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Quit India Movement Essay in Hindi
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Essay On Quit India Movement In Hindi 100 Words
महात्मा गांधी हमारे भारत देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है। महात्मा गांधी का भारत की स्वतंत्रता में अहम योगदान रहा है, इसीलिए उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दी गई है। महात्मा गांधी ने अपने जीवन में कई सारे आंदोलन किए हैं, जैसे असहयोग आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो आंदोलन इत्यादि। भारत को आजादी दिलाने में महात्मा गांधी के द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन की अहम भूमिका है। इस आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी 8 अगस्त 1942 को की गई थी। यह आंदोलन काफी असरदार रहा। इस आंदोलन शुरू होने के बाद अंग्रेजों ने 5 साल के भीतर भारत को छोड़ दिया। महात्मा गांधी ने इस आंदोलन के माध्यम से सभी स्वतंत्रता सेनानियों को ‘करो या मरो’ का नारा दिया था।
Bharat Chhodo Andolan Essay 200 Words
मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें हम ‘बापू’ के नाम से जानते हैं। महात्मा गांधी को भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो कि पोरबंदर के दीवान थे एवं माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी 18 वर्ष की उम्र में बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए। इंग्लैंड से वापस भारत आने के बाद वह मुंबई हाईकोर्ट में वकालत करने लगे। इसके बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका जाकर वकालत करने का निर्णय लिया। साउथ अफ्रीका में महात्मा गांधी के साथ कठोर व्यवहार किया गया।
1915 में महात्मा गांधी भारत लौट आए जब तक भारत में भी स्वतंत्रता की लड़ाई शुरू हो गई थी। महात्मा गांधी ने इस लड़ाई में हिस्सा लेना शुरू कर दिया। महात्मा गांधी ने स्वतंत्रता की लड़ाई जारी रखते हुए 8 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन शुरू किया। महात्मा गांधी का यह आंदोलन भारत में काफी तेजी से फैलने लगा। सभी राज्यों में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा अंग्रेजों के साथ कठोर व्यवहार किया जाने लगा। हालत बिगड़ते देख अंग्रेज सैनिकों ने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कठोर व्यवहार अपनाया और इस आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय लिया। इस आंदोलन को अगस्त क्रांति आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है।
Quit India Movement Class 10 (300 Words)
प्रस्तावना
हाल ही में 2023 में भारत छोड़ो आंदोलन की 81वी वर्षगांठ मनाई जाएगी। भारत छोड़ो आंदोलन एक ऐसा आंदोलन था, जिसके दबाव के कारण अंग्रेज भारत को छोड़ने के लिए मजबूर हुए। इस आंदोलन को अगस्त क्रांति आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया था। आंदोलन को शुरू करने के बाद महात्मा गांधी को हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद कांग्रेस के कुछ युवा नेता और स्वतंत्रता सेनानियों ने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया। इस आंदोलन के खत्म होने के बाद 5 सालों के भीतर ही भारत अंग्रेजों के शासन से मुक्त हो गया। इसलिए इस आंदोलन को भारत को आजादी दिलाने वाला आंदोलन कहा जाता है।
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत कब हुई?
