Savitribai Phule Speech Hindi

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Savitribai Phule Speech Hindi

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Savitribai Phule Speech Hindi (100 words)

आज 3 जनवरी के दिन हम सभी यहां सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। सावित्रीबाई फुले वह नाम है, जिसे परिचय की कोई आवश्यकता नहीं लेकिन फिर भी मैं उनके बारे में कुछ शब्द आपके सामने कहना चाहूंगा। सावित्रीबाई फुले भारत देश की पहली महिला शिक्षक और समाज सेविका के रूप में जानी जाती हैं उनका जन्म 3 जनवरी को महाराष्ट्र के पुणे में हुआ था 9 वर्ष की आयु में विवाह होने के बाद उनके पति ज्योति राव फुले ने उन्हें शिक्षित करने का बीड़ा उठाया। और सावित्रीबाई फुले को आज हम सभी उनके कार्य के कारण जानते ही हैं।

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Savitribai Phule Essay in Hindi

Savitribai Phule Essay English

Savitribai Phule speech in English

Savitribai Phule Speech Hindi (200 words)

आज के दिन हम सभी सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। सावित्री देवी एक ऐसी महिला थी, जिन्होंने अपने जीवन में कई सारी कठिनाइयों को पार कर खुद को एक महिला शिक्षक के रूप में स्थापित किया। उन्हें भारत देश की पहली महिला शिक्षक के रूप में जाना जाता है। सावित्रीबाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में महाराष्ट्र के पुणे जिले में हुआ था उनके पिताजी का नाम खंडो जीनिवासी पाटिल और माता का नाम सत्यवती था।

Savitribai Phule Speech Hindi
Savitribai Phule Speech Hindi

मात्र 9 वर्ष की आयु में सावित्री बाई का विवाह ज्योतिबा फुले के साथ हो गया था। ज्योतिबा फुले स्वयं एक महान विचारक, कार्यकर्ता, समाज सुधारक, लेखक और संपादक थे। ज्योतिबा फुले ने ही सावित्री बाई को आगे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया। यह समाज का वह दौर था जब महिलाओं के पढ़ने-लिखने पर आपत्ति जताई जाती थी। महिलाओं को सिर्फ घरेलू काम के लिए योग्य माना जाता था लेकिन सावित्रीबाई देवी ने स्वयं को शिक्षित किया और एक महान शिक्षक के रूप में समाज के सामने उपस्थित हुई। अब मैं यहां पर अपनी स्पीच को समाप्त करना चाहूंगा।

Savitribai Phule Speech Hindi (300 words)

आज 3 जनवरी के दिन हम सभी यहां एक महान महिला के जन्मदिवस की जयंती को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। सावित्री देवी किसी परिचय की मोहताज नहीं है, आज मैं आपके सामने देश की पहली महिला शिक्षक के बारे में कुछ बताना चाहूंगा। जिसके माध्यम से मैं आज आपके सामने सावित्रीबाई फूले के जीवन के बारे में कुछ बातें आपके सामने रखूंगा सावित्रीबाई फुले का जन्म महाराष्ट्र राज्य के पुणे जिले में 3 जनवरी 1831 को हुआ था। उनकी पढ़ने में बहुत रुचि थी, लेकिन मध्यम वर्गीय परिवार से होने के कारण वे अपनी पढ़ाई को पूरा न कर सकी। मात्र 9 वर्ष की आयु में विवाह के बाद उनके पति ज्योतिबा फुले ने उन्हें शिक्षित करने का विचार किया। उस समय महिलाओं और दलितों के शिक्षित होने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगा था, और सावित्री देवी फूले के अध्ययन करते समय भी लोगों ने उन पर कई उंगलियां उठाई।

कई लोगों ने उन पर पत्थर बरसाए, तो कई लोगों ने उन पर गंदगी फेंकी, कीचड़, गोबर फेंका, लेकिन उन्होंने इन सभी चीजों को एक कठिन परीक्षा मानकर उसका सामना किया, और अंत में खुद शिक्षित होकर देश की पहली महिला शिक्षक बनी। इसके बाद उन्होंने देश की अन्य लड़कियों को भी शिक्षित किया। सावित्रीबाई देवी ने देश के दलित वर्गों की महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए काफी प्रयास किया। लेकिन उस समय के सांप्रदायिक लोगों ने उनका इस बात पर खूब विरोध किया। किंतु सावित्री देवी अपने रास्ते से नहीं हटी और निरंतर अपने कार्य में लगी रहीं। उन्होंने एक कविता लिखी जिसका शीर्षक ‘जाओ और शिक्षा ग्रहण करो’ था। इसके माध्यम से उन्होंने महिलाओं को शिक्षा का महत्व बताया।

