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गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों पर निबंध
प्रस्तावना/ परिचय
आज हमारे देश को स्वतंत्र हुए 75 वर्ष हो चुके हैं परंतु देश को आजाद कराना इतना आसान नहीं जितना हम सोच रहे। जिस आजादी का आज हम जश्न मना रहे हैं उसे पाने के लिए कई लोगों ने अपना सब कुछ खो दिया। इस आजादी के लिए ना जाने कितने सर कुर्बान हुए और कितने लोग शहीद हुए। भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने में लिए कई लोगों का योगदान रहा। देश को स्वतंत्र करने में देश के बड़े बड़े स्वतंत्रता सेनानियों का योगदान रहा है जिन्हें पूरा राष्ट्र जानता है. परंतु इनके साथ कुछ ऐसे स्वतंत्रता सेनानी भी रहे जिन्होंने अपने स्तर पर देश को स्वतंत्र करने के लिए पूरा योगदान दिया परंतु आज इन्हें कोई नहीं जानता इसलिए इन्हें गुमनाम सेनानी कहा जाता है। कई लोगों ने अपना सर स्वतंत्रता के लिए इसलिए कटा लिया ताकि उनकी आने वाली पीढ़ी अपना सर गर्व से उठा कर रहे और कह सके कि हम स्वतंत्र देश के वासी हैं।
स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम सेनानी
भारतवासी 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं पर यह स्वतंत्रता हमें इतनी आसानी से नहीं मिली इसके लिए हमने अपना बहुत कुछ कुर्बान किया है. गुमनाम स्वतंत्रता सेनानी देश के वह सैनिक थे जिन्होंने देश के लिए अपनी जान देकर देश को स्वतंत्र कराया परंतु दुर्भाग्यवश इनके बलिदान की गाथा से आज के लोग परिचित नहीं है। क्योंकि वे बाकी स्वतंत्रता सेनानियों की तरह प्रसिद्ध व चर्चित नहीं रहे। हम स्वतंत्रता सेनानी के रूप में कुछ बड़े नामों को ही जानते हैं जैसे गांधीजी, मंगल पांडे, भगत सिंह, लाला लाजपत राय यह देश के नामी स्वतंत्रता सेनानी है। जिन्होंने देश में स्वतंत्रता की लहर लाई थी परंतु इस लहर को अंजाम लगाने में बहुत लोगों का सहयोग रहा और बहुत से गुमनाम सेनानियों ने अपना सब कुछ बलिदान कर हमें स्वतंत्रता दिलाई है.
स्वतंत्रता सेनानियो के योगदान
गुमनाम सेनानियों ने प्रमुख सेनानियों के प्रतिनिधि बनकर अपने राज्य व शहर में कई तरह के आंदोलन चलाए जैसे भारत छोड़ो आंदोलन, असहयोग आंदोलन, साइमन गो बैक यह देश के बड़े बड़े आंदोलन थे. जिन्हें पूरे देश में एक साथ कर पाना किसी एक व्यक्ति के लिए संभव नहीं था परंतु यह काम संभव हुआ सिर्फ और सिर्फ गुमनाम सेनानियों के सहयोग से। स्वतंत्रता पाने के लिए देश में हर उस व्यक्ति का योगदान रहा जिसने स्वतंत्रता के लिए अपनी आवाज उठाई परंतु गुमनाम सेनानियों की स्वतंत्रता को महत्व इसलिए दिया जा रहा है. क्योंकि इन्होंने अपने स्तर पर स्वतंत्रता की लड़ाई में अपना भरपूर योगदान दिया और इसके लिए अपनी जान भी गंवा दी. परंतु आज हम इनके बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानते इनका नाम बस हमें एक लंबी लिस्ट में मिलता है जिसमें इनके साथ-साथ कई और सेनानियों का नाम लिखा रहता है। परंतु यह कौन थे उनका कितना योगदान रहा यह कोई नहीं जान पाया। रामप्रसाद बिस्मिल बिरसा मुंडा, चंपारण ब्रदर्स, इस्माइल खान, तात्या टोपे देश के सबसे बड़े गुमनाम स्वतंत्रा सेनानी है।
