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Swami Vivekananda Essay in Hindi
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Swami Vivekananda Short Essay (150 words)
स्वामी विवेकानंद को भारत में एक महान हिंदू नेता और संत के रूप में जाना जाता है। भारत के रत्न स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को हुआ था। स्वामी जी को बचपन में नरेंद्र दत्त के नाम से जाना जाता था। स्वामी जी बचपन से ही बड़े विचारों के धनी थे। उनकी एकमात्र इच्छा थी परमात्मा से मिलन की और वे परमात्मा से मिलन के लिए हमेशा व्याकुल रहते थे। इसके अलावा स्वामी जी आध्यात्मिक विचारों वाले एक बड़े ही अद्भुत व्यक्ति थे। विवेकानंद जी ने बड़े-बड़े देश जैसे कि अमेरिका यूरोप में जाकर अपने धर्म का खूब प्रचार किया। स्वामी जी ने अपनी बुद्धि और ज्ञान के दम पर सारे विश्व में भारत की गरिमा को बढ़ाया।
Essay on Swami Vivekananda in Hindi 300 words
प्रस्तावना
स्वामी विवेकानंद आज सारे विश्व में एक महान संत और विद्वान गुरु के रूप में जाने जाते हैं। स्वामी विवेकानंद का नाम भारत में जन्मे ऐसे महापुरुषों में शामिल है जिन्होंने सनातन धर्म में मौजूद वेदों और शास्त्रों के ज्ञान से विश्व को परमात्मा और अध्यात्म से परिचित कराया। उन्होंने अपने सारे जीवन में सदैव विश्व कल्याण के लिए काम किया। स्वामी जी का जीवन सभी लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत है। अपने ज्ञान और कुशल बुद्धि के कारण उन्हें युवा शक्ति का प्रतीक भी कहा जाता है। भारतवर्ष में सभी लोग उन्हें युवा शक्ति का प्रतीक मानते हैं।
स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म कोलकाता में 12 जनवरी 1863 को हुआ था। स्वामी जी की माता का नाम भुवनेश्वर देवी तथा पिता का नाम विश्वनाथ दत्ता इनके पिता कोलकाता के न्यायालय में वकालत किया करते थे। स्वामी जी का बचपन का नाम नरेंद्र दत्ता था। स्वामी जी बचपन से ही बड़ी कुशल और तीव्र बुद्धि के धनी थे उन्होंने छोटी उम्र में ही विज्ञान इतिहास दर्शन धर्म कला और साहित्य जैसे विषयों में महारत प्राप्त कर ली थी। स्वामी जी के पिता विश्वनाथ जी पाश्चात्य सभ्यता को सबसे बेहतर मानते थे इसलिए उन्होंने नरेंद्र दत्त से अंग्रेजी पढ़कर पाश्चात्य सभ्यता को अपनाने को कहा। लेकिन स्वामी जी सिर्फ परमात्मा मिलन के इच्छुक थे।
निष्कर्ष
भारत के इतिहास में स्वामी विवेकानंद जैसे महान पुरुषों का जन्म कई सदियों में एक बार होता है। आज सारे विश्व में स्वामी जी को एक महान गुरु महान समाज सेवक और महान शिष्य के रूप में जाना जाता है। स्वामी जी एकमात्र ऐसे इंसान थे जिन्होंने अपने ज्ञान के दम पर सारे विश्व को भारत से परिचित कराया। स्वामी विवेकानंद जिए कैसे व्यक्तित्व के व्यक्ति थे जिन्होंने मरने के बाद भी लोगों को प्रेरित किया। वह हमेशा लोगों को भाईचारे की सीख देते थे और आपसी प्रेम बनाए रखने को कहते थे। भारत के इस महान रत्न ने 4 जुलाई 1902 को अपना देह त्याग दिया
Swami Vivekananda Essay in Hindi 500 words
प्रस्तावना
