Speech on Chandrayaan 3 in Hindi, 1, 2, 3, 5, 10 Minute

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Speech on Chandrayaan 3 in Hindi

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1 Minute Speech on Chandrayaan 3 in Hindi

धरती से चांद देखना जितना खूबसूरत लगता है, उतनी ही सुंदर ये धरती चांद की सतह से लगती है, और चांद से धरती का नजारा देखना सिर्फ और सिर्फ चंद्रयान मिशन के कारण हुआ है। चंदा मामा अब हमसे दूर नहीं रहे। अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देश के बाद जब भारत ने चांद पर चंद्रयान भेजने की कोशिश की तो वह असफल रही।

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जिसके बाद पड़ोसी देश ने खूब तंज कसे। लेकिन 23 अगस्त 2023 का वो दिन जब भारत का यान सफलतापूर्वक चांद पर अपना उतरा तो सबके मुंह पर एक जोरदार तमाचा जा लगा। भारत आज विश्व का पहला ऐसा देश बन गया है जिसका यान चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड हुआ है। आज ISRO ने भारत के नाम एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की है, जो हमेशा स्वर्णिम अक्षरों में चांद के बीच चमकती रहेगी।

Essay on Chandrayaan 3 in Hindi

Speech on Chandrayaan 3 in Hindi

Chandrayaan-3 Par 10 Lines in Hindi

Speech on Chandrayaan 3 in English

10 Lines on Chandrayaan 3 in English

Chandrayaan 3 Essay in English

2 Minute Speech on Chandrayaan 3 in Hindi for Class 5

हम सभी भारतवासियों के लिए अब हमारे गौरवशाली इतिहास में एक और ऐतिहासिक दिन शामिल हो गया है। क्योंकि भारत दुनिया का पहला ऐसा देश बन गया है जिसे चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर अपना सैटेलाइट लैंड किया है। भारत के लिए चंद्रयान-3 मिशन की सफलता बहुत ही गर्व की बात है। इस मिशन की कामयाबी के लिए ISRO लगभग 15 सालों से मेहनत कर रहा है। यूं तो भारत से पहले अमेरिका चीन और रूस ने अपने कई सैटेलाइट चांद पर भेजे हैं। चांद पर पहुंचने के लिए अब तक 111 मिशन भेजे जा चुके हैं, जिसमें से करीब 66 मिशन सफल हुए हैं, और 41 मिशन फेल हो गए हैं।

लेकिन भारत में इन 15 सालों में केवल तीन ही बार मून मिशन चलाकर अपना उपग्रह चांद पर भेजा है, और उसमें लगभग सफलता ही पाई है। साल 2008 में भारत ने अपना पहला चंद्रयान चांद पर भेजा जो लगभग 95% सफल रहा और चंद्रयान- 2 भले ही सफल रहा हो लेकिन इसका ऑर्बिटर आज भी सक्रिय है, जिसने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट को खोजा है। भारत चंद्रयान मिशन एक के बाद से ही निरंतर चांद पर सफलतापूर्वक पहुंचने की कोशिश कर रहा था और आखिरकार भारत किया कोशिश 23 अगस्त को रंग लाई। आप सभी को बता दूं, की माननीय प्रधानमंत्री मंत्री जी के इस ऐतिहासिक दिन को नेशनल स्पेस डे के रूप में मनाए जाने के तौर पर घोषित कर दिया है। ताकि हमारी यह जीत न केवल हमें बल्कि आने वाली पीढ़ी को भी दौरान गौरांवित करती रहे।

 

Speech on Chandrayaan 3 in Hindi
Speech on Chandrayaan 3 in Hindi

3 Minute Speech on Chandrayaan 3 in Hindi

23 अगस्त का दिन हम सब भारतीयों के लिए बड़े गौरव का दिन साबित हुआ है। इस दिन भारत ने अपने नाम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाले पहले देश का दर्जा हासिल किया है। आज सबकी जुबां पे भारत का नाम चढ़ा है। लेकिन हम वो दिन भी नहीं भूलें हैं, जब चंद्रयान-2 की विफलता के बाद इसरों को किस तरह ट्रोल किया गया था। चंद्रयान 2 की विफलता पर पाकिस्तान के आईटी मंत्री फवाद चौधरी का कहना था, कि जो काम नहीं आता उसे नहीं करना चाहिए। लेकिन चंद्रयान- 3 की सफलता के बाद यही फवाद चौधरी भारत की तारीफों के पुल बांधते नजर आए और मीडिया से चंद्रयान- 3 की लाइव टेलीकास्टिंग की मिन्नतें भी करते नजर आए।  

