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Savitribai Phule Essay in Hindi
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Savitribai Phule Essay in Hindi 100 words
हर साल 3 जनवरी को सावित्री बाई फुले जी की जयंती (Savitribai Phule Jayanti) मनाई जाती है। वे भारत की सबसे पहली महिला शिक्षिका मानी जाती हैं। उनका जन्म 3 जनवरी सन 1831 में हुआ था। उनके पिता का नाम खंडोजी नवेसे पाटिल और माता का नाम सत्यवती था। सावित्री बाई फुले का विवाह जोतिबा फुले (Savitribai Phule husband) से हुआ था। जोतीबा फुले बहुत बड़े समाज सेवक थे। जिनके साथ मिलकर सावित्री बाई फुले ने भी समाज सेवा की। वे एक सशक्त नारी और नारीवाद का उत्कृष्ट उदाहरण थी। भारत को आज सावित्री बाई फुले जैसी महान समाज सेविका की अवश्यकता है।
Savitribai Phule speech in Hindi
Savitribai Phule Essay in Hindi
Savitribai Phule speech in English
Savitribai Phule Essay in Hindi 200 words
सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में हुआ था। इनकी माता का नाम सत्यवती तथा पिता का नाम खंडोजी नवेसे था। सावित्री बाई एक बहुत ही महान समाज सेविका और कवियत्री थी। वे भारत की पहली महिला शिक्षिका हैं। इनका विवाह ज्योतिबा फुले जी से हुआ था। सावित्री बाई को उनकी सास ने घर में ही शिक्षा दी और उन्हें पढ़ाया। उस समय समाज लड़कियो की शिक्षा के खिलाफ था। जिसका ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई ने जमकर विरोध किया। ज्योतिबा फुले जी ने लड़कियों की शिक्षा के लिए एक स्कूल खोला, जिसमें सावित्री बाई पढ़ाती थी।
इसके विरोध में लोग सावित्री बाई को भला बुरा कहते थे। उन पर पत्थर और कीचड़ फेंकते थे, लेकिन सावित्री बाई ने कभी हिम्मत नहीं हारी। वे लगातार समाज सेवा और लड़कियों को शिक्षित करने के कार्य में लगी रहीं। सावित्री बाई जी ने ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर लड़कियों को समाज में शिक्षा का अधिकार दिलाया। सन 1890 में ज्योतिबा फुले जी का निधन हो गया। लेकिन सावित्री बाई रुकी नहीं वे निरंतर अपने काम में लगी रही। वर्ष 1897 के समय पूरे पुणे में प्लेग की बीमारी फैल गई। सावित्री बाई ने प्लेग रागियों की सेवा की जिसके कारण उन्हें भी प्लेग की बीमारी हो गई। जिसके चलते 10 मार्च 1897 में उनका निधन हो गया। सावित्री बाई फुले जी ने अंतिम सांस तक समाज सेवा की। भारत ऐसे नारियों को प्रणाम करता है।
Savitribai Phule Essay in Hindi 300 words
प्रस्तावना
सावित्री बाई फुले जी भारत की एक महान समाज सेविका थी। इनका जन्म 3 जनवरी 1831 में (Savitribai Phule Jayanti) हुआ। इनके पिता का नाम खंडोजी नवेसे तथा माता का नाम सत्यवती था। सावित्री देवी का विवाह मात्र 9 साल की छोटी-सी उम्र में हो गया था।
प्रारंभिक जीवन (Savitribai Phule information in Hindi)
सावित्री बाई एक कुशाग्र बुद्धि, सौम्य और मजबूत महिला थी। सावित्री बाई का विवाह ज्योतिबा फुले जी से हुआ था। छोटी-सी उम्र में विवाह होने के कारण वे कम आयु में ही अपनी जिम्मेदारियों को समझ गई थी। सावित्री बाई को उनकी सास ने पढ़ाया व शिक्षति किया।
सावित्री बाई समाज सेविका के रूप में
सावित्री बाई फुले जी एक महान समाज सेविका थी। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर सती प्रथा, बाल विवाह, जातिवाद के मुद्दों पर अपनी आवाज उठाई, और ऐसी कुरीतियों का बहिष्कार किया। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा का अधिकार दिलाने के लिए समाज से एक लंबी लड़ाई लड़ी।
सावित्री बाई पहली महिला शिक्षा (Contribution of Savitribai Phule)
सावित्री बाई को उनकी सास ने शिक्षित किया। उस समय समाज महिलाओं और लड़कियों की शिक्षा के खिलाफ था। जिसका सावित्री बाई ने विरोध किया और महिलाओं की शिक्षा के लिए कई जतन किए। उन्होंने ज्योतिबा फुले द्वारा खोले गए स्कूल में लड़कियों को शिक्षा दी। वे भारत की पहली महिला शिक्षिका बनी।
सावित्री बाई की मृत्यु