प्रमुख गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों का महत्व
प्रमुख स्वतंत्र सेनानी वह व्यक्ति थे जिन्होंने देश को स्वतंत्र कराने की सबसे पहली आवाज उठाई. और अपने साथ कई लोगों को जोड़कर आजादी की आवाज को मजबूत किया। इन्होंने अपने नेतृत्व में देश के अंदर छोटे-छोटे राज्यों में कई तरह के आंदोलन कराएं। गांधीजी को स्वतंत्रता सेनानियों में सबसे प्रमुख माना जाता है. क्योंकि इन्होंने देश को आजाद कराने के लिए कई बार अंग्रेजों की लाठियां खाई तथा उनके द्वारा कई बार अपमानित की गए। लेकिन फिर भी देश को आजाद कराने का जज्बा नहीं छोड़ा. और अपने साथ लोगों को जोड़ते जोड़ते एक नया भारत निर्माण किया । गांधी मंगल पांडे भगत सिंह जवाहरलाल नेहरू बाल गंगाधर तिलक चंद्रशेखर आजाद यह देश के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे.
उपसंहार
जो चीज हमें जितनी आसान दिखाई देती है वास्तव वह इतनी आसान नहीं होती आज हम अपनी आजादी के लिए अपने ही लोगों से लड़ रहे हैं। आज भारत देश में हर व्यक्ति को अपना जीवन अपनी आजादी से जीने का अधिकार है। परंतु वह इस अधिकार के चक्कर में देश को स्वतंत्र कराने वाले सेनानियों का बलिदान भूल चुके हैं। जिस आजादी का आज हम जश्न मना रहे हैं वह किसी और की दी हुई है इसलिए हमें इसका सम्मान करना चाहिए।
“ए मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी ज़रा याद करो कुर्बानी”
स्वतंत्रता संग्राम के गुमनाम नायक (unsung heroes of freedom struggle essay)
1.उल्लासकर दत्ता
उल्लास कर दत्ता एक प्रसिद्ध भारतीय क्रांतिकारी रहे थे. इनको बम बनाने में एक्सपर्ट माना जाता था. दत्ता को अलीपुर बम मामले के तहत 2 मई 1903 को गिरफ्तार कर लिया गया था. और उन्हें वर्ष 1909 में फांसी की सजा दी सुनाई गई थी. लेकिन बाद में अपील करने पर फैसले को आजीवन कारावास के रूप में कर दिया गया था. और अंत में उन्हें अंडमान स्थित सेलुलर जेल में भेज दिया गया था.
2. मातंगिनी हाजरा
मातंगिनी हाजरा एक गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों में गिनी जाती है. क्योंकि इन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन और असहयोग आंदोलन के दौरान बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था. जुलूस के समय मातंगिनी हाजरा सबसे आगे भारत का झंडा लेकर बैठ रही थी उसी दौरान पुलिस कर्मियों ने उन पर गोलियां बरसा दी. जिस कारण उनके शरीर पर 3 गोलियां लगी. लेकिन फिर भी उन्होंने भारतीय तिरंगे को नहीं छोड़ा और अंत में वंदे मातरम के नारे लगाते रही.
3. बेगम हजरत महल
अवध रियासत के नवाब की बेगम हजरत महल 18 57 के होने वाले विद्रोह मे एक प्रमुख नेता थी. इनको भी आज बहुत ही कम लोग जानते हैं इन्होंने अपने पति को देश से बाहर निकाल देने के बाद अवध का शासन संभाला था. विद्रोह के दौरान इन्होंने लखनऊ को अंग्रेजों के नियंत्रण से छुड़ा लिया था. लेकिन बाद में हजरत महल को देसी छोड़कर नेपाल रहना पड़ा जहां पर उनकी मृत्यु हो गई.