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत महात्मा गांधी 8 अगस्त 1942 की शाम को कांग्रेस कमेटी के मुंबई सेशन में की थी। महात्मा गांधी ने भाषण देते हुए भारत वासियों को करो या मरो का नारा दिया था। इस आंदोलन का एक ही लक्ष्य रखा गया था, जो कि भारत को किसी भी हाल में भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराना था। भारत छोड़ो आंदोलन सभी भारतीयों द्वारा स्वीकार आ गया लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जो इस आंदोलन के खिलाफ थे। मुस्लिम लीग के कुछ सदस्य, इंडियन इंपिरियल पुलिस, ब्रिटिश इंडियन आर्मी यह सब इस आंदोलन के खिलाफ थे।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी का यह आंदोलन सारे देश में युवा स्वतंत्र सेनानियों द्वारा सक्रिय किया गया लेकिन उस समय कई युवा आजाद हिंद फौज और सुभाष चंद्र बोस के विचारों से प्रभावित थे। आजाद हिंद फौज में शामिल कई सारे युवाओं ने इस आंदोलन में भाग नहीं लिया। लेकिन महात्मा गांधी के इस आंदोलन को अमेरिका जैसे राष्ट्र का बेहद समर्थन मिला। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रोसवैल्ट यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल को भारतवासियों की मांगों को पूरा करने के लिए मजबूर किया। इस आंदोलन के समाप्त होते ही 5 सालों के भीतर भारत को अंग्रेजी शासन से मुक्ति प्राप्त हुई।
Quit India Movement in Hindi 500 Words
प्रस्तावना
भारत देश काफी लंबे समय तक अंग्रेजों का गुलाम रहा है। अंग्रेजी हुकूमत से आजादी पाने की कीमत कई स्वतंत्रता सेनानियों को अपनी जान से चुकानी पड़ी है। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई काफी लंबे समय तक चली है। इस स्वतंत्रता की लड़ाई में कई तरह की क्रांतिया हुई है, जिनमें असंख्य भारतवासी शामिल होकर स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते रहे हैं। भारत छोड़ो आंदोलन भी एक क्रांति ही है, जो कि महात्मा गांधी के नेतृत्व में हुई थी। इस आंदोलन का प्रभाव अंग्रेजों पर काफी बुरा पड़ा था। इस आंदोलन के कारण अंग्रेजी शासन भारत में बेहद कमजोर पड़ गया था। इस आंदोलन में भारतवासियों के रौद्र रूप को देखकर वह समझ गए थे कि ज्यादा समय तक वह भारत में नहीं रह पाएंगे।
भारत छोड़ो आंदोलन के बारे में
भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने का प्रस्ताव सबसे पहली बार 14 जुलाई 1942 को वर्धा में रखा गया था। 14 जुलाई के दिन कांग्रेश की समिति ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव रखा एवं इसकी सार्वजनिक घोषणा करने से पहले इलाहाबाद में 1 अगस्त को तिलक दिवस मनाया जाना था। इसलिए महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 की शाम को अखिल भारतीय कांग्रेस की बैठक में ग्वालियर टैंक मैदान पर भारत छोड़ो आंदोलन को शुरू करने की घोषणा की। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सभी सदस्यों ने इस आंदोलन को शुरू करने का प्रस्ताव स्वीकारा और यह प्रस्ताव रखा कि ब्रिटिश शासन जल्द से जल्द भारत को स्वतंत्र कर भारत को एक लोकतंत्र की स्थापना करने दे।
भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रभाव (Effect of Bharat Chhodo Andolan)
वर्ष 1939 में ब्रिटेन और जर्मनी के बीच युद्ध चल रहा था। इस दौरान ब्रिटिश शासन यह चाहता था, कि भारत भी इस युद्ध में शामिल हो। लेकिन युद्ध में शामिल होने से पहले कांग्रेश के कुछ राजनेताओं द्वारा यह प्रस्ताव लाया गया कि पहले हमारी सारी मांगों को पूरा किया जाए। महात्मा गांधी ने अन्य नेताओं की बात पर एतराज दिखाया। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश सरकार से भारत के लोगों के लिए रोटी की मांग की गई है, किंतु ब्रिटेन सरकार भारतवासियों को पत्थर दे रही है। इस आंदोलन शुरू होने के बाद कई सारे राजनेताओं को जेल में डाल दिया गया। राजनेताओं के जेल जाने के बाद आम लोगों ने सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाना शुरू कर दिया। आम लोगों द्वारा रेल सेवा, पुलिस स्टेश, लो कोर्ट को क्षति पहुंचाई गई। जिसके परिणाम स्वरूप ब्रिटिश शासन ने सभी राजनेताओं को रिहा कर दिया।
क्रिप्स मिशन (Crips Mission)