जैसा की हम सभी जानते हैं, चंद्रयान- 3 को 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2:35 पर श्रीहरिकोटा, आंध्रप्रदेश से लांच किया गया था। करीब 42 दिन की यात्रा के बाद चंद्रयान चांद की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड कर गया। आज ISRO के वैज्ञानिकों की मेहनत के आगे देश-दुनियां में भारत का नाम और भी ऊंचा हो रहा है। देश के युवा होने के नाते ही हमारी जिम्मेदारी बनती है, की हम अपने भारत के विकास और उसकी तरक्की के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। भारत की उपलब्धि से जो सम्मान एक भारतवासी होने के नाते हमें मिल रहा है, हमें वही गौरव आगे तक बनाए रखना है।

Short Speech on Chandrayaan-3 in Hindi (5 Minutes)

23 अगस्त 2023 के दिन चांद की चांदनी तिरंगे के रंगों से रोशन नजर आई। भारत ने पहली बार सफलतापूर्वक अपना झंडा चांद पर गाड़ दिया है, और यह हम सभी भारतवासियों के लिए गर्व की बात है। भारत द्वारा चंदा मामा के घर पहुंचने का यह तीसरा प्रयास इस बार सफल हुआ है। इससे पहले भी भारत द्वारा चांद पर पहुंचने की कोशिश की जा चुकी है लेकिन चंद्रयान एक और चंद्रयान दो सफल रहे। इस सफलता के बाद इस रन काफी कड़ी मेहनत करके चंद्रयान- 3 को 14 जुलाई दोपहर 2:35 पर चंद्रयान-3 को लांच किया। अपनी 42 दिन की यात्रा के बाद चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कर गया।

यह वह समय था जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक दिन बन गया क्योंकि भारत चांद पर पहुंचने वाला यूं तो चौथा देश है, लेकिन चंद की दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश है, और यह बात हम सभी भारतीयों के लिए बड़े फक्र और सम्मान की बात है। खेल चंद्रयान-3 ISRO का भले ही ऐसा पहला यान हो जो चांद पर सफलतापूर्वक लैंड कर अपना काम रहा हो। लेकिन चंद्रयान-1 और चंद्रयान-2 की असफलता के समय भी भारत को चांद पर पानी के मौजूद होने का पता चल गया था। जबकि खुद नासा भी चांद पर पानी होने का पता नहीं लगा पाया था और इस बात को नकार दिया था। यानी ISRO को चंद्रयान-2 की असफलता के बाद भी एक उपलब्धि हासिल हुई थी।

ISRO के चंद्रयान-1 चांद पर पानी के होने का पता लगाया था, जबकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है। चंद्रयान 2 के ऑर्बिटर ने ही चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट को खोजा था। ISRO ने चंद्रयान 2 की विफलता के बाद भी हार नहीं मानी और लगभग 4 साल की मेहनत के बाद एक बार फिर से अपने मून मिशन की तैयारी कर चांद पर चढ़ाई कर दी। मजे की बात ये है की मोदीजी के अत्निर्भर भारत और स्वदेशी अपनाओ की बात को ISRO ने भी इतनी गंभीरता से लिया है की उसे इस मून मिशन में लगा दिया है। क्योंकि Chandrayaan-3 में लगाए जाने वाले सभी यंत्र और तकनीक को ISRO के वैज्ञानिकों द्वारा ही बनाया गया है, यानी यह एक स्वदेशी यानी है। इस बार चंद्रयान को काफी टेस्टिंग और अलग तरीके से बनाया गया है।

इस बार चंद्रयान को बनने समय यह बात ध्यान में रखी गई है, की यह अंतरिक्ष में जाकर वहां के तापमान या गुरुत्वाकर्षण बल से प्रभावित नहीं हो। अब दुनियां के वैज्ञानिकों की नजरें भारत के मून मिशन पर टिकि हुई हैं, क्योंकि भारत ही अब तक चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में सफल हुआ है। ऐसे में न केवल भारत बल्कि दुनियां की उम्मीदें भी चंद्रयान-3 से लगी हुई हैं, की इस बार चांद पर जीवन की संभावना का पता लगाया जा सके। भारत न केवल चांद बल्कि इससे पहले भी भारत मंगलयान को भेजकर अपना करतब पूरी दुनियां को दिखा चुका है। हम सब की यही प्रार्थना है, की यह चंद्रयान अपने मून टूर पर कामयाबी हासिल करें।

Chandrayaan-3 Speech in Hindi (8 Minutes)

एक समय था, जब चांद शायरियों और कल्पनाओं में बना करता था। किसी की खूबसूरती की तुलना चांद से की जाती थी लेकिन चांद सबकी जुबां पर ही चढ़ पाया लेकिन उस तक पहुंचना मुमकिन नहीं था। लेकिन अमरीका, रूस और चीन जैसे देशों ने चांद पर पहुंचकर इसे मुमकिन बनाया। लेकिन इससे बात नहीं बनी क्योंकि भारत के मामा को अपने भांजे का इंतजार था। भारत ने भी मामा के घर पहुंचने की पूरी तैयारी की और 2008 में चंद्रयान-1 और 2019 में चंद्रयान-2 को भेजा लेकिन भारत के हाथ कोई बात नहीं बनी। हालांकि ये पूरी तरह से विफल भी नहीं थे लेकिन कोई ख़ास सफलता भी भारत के हाथ नहीं लगी। चंद्रयान-2 की विफलता के बाद भारत पर पड़ोसी देश ने कई तंज कसे।