स्वामी विवेकानंद जी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके कारण भारत का नाम सारे विश्व में रोशन हुआ। स्वामी विवेकानंद जी द्वारा शिकागो में दिए गए भाषण से उन्होंने इसके लोगों को हिंदुत्व के बारे में बताया। प्रभु मिलन की इच्छा के कारण स्वामी जी ने वेद छात्रों का पठन किया जिसके कारण उन्हें वेद शास्त्रों का काफी अच्छा ज्ञान प्राप्त हो गया था। अपने इस बेतात्रों के ज्ञान से उन्होंने सारे विश्व में अपने धर्म का प्रचार किया। स्वामी विवेकानंद के जीवन से सभी लोगों को हमेशा सीख मिलती रहती है। उन्होंने युवा शक्ति को भी काफी बढ़ावा दिया इसलिए 12 जनवरी को युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
स्वामी विवेकानंद की शिक्षा
स्वामी जी को बचपन से ही पढ़ने का काफी शौक था और तीव्र बुद्धि होने के कारण वे पढ़ने में भी काफी तेज थे। स्वामी जी की प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत चंद्र विद्यासागर महानगर संस्था से हुई 8 वर्ष की आयु में उनके पिता ने चंद्र विद्यासागर महानगर संस्था में उनका दाखिला करवा दिया था। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने 1879 में प्रेसीडेंसी कॉलेज में दाखिला लेकर आगे की पढ़ाई जारी की। स्वामी जी ने सामाजिक विज्ञान धर्म का इतिहास दर्शन जैसे साहित्य के विषयों में अध्ययन कर महारत हासिल प्राप्त कर ली थी। इसके अलावा स्वामी जी को संस्कृत शास्त्र और बंगाली शास्त्र का अच्छा खासा ज्ञान था।
स्वामी विवेकानंद के गुरु
किसी भी व्यक्ति के जीवन में उसके गुरु का काफी बड़ा योगदान होता है उसी तरह स्वामी विवेकानंद के जीवन को महान बनाने में उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस का काफी बड़ा योगदान था। स्वामी जी बचपन से ही बड़े आध्यात्मिक और धार्मिक किस्म के व्यक्ति थे। वे हमेशा परमात्मा से मिलन की कामना करते रहते थे परमात्मा की तलाश में वह काफी परेशान हो चुके थे तब एक दिन उनकी मुलाकात काली माता मंदिर के पुजारी से हुई। काली मंदिर के पुजारी से मिलने के बाद उनके जीवन में काफी बदलाव आया उसके बाद उन्होंने रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु मानकर अपना जीवन उनके प्रति समर्पित कर दिया। स्वामी जी ने अपने गुरु की खूब सेवा की तथा संन्यास लेने के बाद गुरु जी ने उनका नाम स्वामी विवेकानंद रखा।
स्वामी विवेकानंद की यात्रा
केवल 25 वर्ष की आयु में नरेंद्र नाथ सन्यास लेकर स्वामी विवेकानंद बन चुके थे। इसके बाद उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष में जब जात्रा प्रारंभ की। इसी के दौरान 1893 में स्वामी जी को शिकागो में आयोजित विश्व धर्म परिषद सभा में भारत के प्रतिनिधि के रूप में बुलाया गया। शिकागो मैं आयोजित हुए इस कार्यक्रम में स्वामी जी के भाषण से सभी लोग हक्का-बक्का हो गए। पहले विदेश के सभी लोग भारतीय लोगों को हीन दृष्टि से देखते थे लेकिन स्वामी जी के भाषण के बाद सब कुछ बदल गया सभी लोग हिंदुत्व और सनातन संस्कृति के प्रशंसक और प्रेरक हो गए।
निस्कर्ष
स्वामी विवेकानंद जी ने बचपन काफी जल्दी हिंदू शास्त्रों का ज्ञान प्राप्त कर लिया था इसके बाद वे हिंदू शास्त्रों के सबसे महान प्रशंसक बन गए। उन्होंने हमेशा भारत के लोगों को अपनी संस्कृति का प्रचार करने के लिए प्रेरित किया इसके अलावा लोगों को भाईचारे की भावना बनाए रखने के लिए भी प्रेरित किया। स्वामी जी ने अपना पूरा जीवन हिंदू धर्म के प्रचार और लोगों के कल्याण में व्यतीत कर दिया। भारत के महापुरुष और महान 4 जुलाई 1904 को अपने प्राण त्याग दें।
Essay on Swami Vivekananda PDF
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