Subhash Chandra Bose Essay in Hindi: नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर निबंध

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Subhash Chandra Bose Essay in Hindi

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Subhash Chandra Bose speech for students

subhash chandra bose in hindi essay (सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 150 words)

जब भी भारत के वीर और बहादुर स्वतंत्र सेनानियों का नाम लिया जाता है उसमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम भी सबसे पहले लिया जाता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 फरवरी 1897 को उड़ीसा के कटक गांव में हुआ था। उनके पिता एक सफल बैरिस्टर तथा माता एक गृहणी थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने निडर स्वभाव की वजह से लोगों के बड़े प्रिय थे। 

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत को स्वतंत्र कराने के लिए हिंसा को ही सर्वप्रथम हथियार मानते थे उनका कहना था कि अहिंसा के साथ भारत को स्वतंत्र कराना संभव नहीं है। इसी धारणा के चलते उन्होंने भारत के कुछ स्वतंत्रता सेनानियों को मिलाकर आजाद हिंद फौज बनाई। वे भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अपना घर और आराम छोड़कर लोगों को स्वतंत्रता के प्रति जागरूक करने में लग गए। सुभाष चंद्र जी का नारा “तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा” स्वतंत्रता के लिए यह नारा उनकी आवाज बना।

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subhash chandra bose hindi essay (सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 200 words)

भारतीय इतिहास में सुभाष चंद्र बोस का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा गया है। भारत को स्वतंत्र कराने में नेताजी सुभाष चंद्र बोस का काफी बड़ा योगदान रहा है। भारत को स्वतंत्र कराने के लिए सुभाष चंद्र बोस ने अपना घर और आराम त्याग दिया था। वह स्वतंत्रता के लिए हमेशा हिंसा का ही रास्ता चुनते थे उनका कहना था कि अहिंसा से स्वतंत्रता कभी हासिल नहीं की जा सकती वह भारत के एक सच्चे बहादुर हीरो थे जिन्होंने भारत को ब्रिटिश शासन से मुक्त करने के लिए सैन्य बल का प्रयोग किया। 

वह हमेशा सैनिकों को अंग्रेजों के साथ लड़ने के लिए उत्साहित करते थे। सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 फरवरी 1897 को उड़ीसा के कटक गांव में हुआ था। सुभाष चंद्र बोस के पिता जानकीनाथ बोस जी एक सफल बैरिस्टर थे तथा उनकी माता प्रभावती देवी एक गृहणी थी। सुभाष चंद्र बोस पढ़ने में भी काफी तेज थे उन्होंने आई.सी.एस की परीक्षा पास की थी परंतु उसको छोड़ कर वह भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई से जुड़ने के लिए 1921 में असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। ब्रिटिश फौज से लड़ने के लिए नेता जी ने आजाद हिंद फौज बनाई जिसने भारत को स्वतंत्र कराने में अपना काफी योगदान दिया।

subhash chandra bose hindi essay (सुभाष चंद्र बोस पर निबंध 300 words)

हमारे देश के महान और बहादुर नेता सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 फरवरी 1897 को उड़ीसा के कटक गांव के एक अमीर हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री जानकीनाथ बोस जो कटक के सरकारी न्यायालय में एक वकील थे और उनकी मां प्रभावती देवी कुशल गृहणी थी। सुभाष चंद्र बोस की प्रारंभिक शिक्षा कटक के एंग्लो इंडियन स्कूल से हुई तथा कोलकाता विश्वविद्यालय स्कॉटिश चर्च कॉलेज से दर्शनशास्त्र में उन्होंने अपनी डिग्री प्राप्त की वे पढ़ने में काफी तेज थे इसलिए उन्होंने एक ही प्रयास में आई.सी.एस पास की परंतु वह अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए सब छोड़कर असहयोग आंदोलन से जुड़ गए।

अंग्रेजों से हमारी आजादी के लिए वह हमेशा हिंसात्मक आंदोलन करते रहे उन्होंने हिंसा को आजादी के लिए महत्वपूर्ण हथियार बताया। आजादी के लिए लड़ते लड़ते उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा बनाई गई द कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। परंतु कुछ राजनीतिक मतभेदों के कारण 1930 में कांग्रेस के अध्यक्ष होने के बावजूद भी उन्होंने कांग्रेस को छोड़ दिया क्योंकि गांधीजी का मानना था कि स्वतंत्रता के लिए हिंसा करना सही नहीं है परंतु नेताजी सुभाष चंद्र बोस हिंसा को स्वतंत्रता के लिए काफी महत्व देते थे इसीलिए उन्होंने कुछ स्वतंत्रता सेनानियों को जोड़कर आजाद हिंद फौज बनाई।

