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Pustak Ki Atmakatha in Hindi
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Pustak ki Atmakatha in hindi (300 words)
मैं पुस्तक हूं, लोग मुझे किताब के नाम से भी जानते हैं। मेरा काम लोगों को ज्ञान देना है। मुझ में तरह-तरह की ज्ञान की बातें लिखी रहती है, जिसे पढ़कर इंसान ज्ञान की बातों को जान सकता है। इसके अलावा लेखकों द्वारा हर तरह की बातें किताब में लिख कर दूसरे लोगों तक पहुंचाई जाती है। मुझे पढ़ने के लिए मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। हर उम्र के लोगों की अपनी पसंद होती है, वे उस अनुसार मेरी छवियों को पढ़ना पसंद करते हैं। मुझ में काफी सारा ज्ञान का भंडार है। और मुझ में ही काफी सारा शायराना अंदाज है।
प्राचीन काल में गुरुकुल में गुरु जी द्वारा मौखिक रूप से ज्ञान दिया जाता था। लेकिन अब गुरुकुल नहीं रहे अब ज्ञान पुस्तक के रूप में दिया जाता है। जो भी व्यक्ति मुझसे दोस्ती करता है, मैं उससे विद्वान बना देती हूं, उसे सारे जहां का ज्ञान दे देती हूं। मुझे इंसानों द्वारा भी काफी पसंद किया जाता है। कुछ इंसान मुझे कविता पढ़ने के लिए कुछ कहानियां पढ़ने के लिए कुछ बच्चों को वर्णमाला सिखाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। मैं हर उम्र के लोगों की सेवा करती हूं। उन्हें तरह-तरह का ज्ञान देती हूं। जिससे वे जीवन का नैतिक ज्ञान प्राप्त कर सकें। मैं इंसानों के जीवन में काफी महत्व रखती हूं, क्योंकि मुझ में मौजूद ज्ञान से ही इंसान जीवन में सफल व्यक्ति बन पाता है।
जैसे जैसे इंसान बड़ा होता ही जाता है वैसे वैसे वह किताबों से जुड़ता जाता है। बचपन में उसे में पढ़ने लिखने का ज्ञान देती हूं, और आगे चलकर मैं उसे जीवन सवारने का ज्ञान देती हूं। सभी लोग मुझे बड़े संभाल कर अपने घरों में रखते हैं, और अपने ज्ञान को बढ़ाने के लिए मुझे पढ़ते हैं। मुझे घर में रखने का एक कारण यह भी होता है, कि अगर समय के साथ वह कुछ भूल जाते हैं तो दोबारा से पढ़कर अपना ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं। मेरी जीवन यात्रा काफी अच्छी रही है मुझे हर जगह सम्मान दिया गया है और बड़े-बड़े विद्वानों द्वारा लोगों को पुस्तक पढ़ने के लिए प्रेरित किया गया है जिसके लिए मैं सभी का धन्यवाद करती हूं।
Pustak Ki Atmakatha in Hindi in Short (500 words)
नमस्कार दोस्तों मेरा नाम पुस्तक है, और आज मैं आपको अपनी आत्मकथा बताने वाली हूं। मुझे मेरे नाम से तो सभी लोग जानते ही होंगे लेकिन उस तक के अलावा मुझे किताब के नाम से भी जाना जाता है मेरा काम लोगों को मुझ में मौजूद ज्ञान प्रदान करना है। लेकिन प्राचीन काल में ऐसा नहीं होता था प्राचीन काल में गुरुकुल में गुरु जी द्वारा बच्चों को मौके ज्ञान दिया जाता था लेकिन अब उस ज्ञान को संरक्षित रखने के लिए मेरा उपयोग किया जाने लगा और सालों तक मुझ में ज्ञान को सुरक्षित रखा गया। बात अगर मेरे सफर किए जाएं तो एक कागज के बनने से पुस्तक बनने तक का मेरा सफर काफी कठोर रहा है।
पुस्तक बनने से पहले मुझे कागज के रूप में बनाया जाता है उसके लिए पेड़ों की छाल मांस के टुकड़े पुराने कपड़े घास पूस को कूट पीसकर लंबे समय तक पानी में गलाया जाता है उसके बाद जब सब चीजों की लुगदी बनकर तैयार हो जाती है फिर उसे मशीन के नीचे भारी वजन के साथ दबाकर मुझे कागज का रूप दिया जाता है। फिर बहुत सारे कागज के टुकड़ों को धागे में बांधकर उसे लेखकों के पास भेजा जाता है जहां लेखक अपने जीवन भर का ज्ञान उन पन्नों में लिखकर मुझे पुस्तक का रूप देते हैं।
मेरे अंदर संसार में मौजूद हर विषयों का ज्ञान होता है मुझ में कविताएं गीत संगीत चुटकुले मुहावरे वेद पुराण सभी चीजों का ज्ञान लिखा जाता है। मेरा मुख्य कारण इंसानों को ज्ञान देकर उन्हें विद्वान बनाना है जिससे वह अंधकार से निकल कर खुद को उजाले की ओर ले जा सके। मुझ में मौजूद ज्ञान के कारण ही इंसान एक शब्द व्यक्ति बनता है और अपने समाज और राष्ट्र की तरक्की में अपना योगदान देता है। जो इंसान अपने जीवन में किताबों से भी रखता है उसका जीवन उन्नति के समान हो जाता है वह हमेशा ज्ञान से वंचित रहता है वह जीवन में कभी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता।
इंसानों द्वारा अपने जीवन की शुरुआत में ज्ञान प्राप्त करने की शुरुआत मेरे ही द्वारा की जाती है इंसान बचपन से ही किताबों से ज्ञान अर्जित करते हैं और समय के साथ-साथ ज्ञानी होकर अच्छे इंसान के रूप में बदल जाते हैं। प्राचीन काल में मेरा उपयोग गुरुद्वारा ज्ञान को सुरक्षित रखने के लिए किया जाता था जिससे अगर गुरुजी कुछ ज्ञान की बातें भूल भी जाएं तो किताब में पढ़कर अपने शिष्यों को वह बता सके।
आज पुस्तकों में दुनिया भर की बड़ी-बड़ी थ्योरी बड़ी बड़ी कहानियां लिखी हुई है इन कहानियों को पढ़कर इंसान देश दुनिया के बारे में जान सकता है। अगर मेरे आकार के बारे में की जाए तो मैं कई अलग-अलग आकार में आती हूं छोटी पुस्तकों से लेकर बड़ी बड़ी मोटी पुस्तकों तक मेरा आकाश सीमित है। मेरे जीवन का उद्देश्य इंसानों को ज्ञान देकर उन्हें एक सभ्य और विकासशील इंसान बनाना है। मेरा जन्म जिस कार्य के लिए हुआ है मैं उस कार्य को पूरी ईमानदारी के साथ करूंगी और हमेशा मुझे पढ़ने वाले लोगों को सफलता की ओर ले जाऊंगी।
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