साल 2019 में भारत ने चंद्रयान दो मिशन लॉन्च किया था लेकिन सतह पर उतरने से पहले ही क्रैश हो गया था। जिसके बाद पड़ोसी देश और वहां की आवाम ने भारत को ट्रोल किया। उसे समय पाकिस्तान के आईटी मंत्री फवाद चौधरी का कहना था कि जो काम नहीं आता उसे नहीं करना चाहिए। 23 अगस्त 2023 को जब भारत का चंद्रयान-3 सफलतापूर्वक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग कर गया तो पाकिस्तान के पूर्व मंत्री और नेता फवाद चौधरी ने इसकी लाइव टेलीकास्ट करने की गुहार मीडिया से लगाई वहीं वहां की आवाम भी अब भारत का गुणगान कर रही है, और खुद को भारत से 100 साल पीछे बता रही है।

वही जो लोग ऐसा सोचते हैं कि चंद्रयान एक और चंद्रयान दो सफल हो गए थे तो यह बात पूरी तरह से सच नहीं है क्योंकि चंद्रयान एक भी अपने मिशन में लगभग 95 प्रतिशत तक ही रहा था जबकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटल आज भी सक्रिय है और कम कर रहा है दो की सफलता ही चंद्रयान-3 की सफलता का कारण बनी क्योंकि चंद्रयान-2 के ऑर्बिटल ने ही चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट को खोजा है। यानी आज भारत की सफलता सफलता नहीं बल्कि सफलता बनकर सामने आई है, और इस बार यह सफलता भारत ने बिना किसी की मदद के खुद के बलबूते पर की है। क्योंकि इस बार ISRO के वैज्ञानिकों ने स्वयं से ही चंद्रयान के यंत्र और तकनीक को बनाया है। यह बहुत किफायती बजट में बनकर तैयार हुआ है, इसका बजट लगभग 615 करोड़ रहा है। इतने बजट में ऐसा सफल मिशन करने वाला भी भारत इकलौता ही देश है।

चंद्रयान- 3 में इसरो ने किसी भी विदेशी उपकरण या तकनीक का सहारा नहीं लिया है। कहा जा सकता है कि यह आत्मनिर्भर भारत का एक सबसे बड़ा उदाहरण बनने जा रहा है। क्योंकि भारत ने इस ऐतिहासिक सफलता को बिना किसी की सहायता से खुद के दम पर अपने नाम किया है। चंद्रयान-3 में आर्बिटल लैंडर और रोवर शामिल है। इस लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान है। चंद्रयान-3 मिशन का काम चांद पर जल, मिट्टी और वहां के वातावरण का परीक्षण करना है। यह लगभग 14 से 15 दिनों तक चांद की सतह और उसके वातावरण का अध्ययन करेगा।

ये मिशन लगभग सफलता के आखिरी पड़ाव पर ही है। लेकिन यह सफलता ऐसे ही भारत के हाथ नहीं लगी है। इसमें ISRO की करीब 15 साल की मेहनत और कई विफलताएं भी शामिल हैं। लेकिन विफलताओं और इतनी मुश्किलों के बाद भी इसरो ने हार नहीं मानी और चंद्रयान 2 के बाद करीब 4 साल बाद भारत का स्वदेशी यान, यानी कि चंद्रयान-3 को एक बार फिर 14 जुलाई के दिन लॉन्च किया और करीब 40 दिन की यात्रा के बाद यह यान चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड हो गया। ISRO के चीफ ने बताया है, की इस बार चंद्रयान उनकी सोच और योजना से भी कई ज्यादा बेहतर तरीके से लैंड हुआ है।

चंद्रयान-3 चांद की अपनी लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर चंद्रयान लेंडर से नीचे उतर गया है, और चांद पर अपना टूर कर रहा। माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग पर बेंगलुरु में स्थित इसरो कमांड सेंटर में ISRO वैज्ञानिकों को संबोधित करते 23 अगस्त के ऐतिहासिक दिन को National Space Day के रूप में मनाए जाने की घोषणा की है।

ताकि हमारी वर्तमान पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी भारत की इस ऐतिहासिक सफलता को जान सके और गर्व महसूस कर सके, और वैज्ञानिक अनुसंधान और परीक्षण में भी रुचि लेकर भविष्य में ऐसा इतिहास रच सके। हमारे देश के झंडे पर चांद नहीं है, क्योंकी हम चांद पर झंडा गाड़ने के लिए बने हैं, और अपनी जीता का परचम हम ऐसे ही दुनियां में लहराएंगे।

Speech on Chandrayaan 3 in Hindi

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