द्वितीय विश्व युद्ध के समय वे जर्मनी गए और कुछ भारतीय युद्ध बंदियों और वहां रहने वाले भारतीयों की मदद करने के लिए उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना का गठन किया अपने भारतीय भाई बहनों को जर्मनी से वापस लाने के लिए उन्होंने हिटलर से मुलाकात की परंतु हिटलर ने उन्हें निराश कर दिया इसके पश्चात वे जापान गए और अपनी भारतीय राष्ट्रीय सेना को एक प्रसिद्ध नारा दिया दिल्ली चलो। जापान में आजाद हिंद फौज और एक लो अमेरिकन बलों के बीच हिंसक लड़ाई हुई जिसके चलते आजाद हिंद फौज के सैनिकों और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को आत्मसमर्पण करना पड़ा उन्हें जल्द ही प्लेन से टोक्यो लाया गया परंतु समुद्र के आंतरिक भाग में प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसके चलते नेताजी सुभाष चंद्र बोस की रहस्यमई तरीके से मृत्यु हो गई।

essay on subhash chandra bose in 500 words

प्रस्तावना

नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। वे भारत की स्वतंत्रता के लिए हमेशा हिंसक प्रयास करते रहे तथा लोगों को भी स्वतंत्रता के लिए जागरूक करते रहे। हम भारतीय उनके द्वारा किए गए योगदान और समर्पण को भली भांति जानते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस को उनके जोशपूर्ण देशभक्ति के लिए पहचाना जाता है। सुभाष चंद्र बोस ने भारत के हर व्यक्ति, हर औरत, हर बच्चे को सैनिक बनाने का प्रयास किया था। उन्होंने लोगों के मन में स्वतंत्रता के प्रति एक अटूट निष्ठा उत्पन्न की थी।

सुभाष चंद्र बोस का जीवन

नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जीवन बड़ा ही संघर्ष भरा रहा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 फरवरी 1897 को उड़ीसा के कटक में हुआ था। उनके पिता श्री जानकीनाथ बोस कटक के न्यायालय में सरकारी बैरिस्टर थे तथा उनकी माता गृहणी थी। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कटक से ही पूरी की तथा अपनी मैट्रिक कोलकाता के प्रेसिडेंट ई कॉलेज से की। इसके बाद उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में अपना ग्रेजुएशन पूर्ण किया। आगे की पढ़ाई के लिए वे इंग्लैंड गए तथा भारतीय सिविल सेवा परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त कर परीक्षा पास की परंतु अंग्रेजों द्वारा हिंदुओं के क्रूर बर्ताव को देखकर वह सब छोड़कर भारत को स्वतंत्र कराने में लग गए। उन्होंने भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने के लिए काफी हिंसक लड़ाई लड़ी जिसके चलते उन्हें कई बार ब्रिटिश शासन द्वारा कैद भी किया गया।

सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता में योगदान

इंग्लैंड से वापस आने के बाद वे भारत को स्वतंत्र कराने के लिए असहयोग आंदोलन से जुड़ गए। अपनी राजनीति और साहस के चलते वे महात्मा गांधी द्वारा बनाई गई कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष चुने गए परंतु कुछ राजनीतिक मतभेदों के कारण उन्होंने कांग्रेस पार्टी को छोड़ दिया। इसके बाद उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए एक हिंसक आजाद हिंद फौज बनाई जो स्वतंत्रता के लिए हिंसा को अपना हथियार मानती थी। महात्मा गांधी द्वारा उन्हें कई बार स्वतंत्रता के लिए हिंसा का रास्ता अपनाने से रोका गया परंतु उन्होंने हर बार हिंसा के साथ अंग्रेजों को मुंहतोड़ जवाब दिया। दूसरे विश्व युद्ध के समय अपने भारतीय साथियों को जर्मनी से वापस लाने के लिए वे हिटलर से मिलने जर्मनी भी गए थे परंतु वहां से निराश होकर उन्हें वापस आना पड़ासुभाष चंद्र बोस ने अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराने के लिए तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा अपने इन महान शब्दों से भारत के स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया। 

उपसंहार

उन्होंने देश में ही नहीं बल्कि विदेश जाकर भी भारतीयों को विरोध करने के लिए उकसाया। इसी के चलते जब वे अपने भारतीयों की मदद के लिए जापान गए। जहां प्लेन दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु से पूरा देश शोक में डूब गया। परंतु उनकी मृत्यु से हमें स्वतंत्रता के लिए लड़ने की प्रेरणा मिलती है। सुभाष चंद्र बोस आज भी अपनी जोशपूर्ण राष्ट्रीयता और निडर स्वभाव के साथ आज भारतीयों के दिलों मे जिंदा है।

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