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4. सेनापति बापट
सेनापति बापट सत्याग्रह के नेता थे जिस कारण इनको सेनापति भी कहते थे. आजादी के बाद सेनापति बापट को पुणे में भारतीय ध्वज को फहराने का सम्मान दिया गया था. सरकार के खिलाफ विद्रोह और भाषण करने के कारण इन्होंने खुद की गिरफ्तारी भी दी थी.
5. अरुणा आसफ अली
इनके बारे में भी बहुत ही कम लोगों ने सुना है यह भी स्वतंत्रता सेनानी महिलाओं में गिनी जाती है. वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान 33 वर्ष की उम्र में इन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का झंडा फहराया था.
6. पोटी श्रीरामुलू
पोटी श्रीरामुलू गांधीजी के बहुत बड़े समर्थक और भक्त माने जाते हैं. स्वयं महात्मा गांधी मैं भी इनको देख कर कह था कि ‘यदि मेरे पास श्रीरामुलू जैसे 11 समर्थक और आ जाए तो हम मात्र एक वर्ष में स्वतंत्रता हासिल कर ले’.
7. भीकाजी कामा
हमारे देश में भीकाजी कामा के नाम से अनेकों सड़के और भवन बने हुए हैं. लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि वे कौन थी और उन्होंने स्वतंत्रता में क्या योगदान दिया था. भीकाजी केवल भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा थी बल्कि उन्होंने भारत में लैंगिक समानता की नींव भी डाली थी. भीकाजी कामा ने अपनी संपत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा लड़कियों के लिए अनाथालय बनाने के लिए खर्च कर दिया था.
8. तारा रानी श्रीवास्तव
तारा रानी श्रीवास्तव को भी गुमनाम स्वतंत्रता सेनानियों के सूची में रखा जाता है. इन्होंने बिहार मे एक जुलूस का नेतृत्व किया था उसी दौरान उनको गोली मार दी गई थी. लेकिन उन्होंने अपने घावो पर पट्टी बांधकर आगे चलना जारी रखा लेकिन जब वे वापस लौट तो उनकी मृत्यु हो गई थी लेकिन मृत्यु से पूर्व उन्होंने अपने देश के झंडे को नहीं छोड़ा था.
9. कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी को लोग कुलपति के नाम से भी जानते हैं. क्योंकि इनके द्वारा विद्या भवन की स्थापना की गई थी. कन्हैयालाल भारत छोड़ो आंदोलन और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान बहुत सक्रिय नेता थे आजादी दिलाने के लिए वे कई बार जेल भी गए थे.
10. पीर अली खान
पीर अली खान को शुरुआती विद्रोहियों में से एक माना जाता है. क्योंकि इन्होंने शुरुआत में 1857 के दौरान स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया था. स्वतंत्रता आंदोलन में इनकी सक्रिय भूमिका होने के कारण इनके साथ 14 अन्य लोगों को भी फांसी की सजा सुनाई गई थी.
यह सूची शायद कभी खत्म ही नहीं हो सकती. क्योंकि स्वतंत्रता दिलाने के लिए इनके जैसे ही ऐसे कितने ही गुमनाम सेनानी हैं. जिन्होंने आजादी दिलाने के लिए हंसते-हंसते अपने प्राणों की कुर्बानियां दे दी. हम केवल उन्हीं स्वतंत्रता सेनानियो को जानते हैं जो या तो किसी आंदोलन में सक्रिय थे. या फिर जिन्होंने कोई बड़ा काम किया था. लेकिन स्वतंत्रता सेनानियों के नेता के जो समर्थक थे वास्तव में उनका योगदान भी स्वतंत्रता में सर्वोच्च था.
स्वतंत्रता सेनानी पर निबंध
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bahut hi badhiya information he bhaya