क्रिप्स मिशन की योजना स्टेफोर्ड क्रिप्स ने बनाई थी। क्रिप्स मिशन के माध्यम से ब्रिटिश सरकार ने भारत को डोमिनियन का अधिकार दिया। इसके साथ उन्होंने भारतीयों को खुद का संविधान बनाने का भी अवसर दिया। क्रिप्स मिशन मुख्य रूप से कांग्रेस और मुस्लिम लीग के लोगों को संतुष्ट करने के लिए बनाया गया था, लेकिन अंत में दोनों लोगों ने ही इसे ठुकरा दिया। महात्मा गांधी ने अखंड भारत की मांग रखी वहीं दूसरी ओर मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान की मांग रखी। क्रिप्स मिशन के आने के बाद हिंदू मुस्लिम में काफी विवाद होने लगा महात्मा गांधी चाहते थे, कि भारत की सेना का अधिकार पूरे भारत पर हो। लेकिन मुस्लिम लीग के सदस्य कहते थे, कि मुसलमानों को इस मिशन से कोई फायदा नहीं है। इसीलिए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया गया।
निष्कर्ष
ब्रिटिश शासन द्वारा कांग्रेस कमेटी के सदस्यों को खुश करने की बेहद कोशिश की गई। क्रिप्स मिशन के पीछे ब्रिटिश शासन की यह चाल थी , कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिक ब्रिटिश सेना का साथ दें। लेकिन महात्मा गांधी ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया और जैसे ही ब्रिटेन द्वितीय विश्व युद्ध में फसा तो महात्मा गांधी ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से अंग्रेजों के ऊपर दबाव बनाना शुरू कर दिया। महात्मा गांधी का यह आंदोलन सफल रहा इस आंदोलन के बाद अंग्रेजों ने जल्द से जल्द भारत को छोड़ने का निर्णय ले लिया था। इस आंदोलन को भारतवासियों ने अगस्त क्रांति आंदोलन का नाम लिया।
Quit India Movement Essay in Hindi 1000 Words
प्रस्तावना : महात्मा गांधी द्वारा भारत छोड़ो आंदोलन से पहले भी दो बड़े आंदोलन शुरू किए गए थे। यह आंदोलन महात्मा गांधी द्वारा शुरू किया गया तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन था। इसे सही मायने में एक जन आंदोलन कहा जा सकता है। इस आंदोलन में लाखों युवाओं ने बड़ी संख्या में भाग लिया था। इसके अलावा आम हिंदुस्तानी व्यक्तियों ने भी इस आंदोलन में सक्रिय होकर स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना योगदान दिया था। महात्मा गांधी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर लाखों युवाओं ने आजादी के लिए अपना कॉलेज छोड़कर जेल जाने का रास्ता अपनाया। महात्मा गांधी द्वारा 8 अगस्त 1942 की शाम को इस आंदोलन की घोषणा की गई थी। आंदोलन के अगले ही दिन महात्मा गांधी और अन्य राजनेताओं की गिरफ्तारी हो गई, लेकिन यह आंदोलन जल्दी अपने चरम पर आ गया। यह वास्तव में एक जन आंदोलन था क्योंकि इस आंदोलन में 60,000 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन के चरण
भारत छोड़ो आंदोलन के तीन मुख्य चरण थे। तीनों अलग-अलग चरणों में भारत छोड़ो आंदोलन को सक्रिय किया गया।
पहला चरण: प्रथम चरण में क्रांतिकारी द्वारा विद्रोह और बहिष्कार किया गया। धरना प्रदर्शन का सहारा लेकर गांधीजी की रिहाई की मांग की गई। पूरे देश में हड़ताल प्रदर्शन किए गए मजदूरों ने कारखानों में काम करना बंद कर दिया।
दूसरा चरण: आंदोलन के दूसरे चरण में ग्रामीण क्षेत्रों से आंदोलन का प्रदर्शन किया गया। इसमें किसान आंदोलन ,संचार प्रणालियों को नष्ट करना , सरकारी संपत्ति पर हमला करना , रेलवे ट्रैक, स्टेशन ,टेलीग्राफ तार तथा खंभों को तोड़ना शामिल था।
तीसरा चरण : आंदोलन का यह चरण सबसे मुख्य चरण था। इसमें देश के कई विश्व में समांतर सरकारों का गठन किया गया। भारत के विभिन्न हिस्सों में हिंसक घटनाएं की गई, जो कि पूर्व नियोजित नहीं थी। क्रांतिकारियों द्वारा महात्मा गांधी एवं अन्य राजनेताओं की रिहाई के लिए ब्रिटिश पुलिस स्टेशन का घेराव भी किया गया था।
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व और परिणाम
भारत छोड़ो आंदोलन का महत्व काफी ज्यादा था। इस आंदोलन में भारत की आम जनता ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। भारत देश के सभी राज्यों से इस आंदोलन को पूर्ण समर्थन किया गया। भारत छोड़ो आंदोलन के परिणाम कुछ इस प्रकार थे।
- भारत छोड़ो आंदोलन एक वास्तविक जन आंदोलन था, जिसमें लाखों भारतीयों ने हिस्सा लिया इसके फलस्वरूप भारत में राजनीतिक के प्रति लोग जागरूक हुए।