सन 1897 में सम्पूर्ण पुणे में प्लेग की बीमारी फैल गई। चारों और लोग प्लेग से मरने लगे। उस समय सावित्री बाई फुले ने प्लेग मरीजों की सेवा में दिन-रात एक कर दिए। जिसके चलते वे स्वयं पर ध्यान न दे सकीं और खुद प्लेग का शिकार हो गई। 10 मार्च, सन 1897 में प्लेग के कारण सावित्री बाई जी का निधन हो गया।
निष्कर्ष
सावित्री बाई फुले जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगा दिया। उन्होंने समाज में फैली कुरुतियों का बहिष्कार किया। जिसके लिए उन्होंने कई कष्ट झेले। सन 1897, 10 मार्च में प्लेग के कारण उनकी मृत्यु हो गई थी। अपने आखिरी समय में भी वे लोगों की सेवा कर रही थीं। भारत ऐसी नारियों को नमन करता है।
Savitribai Phule Essay in Hindi 500 words
प्रस्तावना
सावित्री बाई फुले जी भारत की एक महान समाज सेविका है। वे भारत की सबसे पहली महिला शिक्षिका बनी। इनका जन्म 3 जनवरी 1831 (Savitribai Phule Jayanti) में महाराष्ट्र के सितारा जिले के नायगांव में हुआ था। सावित्री बाई के पिता का नाम खंडोजी नवेसे और माता का नाम सत्यवती था। इनका विवाह बहुत छोटी उम्र में ही कर दिया गया था।
सावित्री बाई का प्रारंभिक जीवन (Savitribai Phule biography)
सावित्री बाई एक दलित परिवार से संबंध रखती थी। उनमें पढ़ने की बहुत लगन थी। लेकिन उस समय समाज में फैले भ्रम और कुरुतियों के चलते महिलाओं और दलितों को शिक्षा का हक नहीं था। बचपन में जब सावित्री बाई एक किताब के पन्ने पलट रही थी, तो उनके पिता ने उनसे वो किताब छीन कर बाहर फेंक दी थी। क्योंकि उस समय दलितों को शिक्षा का अधिकार नहीं था, और महिलाओं को तो बिल्कुल भी नहीं।
सावित्री बाई की शिक्षा (Savitribai Phule education)
सावित्री बाई का विवाह केवल 9 वर्ष की उम्र में हो गया था। इनका विवाह ज्योतिबा फुले जी के साथ हुआ था, जो कि स्वयं एक महान समाज सेवक थे। सावित्रीबाई की पढ़ने की इच्छा को देखकर उनकी सास ने उन्हें शिक्षित किया, और उन्हें घर में ही पढ़ाया। बाद में सावित्रीबाई ने शिक्षित होकर समाज की महिलाओं और लड़कियों को शिक्षित किया। वे भारत की पहली महिला शिक्षिका बनी। जिन्होंने महिलाओं को शिक्षा का हक भी दिलाया और स्वयं उन्हें शिक्षित भी किया।
सावित्री बाई का शिक्षा में योगदान (Savitribai Phule contribution in education)
सावित्रीबाई ने महिला की शिक्षा के लिए आवाज उठाई, और उनकी उन्हें शिक्षा दिलाने के लिए कई प्रयास किए। महिलाओं की शिक्षा के लिए ज्योतिबा फुले ने एक स्कूल खोला, जिसमें सावित्रीबाई लड़कियों को शिक्षित करती थी। जब वह स्कूल जा रही होती थी, तो लोग विरोध के चलते हैं उन पर कीचड़ और पत्थर फेंकते थे। लेकिन सावित्रीबाई ने हार नहीं मानी, और वह निरंतर लड़कियों को शिक्षित करने के कार्य में लगी रही।
सावित्री बाई समाज सेविका के रूप में
उस समय समाज में चारों तरफ भ्रम और कुरूतियां फैली हुई थी। जिसके चलते बाल विवाह, सती प्रथा, और लड़कियों को शिक्षित ना करने जैसी भ्रांतियां फैली हुई थी। सती प्रथा में स्त्री के पति की मृत्यु होने पर लोग उसे भी चिता पर जिंदा जला देते थे। लेकिन ज्योतिबा फुले और सावित्री बाई फुले जी ने मिलकर समाज में महिलाओं को शिक्षा का हक दिलवाया, विधवाओं को समाज में सिर उठाकर जीने का अधिकार दिलवाया व दलितों के आत्मसम्मान के लिए लड़ाई लड़ी।
उपसंहार
सावित्री बाई फुले जी ने अपना पूरा जीवन समाज सेवा में लगा दिया। उनके विरोध में लोगों ने उन पर पत्थर फेंके, गोबर फेंका, कीचड़ फेंका, भला-बुरा कहा लेकिन सावित्री बाई ने हार नहीं मानी। उन्होंने लड़कियों की शिक्षा के लिए अथक प्रयास किए और स्वयं उनकी शिक्षा का जिम्मा लिया। अपना संपूर्ण जीवन काल सावित्री जी ने समाज की सेवा करते हुए व्यतीत किया। अपनी अंतिम समय तक वे प्लेग के रोगियों की सेवा करती रहीं। आज भारत को ऐसी सशक्त महिला की अवश्यकता है। हमें सावित्री जी के जीवन से प्रेरणा लेकर उसे अपने जीवन में उतारने का प्रयास करना चाहिए।
Savitribai Phule Essay Hindi
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