उन्होंने अपना पूरा जीवन दलित वर्गों की महिलाओं के कल्याण में व्यतीत कर दिया। अपने आखिरी समय में भी वे प्लेग के मरीजों की सेवा करती रहीं और खुद भी प्लेग से ग्रसित हो गईं। जिसके कारण 10 मार्च 1897 को सावित्रीबाई फुले जी का निधन हो गया। ऐसी महान महिला को श्रद्धांजलि देने के लिए भारत सरकार ने इनके नाम पर डाक टिकट जारी की, और 2015 में पुणे यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी रखा। आज मैं आपके सामने व्यक्तित्व की धनी ऐसी महिला के बारे में बात करके बहुत प्रसन्न महसूस कर रहा हूं।

Savitribai Phule Speech Hindi (500 words)

आज मैं देश की पहली महिला शिक्षिका पर कुछ शब्द कहना चाहुंगा। जिन्होंने महिलाओं को आगे बढ़ाने में अपना योगदान दिया। आज इनके द्वारा किए गए कार्यों के कारण ही देश की पहली महिला शिक्षक कहा जाता है। इन्होंने महिलाओं को शिक्षित करने में और समाज से महिला अज्ञानता हटाने के लिए अपना संपूर्ण योगदान दिया। जी हां मैं व्यक्तित्व की धनी महिला श्री सावित्रीबाई फुले के बारे में बात कर रही हूं/ रहा हूं। जिन्हें देश की पहली महिला शिक्षक के रूप में जाना जाता है, लेकिन इनके लिए शिक्षित होना और एक शिक्षक बनना किसी कठिन परीक्षा से कम नहीं था। इनका जन्म 3 जनवरी 1831 को पुणे के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम खंडूजी नवेसे पाटिल था और माता का नाम सत्यवती था।

मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण और उस समय समाज में महिला शिक्षा पर प्रतिबंध लगने के कारण वे पढ़ाई ना कर सकी। मात्र 9 वर्ष की आयु में उनका विवाह ज्योतिबा फुले के साथ कर दिया गया। ज्योतिबा फूले स्वयं एक लेखक,समाज सुधारक थे। उन्होंने सावित्रीबाई फुले को शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रेरित किया। सावित्री बाई को उनकी सास ने प्रारंभिक शिक्षा दी। आगे सावित्रीबाई फुले ने स्वयं ही अपनी पढ़ाई पूरी की। जैसे-जैसे इन्होंने शिक्षा के गुण को समझा और बाद में दलित वर्ग की महिलाओं की शिक्षा के लिए आवाज उठाई। लेकिन उस समय समाज में महिलाओं को शिक्षित होने की इजाजत नहीं थी और महिलाओं पर कई तरह के सांप्रदायिक प्रतिबंध लगे हुए थे। सावित्रीबाई फुले को भी महिला शिक्षा के लिए आवाज उठाने पर कई बार कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

लोगों ने उन पर पत्थर बरसाए, गंदकी फेंकी, समाज ने उनका बहिष्कार किया, लेकिन उन्होंने कभी अपने कदम पीछे नहीं हटाएं। उन्होंने सर्वप्रथम एक स्कूल में शिक्षक के रूप में 150 कन्याओं को शिक्षित किया यह स्कूल उनके पति द्वारा बनवाया गया था। इस दौरान सावित्रीबाई फुले को कई सारी कठिनाइयां और विरोधियों का सामना करना पड़ा। विरोध करने वाले लोग उन्हें गालियां देते, पत्थर मारते, गोबर फेंकते थे। इस बात से नाराज होकर सावित्री देवी और उनके पति को उनके सास-ससुर ने घर से निकाल दिया गया। सावित्रीबाई फुले ने जातिवाद हटाने के लिए भी कई प्रयास किए। उन्होंने महिला विकास के लिए महिला सेवा विभाग भी बनाया और अपनी कविताओं के माध्यम से लोगों को शिक्षा का गुण बताकर महिलाओं को शिक्षित करने के लिए प्रेरित किया। 1897 में फैली  प्लेग महामारी में रोगियों की सेवा करते हुए सावित्रीबाई देवी का निधन हो गया। उनके निधन के बाद सरकार ने उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पोस्ट ऑफिस पर उनका डाक टिकट लागू किया, और कई बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों का नाम उनके नाम पर रखा गया। ऐसी महिला के बारे में बात करके मैं आज बड़ा ही गौरव महसूस कर रहा हूं।

Speech on Savitribai Phule in Hindi

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