- इस आंदोलन में भारत के युवाओं ने बढ़ चढ़कर भाग लिया। बड़ी संख्या में छात्र इस आंदोलन से आकर्षित हुए और उन्होंने कॉलेज जाने के बजाय जेल जाना सही समझा।
- इस आंदोलन के कारण क्रांतिकारी गतिविधियों को आम जनता का प्रोत्साहन मिलने लगा।
- भारत छोड़ो आंदोलन के फलस्वरूप 1946 में भारतीय जल सेना ने अंग्रेजो के खिलाफ प्रदर्शन किया।
भारत छोड़ो आन्दोलन का विरोध
भारत छोड़ो आंदोलन देश के हित में शुरू किया गया था। इस आंदोलन का उद्देश्य किसी भी कीमत पर अंग्रेजों को भारत से भगाना था। लेकिन भारत के कुछ संघ ऐसे भी थे, जिन्होंने इस आंदोलन का विरोध किया। इस आंदोलन का सबसे पहला विरोध मुस्लिम लीग ने किया था। उनका कहना था कि अगर ब्रिटिश सरकार भारत को इसी हाल में आजाद करके चली जाती है, तो मुसलमानों को हिंदुओं के दबाव में रहना होगा। मुस्लिम लीग के चेयरमैन मोहम्मद अली जिन्ना ने गांधी जी के इस आंदोलन का विरोध किया और मुसलमानों ने इस आंदोलन में भाग लेने से इनकार कर दिया।
हिंदू महासभा द्वारा भी भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया गया था क्योंकि हिंदू राष्ट्रवादी भारत के विभाजन से नाखुश थे। वह अखंड भारत का निर्माण चाहते थे। इसी कारण हिंदू महासभा संगठन के अध्यक्ष विनायक दामोदर सावरकर, श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने महात्मा गांधी के इस आंदोलन में जुड़ने से मना कर दिया। इसके अलावा भारत में चल रहे कई राष्ट्रीय संघ जैसे कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया और इसमें जुड़ने से इंकार कर दिया।
आंदोलन के दौरान गतिविधियाँ
भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत के साथ महात्मा गांधी ने कहा कि, एक छोटा सा मंत्र है जो मैं आपको देता हूं। इसे आप अपने हृदय में अंकित कर लें और अपनी हर सांस में अभिव्यक्त करें। यह मंत्र है, करो या मरो हमें हर हाल में स्वतंत्रता चाहिए। इसके लिए हम अपनी जान भी दे देंगे। 8 अगस्त 1942 कि और अगले दिन महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया गया। ब्रिटिश शासन द्वारा रात 12:00 बजे जीरो ऑपरेशन शुरू किया गया। इस ऑपरेशन के तहत उन्होंने देश के बड़े-बड़े राजनेताओं को जेल में डाल दिया। इसी के साथ कांग्रेस को गैर संवैधानिक संस्था घोषित कर उस पर प्रतिबंध लगा दिया।
प्रमुख नेताओं के जेल जाने के बाद अन्य स्वतंत्रता सेनानी द्वारा प्रदर्शन करने पर ब्रिटिश सरकार द्वारा उन पर लाठीचार्ज, गोलीबारी भी की गई। ब्रिटिश शासन की हिंसक कार्यवाही के बाद आम लोगों का गुस्सा भी बढ़ गया। उन्होंने भी हिंसक गतिविधियां करना शुरू कर दी। आम लोगों द्वारा सरकारी संपत्ति जैसे कि रेलवे डाक एवं तार व्यवस्था को हानि पहुंचाई गई। बिहार के पटना में सचिवालय पर तिरंगा फहराने के दौरान साथ युवा शहीद भी हो गए। भारत के अनेकों स्थान पर पुलिस और जनता के बीच काफी हिंसक संघर्ष भी हुआ। पहली बार 60000 लोगों को जेल में डाला गया।
निष्कर्ष
भारत छोड़ो आंदोलन भारत में एक नई क्रांति लेकर आया इस आंदोलन को खत्म करने में ब्रिटिश सरकार को 1 साल से अधिक का समय लग गया। भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि 60000 लोगों को एक साथ जेल में भेजा गया। भारत छोड़ो आंदोलन के समय भारत की स्थिति काफी खराब थी। भारत में गरीबी और भुखमरी काफी तेजी से बढ़ रही थी। इस आंदोलन के दौरान ही बंगाल में गरीबी के कारण अकाल पड़ा जिससे 30 लाख लोग मारे गए। यूं ही नहीं भारत का आदमी आजादी के लिए तड़प रहा था। अंग्रेजों ने इस देश की ऐसी हालत कर दी थी कि लोगों के पास खाने के लिए एक वक्त की रोटी नहीं थी। गांधी जी द्वारा चलाए गए इस आंदोलन के कारण अंग्रेजों पर भारत छोड़ने का दवा बना। इस आंदोलन के फलस्वरूप अगले 5 वर्षों में भारत ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गया।
Essay on Quit India Movement in Hindi
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