीय वैश्विक मोटे अनाज/मिलेट (श्री अन्न) सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज (श्री अन्न) पर स्मारक डाक टिकट व स्मारक सिक्के का विमोचन किया। साथ ही भारतीय मोटे अनाज (श्री अन्न) स्टार्ट-अप्स का संग्रह (Compeudium of Indian Millet Startups) एवं बुक ऑफ मिलेट स्टैण्डर्ड (Book of Millet Standard) का भी विमोचन किया।
इसके अतिरिक्त एक प्रदर्शनी सह-क्रेता-विक्रेता समागम मण्डप (Exhibition Cum Buyer Seller meet Paveilion) का भी शुभारंभ किया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के ‘भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान’ (आईआईएमआर) को ‘वैश्विक उत्कृष्टता केंद्र’ घोषित किया। इस सम्मेलन में गुएना ने घोषणा किया है कि वह भारत के प्रौद्योगिकी और तकनीकी मार्गदर्शन में 200 एकड़ भूमि पर विशेष रूप से मोटे अनाज का उत्पादन करेगा। भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Millet Research) इसकी स्थापना वर्ष 1958 में हुई तथा यह हैदराबाद, तेलंगाना में स्थित है। मोटे अनाज पर अनुसंधान हेतु भारत सरकार की नोडल एजेंसी है।
निष्कर्ष
आज के समय में हर दूसरा व्यक्ति शारीरिक समस्याओं से जूझ रहा है, जिसका मुख्य कारण पोषक तत्व की कमी है इसलिए स्वस्थ शरीर के लिए मिलेट्स अनाजों का इस्तेमाल करना जरूरी है। प्राचीन काल में लोगों द्वारा ऐसा आहार लिया जाता था, जो संपूर्ण पोषक तत्वों से भरपूर हो। मिलेट्स खाने के बहुत सारे फायदे हैं। इस अनाज को उगाना पर्यावरण के लिए फायदेमंद भी होता है, क्योंकि इसे किसी भी प्रकार के उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती जिससे की भूमि उपजाऊ रहती है। इसके अलावा इसे अनाजों के बचे हुए अपशिष्ट पदार्थों को अन्य फसलों की तरह जलाना नहीं पड़ता। इन अपशिष्ट पदार्थों को पशुओं के चारे के लिए इस्तेमाल कर लिया जाता है, जिसके कारण यह अनाज पर्यावरण के लिए भी लाभदायक साबित होते हैं।
Essay on Millets in English
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